अमरीका में एड्स के इलाज को लेकर बनी उम्मीद धूमिल होती दिख रही है.
मिसीसिप्पी राज्य में एक बच्ची एचआईवी वायरस के साथ पैदा हुई थी और डॉक्टरों ने तुरंत इलाज के बाद उसे एड्स मुक्त घोषित किया था.
चार वर्ष की इस बच्ची पर पिछले हफ़्ते टेस्ट किए गए तो पता चला कि उसके शरीर में अब भी एचआईवी वायरस मौजूद हैं.
इस बच्ची को दो साल से एड्स से जुड़ी दवाएं नहीं दी गई थीं. बीते मार्च तक ये बच्ची एड्स मुक्त लग रही थी.
लेकिन अब अमरीकी डॉक्टर निराश हैं. उन्हें लगा था कि अगर छोटे बच्चों में इलाज जल्दी शुरू हो तो एड्स ख़त्म हो सकता है. अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफ़ेक्शस डिजीज़ के डॉक्टर एंथनी फ़ॉसी कहते हैं कि इन परिणामों का असर एचआईवी के संबंध में आने वाले शोधों पर भी पड़ेगा.
आखिर हुआ क्या था- एक विश्लेषण
बीबीसी न्यूज़, स्वास्थ्य संपादक जेम्स गलागर
एड्स से जुड़ी एंटी रेट्रो वायरल दवाईंया एचआईवी वायरस को रक्त में जाने से तो रोक लेती हैं लेकिन ये वायरस दिमाग और अन्य स्थानों पर छुप सकने के काबिल हैं.
जैसे ही इलाज रुकता है, ये वायरस बाहर आ कर हमला कर देते हैं.
डॉक्टरों को लगता था कि जन्म के कुछ ही घंटों से अगर दवाएं दी गईं तो वायरस छुप नहीं सकेगा.
लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.
अगर ये केस सफल भी हो जाता तो एड्स पीड़ित वयस्कों को इससे कोई फ़ायदा नहीं होता. वयस्कों का इलाज़ संक्रमण के कई महीने बाद ही शुरू हो पाता है.
मिसीसिप्पी की इस बच्ची के मामले ने एक बार फिर दिखाया है कि एड्स और एचआईवी का इलाज अभी भी डॉक्टरों की पकड़ से दूर है.
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