छत्तीसगढ़ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की ताज़ा रिपोर्ट में पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल में 4,601 करोड़ रुपये से अधिक की ई-टेंडरिंग में हुईं कथित अनियमितताओं पर सवाल उठाए हैं और इसकी जांच कराने की सिफारिश की है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने कार्यकाल के दौरान इस ई-प्रोक्योरमेंट को निविदा (टेंडर) के लिए सबसे पारदर्शी और निष्पक्ष प्रणाली बताते रहे थे. लेकिन अब सीएजी की ताज़ा रिपोर्ट ने राज्य में हलचल पैदा कर दी है.
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के 17 विभागों में ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया लागू की गई थी. लेकिन जिन 74 कंप्यूटरों से 1921 ई-टेंडर जारी किए गये, ठेकेदारों ने भी टेंडर भरने के लिए उन्हीं कंप्यूटरों का इस्तेमाल किया.
फिर विभाग के कर्मचारियों और अफ़सरों ने उन्हीं कंप्यूटरों से इन टेंडरों को मंज़ूरी दे दी. यानी टेंडर जारी करने वाले अफ़सर अपने ही कंप्यूटर पर ठेकेदारों से टेंडर भरवाते थे और फिर उसे मंज़ूरी भी दे देते थे.
छत्तीसगढ़ में सीएजी के प्रधान महालेखाकार विजय कुमार मोहंती ने कहा, "हमने इस मामले में एक स्वतंत्र जांच की सिफारिश की है. हमारे लिए संभव नहीं था कि हम इतनी कम अवधि में विस्तृत जांच कर पाते. अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह किस तरीक़े से जांच करवाती है. लेकिन यह जांच ज़रूरी है."
रिपोर्ट पर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा
सीएजी की इस रिपोर्ट में भारी पैमाने पर आर्थिक गड़बड़ियों का पता चला है.
इस मामले के सामने आने पर कुछ वक़्त पहले ही सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है.
राज्य के संसदीय मंत्री रवींद्र चौबे ने कहा, "अब हम लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ना है. पिछली सरकार के काले कारनामों का पर्दाफाश करना है. जिस तरह से कैग की रिपोर्ट में कारनामों की चर्चा हुई है तो निश्चित रूप से उसको सुधारने के संदर्भ में निर्देश दिए जाएंगे."
हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना था कि इस मामले में विधानसभा से बाहर चर्चा करना उचित नहीं है.
उन्होंने कहा, "सीएजी की जो रिपोर्ट आती है, उस पर विधानसभा की लोक लेखा समिति विचार करती है. लोक लेखा समिति जो निर्णय देती है, उसके आधार पर कार्रवाई होती है. इसलिए मुझे लगता है कि कैग की रिपोर्ट पर बाहर चर्चा करना सही नहीं है."
क्या क्या हैं गड़बड़ियां
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग-अलग काम के लिए जारी 1459 टेंडर में एक ही ई-मेल का उपयोग 235 बार हुआ है. जबकि नियमानुसार सभी काम के लिये स्वतंत्र ई-मेल आईडी होनी चाहिए थी.
टेंडर पाने के लिए 79 ठेकेदार ऐसे थे, जिन्होंने दो-दो पैन कार्ड का इस्तेमाल किया. आयकर विभाग के नियमानुसार, किसी भी व्यक्ति के नाम से दो पैन कार्ड नहीं हो सकते.
आयकर अधिनियम की धारा 272बी के अनुसार, ये ग़ैरक़ानूनी है. लेकिन किसी भी सरकारी विभाग ने इस पर कभी आपत्ति नहीं की.
सीएजी ने भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्री रमन सिंह के अधीन रहे खनिज विभाग के 1819 मामले ऐसे पाए, जिनमें 2616.51 करोड़ की गड़बड़ी हुई है.
स्कूली बच्चों को सोया मिल्क देने का जिम्मा जिस कंपनी को सौंपा गया था, उसने नियमानुसार न तो किसानों से कच्चा माल ख़रीदा और न ही कोई संयंत्र लगाया. इसके अलावा बिना टेंडर जारी किए 21.58 करोड़ रुपये की अनियमित खरीद भी कर ली गई.
स्कूल नहीं, लेकिन छात्रों को स्कॉलरशिप
इसी तरह कम से कम 20 ऐसे स्कूलों का पता सीएजी ने लगाया, जो अस्तित्व में ही नहीं थे और वहां बच्चों के लिये 1.40 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति भी निकाल ली गई.
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछली सरकार की गड़बड़ियों को लेकर कहा कि यह शुरुआत है.
उन्होंने कहा, "भाजपा के 15 साल के शासनकाल में जिस तरीक़े से गड़बड़ियां और भ्रष्टाचार हुए हैं, यह उसका छोटा नमूना है."
फिलहाल सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा की लोक लेखा समिति को दी जाएगी और उसके बाद ही इस मामले में कोई कार्रवाई हो पाएगी.
लेकिन छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक मामलों की एसआईटी जांच करवा रही कांग्रेस पार्टी की सरकार अगर इस मुद्दे पर भी एसआईटी गठित कर दे तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
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