<p>केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी विरोध के बीच लाखों महिलाओं ने ‘लैंगिक समानता के समर्थन’ में 620 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई.</p><p>सबरीमला मंदिर में दस से पचास साल की महिलाओं के ना जाने की परंपरा थी. लेकिन सितंबर में भारत की सर्वोच्च अदालत ने महिलाओं पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया. </p><p>महिलाओं पर लगा ये प्रतिबंध तो हट गया लेकिन कई लोग फिर भी महिलाओं के सबरीमला मंदिर जाने का विरोध कर रहे हैं. </p><p>जिन महिलाओं ने मंदिर जाने की कोशिश की उनपर हमले भी हुए. </p><p>राज्य की वामपंथी गठबंधन सरकार ने ही इस मानव श्रृंखला ‘महिलाओं की दीवार’ का आयोजन किया है. </p><p>अधिकारियों ने वरिष्ठ पत्रकार इमरान कुरैशी को बताया कि इस श्रृंखला का हिस्सा बनने के लिए केरल के अलग-अलग हिस्सों से पचास लाख महिलाओं पहुंची थीं.</p><p>इन महिलाओं ने उत्तरी केरल के कसारागोड से लेकर दक्षिणी ज़िले तिरुवनंतपुरम तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर ये श्रृंखला बनाई. </p><p>अधिकारियों के मुताबिक़ ये प्रदर्शन ग़ैरबराबरी और उन दक्षिणपंथी समूहों के ख़िलाफ़ किया गया जो महिलाओं पर प्रतिबंध का समर्थन कर रहे हैं. </p><h1>महिलाओं पर प्रतिबंध के पीछे की राजनीति?</h1><p>सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि महिलाओं पर लगा ये प्रतिबंध लैंगिक समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन करता है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ये प्रतिबंध हटाने का फ़ैसला सुनाया था. </p><p>लेकिन भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने इस फ़ैसले को हिंदू मूल्यों पर हमला बताया. </p><p>ये मुद्दा अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव तक गर्म रहेगा. कई लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर धर्म के आधार पर बांटने की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी को हिंदू समर्थन वाली पार्टी कहा जाता है. </p><p>अक्तूबर से ही महिलाएं मंदिर में प्रवेश की कोशिशें कर चुकी हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं का एक वर्ग उनका रास्ता रोकता रहा है. इसमें भारतीय जनता पार्टी से लेकर कई संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के शामिल होने के आरोप भी लगे हैं.</p><p>भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की आलोचना कर चुके हैं. अक्तूबर में केरल के कन्नूर में ज़िला भाजपा कार्यालय के उद्घाटन के समय उन्होंने कहा था कि देश की अदालतों को व्यावहारिक होना चाहिए और वैसे ही फ़ैसले देने चाहिए, जिन्हें अमल में लाया जा सके.</p><p>उन्होंने कहा था कि भाजपा अयप्पा भक्तों के साथ खड़ी है.</p><p>नवंबर में जब सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी तो कर्मा समिति नाम के एक दक्षिणपंथी समूह के कार्यकर्ताओं ने ही उन्हें देर तक कोच्चि एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया था. </p><p>तृप्ति देसाई ने ही महाराष्ट्र के अहमदनगर में शनि शिग्णापुर मंदिर में प्रवेश करके महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध की परंपरा तोड़ी थी.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो सकते हैं.)</strong></p>
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सबरीमला मंदिर: लैंगिक समानता के लिए महिलाओं की 620 किमी लंबी मानव श्रृंखला
<p>केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी विरोध के बीच लाखों महिलाओं ने ‘लैंगिक समानता के समर्थन’ में 620 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई.</p><p>सबरीमला मंदिर में दस से पचास साल की महिलाओं के ना जाने की परंपरा थी. लेकिन सितंबर में भारत की सर्वोच्च अदालत ने महिलाओं पर लगे प्रतिबंध को […]
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