<p>अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के उत्तरी सेंटिनेल नामक एक द्वीप पर मारे गए अमरीकी शख़्स के शव को ढूंढने का काम रोक दिया गया है. </p><p>एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सेंटिनेली आदिवासियों को दिक्कत न हो. </p><p>इस द्वीप पर 17 नवंबर को एक अमरीकी नागरिक जॉन एलिन शाओ को आदिवासियों ने मार दिया था. </p><p>जॉन अमरीका के अल्बामा के निवासी थे. 27 साल के जॉन ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए कई बार अंडमान आते रहते थे. पुलिस का कहना है कि वह इस द्वीप पर मौजूद आदिवासियों के धर्म परिवर्तन की कोशिश कर रहे थे. </p><p>जॉन एलिन की मौत के बाद से ही उनके शव को ढूंढा जा रहा था. लेकिन, अब तक उसमें सफलता नहीं मिली. </p><p>सोमवार को एक शीर्ष सरकारी अधिकारी चेतन संघी ने पुलिस, आदिवासी कल्याण और पुरातात्विक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई थी. </p><p>इस बैठक में शव की तलाश रोकने का फैसला लिया गया. बैठक में भाग लेने वाले एक अधिकारी ने बीबीसी को इसकी जानकारी दी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46290241">अंडमान: प्रतिबंधित द्वीप पर पहुंचे अमरीकी की हत्या</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2014/01/140127_andman_survivor_skj">अंडमान दुर्घटना: याद करके सिहर उठते हैं लोग</a></li> </ul><h1>तलाश जारी रखने से ख़तरा </h1><p>अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ”मंगलवार सुबह इलाके में एक नाव भेजी गई थी लेकिन वो सिर्फ़ हालात का जायज़ा लेने के लिए थी. शुरुआती दिनों में उन्हें ढूंढने की बहुत कोशिश की गई. हमें ये तो पता था कि उन्हें किस दिशा में ले जाया गया है लेकिन कहां ले गए हैं इसकी जानकारी नहीं थी.”</p><p>उन्होंने बताया कि ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि तलाश जारी रखने में जोख़िम था और विभिन्न समूह इसका विरोध भी कर रहे थे. </p><p>इससे पहले समोवार को मानवाधिकार संगठन सर्वाइवल इंटरनेशनल ने कहा था कि तलाश बंद कर देनी चाहिए क्योंकि यह सेंटिनेली जनजाति और पुलिस दोनों के लिए ख़तरनाक है. </p><p>पिछले कुछ दिनों में रिपोर्ट भी आई थी कि इसमें हत्या का मामला दर्ज किया गया है और जहाज व हेलिकॉप्टर की मदद से पुलिस जांच के लिए द्वीप के नज़दीक जा रही है. </p><p>लेकिन, सेंटिनेली एक संरक्षित जनजाति है इसलिए प्रशासन को आगे कार्रवाई को लेकर उलझन बनी हुई थी. </p><p>साल 2006 में सेंटिनेली जनजाति के लोगों ने दो मछुआरों की हत्या कर दी थी. उस मामले में भी प्रशासन को सिर्फ़ एक ही शव बरामद हो पाया था. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2016/09/160907_tsunami_drill_sra">पूर्वी तट के इलाक़ों से हटाए गए हज़ारों लोग!</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/multimedia/2013/08/130801_50days_14july_vs">क्लीमेंट एटलीः अंडमान निकोबार द्वीप समूह भारत का हिस्सा है</a></li> </ul><h1>वापस लौटी पुलिस की नाव </h1><p>जॉन एलिन का शव ढूंढने की कोशिश में पुलिस की नाव का सेंटिनेली आदिवासियों से सामना भी हुआ था लेकिन किसी तरह के टकराव से बचने के लिए पुलिस पीछे हट गई. </p><p>शनिवार को पुलिस ने किनारे से 400 मीटर की दूरी पर अपनी नाव रोकी थी लेकिन दूरबीन से देखा तो धनुष और तीरों के साथ आदिवासी किनारे पर खड़े थे. </p><p>इलाके के पुलिस प्रमुख दीपेंद्र पाठक ने पत्रकारों को बताया,”वो हमें घूरने लगे थे और हम उन्हें देख रहे थे. इसके बाद नाव वापस ले ली गई.”</p><p>इस मामले में सात मछुआरों को गिरफ्तार भी किया गया है, जिन्होंने जॉन एलिन को अवैध रूप से द्वीप तक पहुंचाया था.</p><h1>कौन हैं सेंटिनेली आदिवासी?</h1><p>अंडमान के उत्तरी सेंटीनेल द्वीप में रहने वाली सेंटिनेली एक प्राचीन जनजाति है, इनकी आबादी 50 से 150 के क़रीब ही रह गई है.</p><p>स्थानीय पुलिस से इसकी पुष्टि की गई है कि जॉन एलिन किसी मिशनरी के लिए काम करते थे और इस जनजाति के लोगों को ईसाई धर्म में बदलवाने के लिए उनके पास आते थे.</p><p>उत्तरी सेंटिनेल द्वीप एक प्रतिबंधित इलाका है और यहां आम इंसान का जाना बहुत मुश्किल है. यहां तक कि वहां भारतीय भी नहीं जा सकते.</p><p>साल 2017 में भारत सरकार ने अंडमान में रहने वाली जनजातियों की तस्वीरें लेने या वीडियो बनाने को ग़ैरक़ानूनी बताया था जिसकी सज़ा तीन साल क़ैद तक हो सकती है.</p><p>वैज्ञानिकों का मानना है कि सेंटिनेली जनजाति के लोग करीब 60 हज़ार साल पहले अफ़्रीका से पलायन कर अंडमान में बस गए थे. भारत सरकार के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इस जनजाति को बचाने की कोशिशें कर रहे हैं.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-45024323">वे आदिम जनजातियां जो हमसे ज़्यादा सभ्य हैं</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/news/2012/02/120205_jarwa_video_ia">जारवा जनजाति की महिलाओं के दो और वीडियो सामने आए</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2012/02/120206_uk_safari_ac">अंडमान ‘ह्यूमन सफारी’:ब्रिटेन की संसद में प्रस्ताव</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
अंडमान में आदिवासियों को ईसाई बनाने गए अमरीकी की लाश खोजने का काम रुका
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