नेशनल कंटेंट सेल
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीइसी) के अंतर्गत चीन अपने पांच लाख नागरिकों के लिए पाकिस्तान के ग्वादर में एक शहर बसाने जा रहा है. इस शहर को बनाने में चीन 15 करोड़ रुपये खर्च करेगा. दक्षिण एशिया में यह चीन का अपनी तरह का पहला शहर होगा. माना जा रहा है कि पाकिस्तान के बंदरगाह शहर में बन रहे इस प्रस्तावित शहर में 2022 से करीब पांच लाख लोग रहने लगेंगे.
चीन की योजना के अनुसार, चीन के लोग इस वित्तीय जिले में काम करेंगे. जानकारी के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन से 36 लाख वर्ग फुट के अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह शहर को खरीदा है. इनमें चीन के मैन्युफैक्चरिंग वाले शहरों के लिए माल लाने-ले जाने के लिए सुरक्षित और अच्छी शिपिंग लेन और रेलवे, पोर्ट रेनॉवेशन और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से बना नया फ्री जोन बनाया जा रहा है. 39 प्रस्तावित सीपीइसी प्रोजेक्ट्स में से 19 या तो पूरे हो गये हैं या होने वाले हैं.
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इन पर चीन ने 2015 से अब तक करीब 18.5 अरब डॉलर का निवेश किया है. बेल्ट इनीशिएटिव के तहत सीपीइसी का रेलवे प्रोजेक्ट दशकों तक चले कंस्ट्रक्शन के बाद पटरी पर है.
हालांकि, रोड और शिपिंग लेन का काम ग्वादर में अटका हुआ है. बीआरआइ प्रोजेक्ट पर नजर रखने वाले एनालिस्टों का कहना है कि अगर यह परियोजना सफल होती है तो वर्ल्ड ट्रेड में चीन का दखल और बढ़ जायेगा.
स्थानीय लोगों में फैल रहा है असंतोष
चीन, ग्वादर को कार्गो शिप की आवाजाही के लिए तैयार कर रहा है. इसके तहत नौ बिल्डिंग और समुद्र के किनारे करीब 3.2 किमी का मल्टीपर्पज बर्थ बनाने की योजना है. सीपीइसी परियोजना में निवेश के मामले में दूसरे देश में चीन की तरफ से सबसे बड़ा निवेश है. चीन ने पाकिस्तान के पाइपलाइन, रेलवे, हाइवे, पावर प्लांट्स, औद्योगिक क्षेत्रों और मोबाइल नेटवर्क में निवेश किया है ताकि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) को भौगोलिक प्रगति दी जा सके. चीन के इस कदम से ग्वादर के स्थानीय नागरिकों में काफी नाराजगी है.
पूर्वी रूस और म्यांमार के उत्तरी क्षेत्र में भी कॉलोनियां
चीनी नागरिकों के रिहायशी परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान स्थित ग्वादर में वहां के स्थानीय लोगों में जबर्दस्त असंतोष फैला हुआ है. चीन अगर इस परियोजना में सफल हो जाता है तो इसका मतलब यह हुआ कि चीन पाकिस्तान का इस्तेमाल उपनिवेश के तौर पर करेगा. इतना ही नहीं, चीन ने अफ्रीका और सेंट्रल एशिया में अपनी परियोजनाओं पर काम करने वाले अपने नागरिकों के लिए रिहायशी इलाके या सबसिटी तैयार किये हैं. चीन ने पूर्वी रूस और म्यांमार में भी कॉलोनी बनायी है.