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राष्ट्रीय पुस्तकालय को नहीं मिला राष्ट्रीय दर्जा

कूचबिहार : उत्तर बंगाल का राष्ट्रीय पुस्तकालय अभी भी जिला पुस्तकालय के स्तर पर रह गया है. यहां 32 हजार दुर्लभ ग्रंथ, हाथ से लिखे गये दस्तावेज संरक्षित है. इस पुस्तकालय का 12 हजार सदस्य है. इसके बाद भी इसे ‘ए’ कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया है. 1870 में कूचबिहार के महाराजा नृपेंद्रनारायण के […]

कूचबिहार : उत्तर बंगाल का राष्ट्रीय पुस्तकालय अभी भी जिला पुस्तकालय के स्तर पर रह गया है. यहां 32 हजार दुर्लभ ग्रंथ, हाथ से लिखे गये दस्तावेज संरक्षित है. इस पुस्तकालय का 12 हजार सदस्य है.

इसके बाद भी इसे ‘ए’ कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया है. 1870 में कूचबिहार के महाराजा नृपेंद्रनारायण के शासकाल में कूचबिहार स्टेट लाइब्रेरी का निर्माण हुआ था. 1950 में कूचबिहार पश्चिम बंगाल के अंतर्गत होने के बाद यह पुस्तकालय शिक्षा दफ्तर व कूचबिहार जिलाशासक के अधीनस्थ हो गया. 1971 को स्टेट लाइब्रेरी व कूचबिहार डिस्ट्रीक लाइब्रेरी को एकत्रित कर पुस्तकालय का नामकरण उत्तर बंगाल राष्ट्रीय पुस्तकालय किया गया.

सिर्फ नाम में ही राष्ट्रीय पुस्तकालय है लेकिन अभी तक इसे राष्ट्रीय स्तर का मर्यादा नहीं दिया गया. इस पुस्तकालय में 16 हजार अंग्रेजी, 180 उर्दू, 135 आरबी, 400 पारसी पुस्तक हैं. इसके अलावा देशी-विदेशी मिलाकर कुल 12 हजार प्राचीन ग्रंथ है. 1200 देशी-विदेशी मैगजीन, बांग्ला, संस्कृत, व असमिया भाषा में लिखे गये 228 पुस्तक यहां उपलब्ध है. सब मिला कर यहां तकरीबन एक लाख पुस्तक हैं.

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