* चुनौती
भारतीय कंपनियां प्राय: योग्य श्रमिक नहीं मिलने की शिकायत करती हैं. 2012 में मानव संसाधन कंपनी ‘मैनपावर’ ने कुशल श्रमिकों के अभाव पर एक सर्वे प्रस्तुत किया था. इसमें बताया गया था कि 48 प्रतिशत भारतीय नियोक्ताओं को योग्य कर्मचारी बहाल करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि 2011 में 67 प्रतिशत नियोक्ता योग्य श्रमिक पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. इस लिहाज से इसमें 19 प्रतिशत की कमी आयी है. फिर भी अन्य देशों के मुकाबले (अंतरराष्ट्रीय औसत 34 प्रतिशत) भारत में अधिकांश नियोक्ताओं को कुशल श्रमिक नहीं मिल पाते.
इसी साल फरवरी में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने एक रिपोर्ट में बताया था कि दक्षिण एशिया में स्कूल या विश्वविद्यालय की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले युवकों की संख्या अधिक है. साथ ही वे कुशल श्रम के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण भी नहीं ले पाते. उद्योग बढ़े, कुशल श्रमिक नहीं : पिछले दशक में उद्योग क्षेत्रों का जिस गति से विस्तार हुआ, उस रफ्तार से कुशल श्रमिक उपलब्ध नहीं हो सके. उदाहरण के लिए टेलीकम्यूनिकेशंस और रिटेल सेक्टर.
कुछ ही बड़ी कंपनियां जैसे इंफोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज अपना खुद का प्रशिक्षण केंद्र चलाती हैं. भारत में 1960 के दशक में सरकार ने व्यावसायिक संस्थानों की स्थापना पर जोर दिया. इससे उद्योगों की बढ़ती मांग के अनुरूप कुछ हद तक कुशल श्रमिकों की आपूर्ति भी की गयी.
उदारीकरण के बाद उद्योगों का तेजी से विस्तार हुआ, पर उस अनुपात में इन संस्थानों से कुशल श्रमिक नहीं निकले. विश्व बैंक के अनुसार, भारत में जिन छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण की जरूरत है, उनमें से महज सात प्रतिशत को ही कुशल प्रशिक्षण मिल पाता है.
* प्रशिक्षण संस्थानों का अभाव
भारत में प्रशिक्षण संस्थानों के अभाव के चलते कुशल श्रमिक नहीं मिल पाते. कौशल विकास कार्यक्रम चलाने वाली संस्था ‘ग्राम तरंग’ के अनुसार, भारत में जहां 11 हजार व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान हैं, वहीं चीन में इसकी संख्या पांच लाख तक है. इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में प्रशिक्षण केंद्रों का कितना अभाव है.
इस गैप को भरने के लिए भारत सरकार द्वारा 2009 में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) की शुरुआत की गयी. इस निगम के माध्यम से प्रशिक्षण केंद्रों को आर्थिक सहायता मुहैया करायी जाती है.
ध्यान रहे कि एनएसडीसी ने 2022 तक 15 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा है. एनएसडीसी पूरे देश में 71 प्रशिक्षण संस्थानों के साथ मिल कर काम कर रहा है. इस साल जनवरी तक एनएसडीसी के साथ करनी वाली संस्थानों ने 27 राज्यों में लगभग चार लाख लोगों को प्रशिक्षित किया है. इससे पता चलता है कि सरकार निजी संस्थानों को महत्व दे रही है.
* विकसित देशों में अभाव
केवल भारत ही नहीं दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी कुशल श्रमिकों का टोटा है.‘मैनपावर’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सबसे अधिक जापान में नियोक्ता कुशल श्रमिकों की तलाश में रहते हैं. ब्राजील, बुल्गारिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में 49 प्रतिशत नियोक्ताओं को कुशल श्रमिक नहीं मिल पाते. रिपोर्ट में बताया गया है कि कुशल श्रमिकों का अभाव तो है ही, साथ ही अर्धकुशल श्रमिक जैसे सेल्स रिप्रेंजेटेटिव, टेक्नीनिशयन, ड्राइवर आदि भी पर्याप्त संख्या में नहीं मिल रहे.
* निजी संस्थानों का महत्व अहम
‘ग्राम तरंग’ ओड़िशा में काम करने वाली संस्था है. संस्था के माध्यम से युवकों को फिटर, मेकेनिक्स, इलेक्ट्रिशयन, मशीनिस्ट आदि में प्रशिक्षण दिया जाता है. 2006 से अब तक 28 हजार ग्रामीण युवकों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा चुका है. ‘ग्राम तरंग’ के प्रबंध निदेशक अभिनव मदान के अनुसार, व्यावसायिक शिक्षा से उन युवकों को रोजगार की तरफ मोड़ा गया, जो माओवादियों के बहकावे में आ सकते थे. ‘ग्राम तरंग’ को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से सहायता मिल रही है.
गाजियाबाद के ‘ग्रास एकेडमी’ में कई तरह के तकनीकी कोर्स कराये जाते हैं. इनमें कंप्यूटर रिपेयर करन, मोबाइल बनाने, कप्यूटर नेटवर्किग और अकाउंटिंग से जुड़े तकनीकी कोर्स कराये जाते हैं. 2006 से लेकर अब तक ग्रास ने दस राज्यों में 28 हजार छात्रों को प्रशिक्षित किया है.
पूरे देश में ग्रास के 58 कौशल प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं. इन संस्थानों का महत्व इसलिए है क्योंकि ये कम समय में गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक पाठय़क्रम उपलब्ध कराते हैं. ग्रास के संस्थापक और पूर्व चीफ एक्जीक्यूटिव तहसीन जाहिद के अनुसार, प्रशिक्षण तो पुल की तरह है, जिस पर चलकर रोजगार पाया जाता है.
– श्रमिकों के प्रशिक्षण के लिए एक गुणवत्तापूर्ण सिस्टम विकसित किये जाने की जरूरत है. वैसे निजी प्रशिक्षण संस्थानों को मदद दी जानी चाहिए, जो कुशल श्रमिक तैयार कर रहे हैं.
पॉल कॉमिन, कौशल प्रशिक्षण विशेषज्ञ
* निजी संस्थानों को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से जोड़ने की जरूरत
कुशल श्रमिकों का अभाव उद्योगों के लिए एक बड़ी समस्या है. इससे हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है. हालांकि सरकार कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण पर जोर दे रही है, लेकिन व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र प्रभावकारी नहीं हैं. इसे ठीक करने की जरूरत है. वहीं उन निजी संस्थानों को सहायता की दरकार है, जो बेहतर श्रमिक तैयार कर रहे हैं.