अक्सर बड़े बच्चों से अपनी बात मनवाने के लिए भूत या साधु बाबा की मनगढ़ंत बातें कहते हैं, जबकि यह तरीका गलत है. अगर एक बार उनके मन में यह डर या वहम बैठ गया, तो उसे निकालना बहुत ही मुश्किल होता है.
पायल दीदी जब हम गांव आये ही हैं, तो क्यों न देवी मां के भी दर्शन कर लें, बगलवाले गांव में ही तो है मंदिर. आज चलते हैं. बच्चों को भी ले चलेंगे. वे भी रास्ते का भरपूर मजा लेंगे. बड़ा सुंदर रास्ता है. आम के बाग भी बच्चों को दिखा देंगे. राशि ने कहा. ठीक है राशि. संजेश तो रिमङिाम के साथ बिजी हैं. रूपेश भाईजी के साथ ही चलते हैं. सब बच्चों के साथ पायल मंदिर पहुंची. मंदिर में दर्शन के बाद जब वे मंदिर के पीछे गये, तो वहां पर दो पीपल के वृक्ष देख कर झरना डर गयी और रूपेश से लिपट गयी. उसे डरा देख कर रूपेश बोला- क्या हुआ झरना. कुछ बताओ तो. ताऊ जी, यहां से चलिए. यहां दो पीपल ट्री हैं. झरना ने कहा. हां, तो क्या हुआ? रूपेश ने पूछा. जहां दो पीपल ट्री होते हैं, उस पर ढेर सारे भूत रहते हैं. झरना ने सहमी हुई आवाज में कहा. यह तुमसे किसने कहा? पायल ने पूछा. वह जो सेवेंथ फ्लोर पर रितिका रहती है, उसी ने बताया. वह कह रही थी कि जब वह दूध नहीं पीती, तो उसकी मम्मा कहती हैं कि वह रितिका को पीपल ट्री के नीचे छोड़ देंगी. फिर पेड़ पर रहनेवाले भूत उसे पकड़ लेंगे. ताई जी चलो यहां से.. हमें भी भूत पकड़ लेगा. झरना डर कर बोल रही थी. नहीं बेटा, ऐसा कुछ नहीं होगा. भूत-वूत कुछ नहीं होता. राशि ने कहा.
नहीं झरना, होता है ये सब तुङो बेवकूफ बना रहे हैं. सावनी को बीच में ही टोकते हुए पायल ने कहा क्या बेकार की बातें कर रही हो सावनी? झरना वैसे ही डरी हुई है और तुम इस तरह की बात कर रही हो. अरे मम्मा, अच्छा है बच्चों के मन में कुछ डर होना भी चाहिए, ताकि जब बात न मानें तो उनसे बात मनवाई जा सके. यह क्या तरीका है बात मनवाने का? बच्चों के मन में फालतू के डर, शक और वहम नहीं डालने चाहिए और एक बार कोई बात मन में बैठ जाती है तो फिर वह मुश्किल से निकलती है. क्या तुम यह चाहती हो कि वह भूत-प्रेत जैसी फालतू की बातों पर विश्वास करे और डर में जिए?
पायल ने पूछा. रिलैक्स मम्मा, मैं तो केवल मजाक कर रही थी. सावनी ने कहा. बच्चों से इस तरह का मजाक और इस तरह की फिजूल बातें आगे से नहीं होनी चाहिए. सॉरी मम्मा, उसने कहा.
पायल ने झरना को समझाया कि बेटा भूत जैसी कोई चीज होती ही नहीं. वो तो रितिका की मम्मा ने उससे इसलिए कहा जिससे वह दूध पी ले और उनकी बात मानें. नहीं ताई जी, भूत होता है.. वह रात में आता है.
उसकी मम्मा ने बताया. झरना ने कहा. ठीक है झरना. हमारे गांव में भी कई सारे पीपल के पेड़ हैं. मैं रात में वहां जाऊंगी. तभी मंदिर के पंडित जी जो सारी बात सुन रहे थे, उन्होंने पास आकर कहा- बेटी, आपको किसी ने गलत बताया है. लोग पीपल के नीचे दीया जलाते हैं. देखो कितने सारे दीपक यहां पड़े हुए हैं. तुम्हें पता है दीपक कहां जलाते हैं? दीपक वहां जलाते हैं जहां भगवान होते हैं. पीपल के पेड़ पर तो भगवान रहते हैं फिर उस पर भूत कैसे आ सकते हैं और पेड़ पर भूत होते तो यह पेड़ मंदिर के पास क्यों होता? इसलिए मन से यह बात निकाल दो.
किसी पेड़ पर कोई भूत नहीं होता. जो ऐसा कहते हैं, वे झूठे हैं. फिर पंडित जी ने पायल से कहा- पता नहीं आप लोग बच्चन से ऐसे झूठ काहे बोलते हैं. खुद तो जीवन भर परेशान रहते हो और बच्चों के मन में भी डर बैठा देते हो. बच्चन को निडर बनाओ ताकि वे कभी डरे नहीं, बल्किबहादुरी से हर बात का सामना करें. जरा-सा दूध पियावे की खातिर, बात मनवाए की खातिर झूठे ही भूत-प्रेत, बाबा का डर बिठा देते हो. आप चाहते हो कि बच्चा खाना खाये, बात माने तो बहुत से तरीके हैं, लेकिन बच्चन को डराना कतई ठीक नहीं है. देखा, बच्ची कितना डर गयी है. आओ बिटिया हमरे साथ आओ. यह मंदिर है और ईश्वर के स्थान पर कुछ बुरा नहीं होता. वैसे भगवान हर जगह मौजूद हैं, लेकिन मंदिर में नियम से पूजा होती है और भक्त भी आकर पूजा करते हैं, इसलिए मंदिर में उनका वास हो जाता है. तुम भी निश्चिंत रहो. यहां कुछ नहीं होगा और मन में विश्वास हो तो कहीं भी कुछ भी बुरा नहीं होगा. अगर हमारा विश्वास मजबूत है, तो डर हमारे पास कभी नहीं फटकेगा. क्रमश:
वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
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