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भारत में स्वदेशी सलाद क्यों नहीं : इंडियन स्वाद

अंग्रेजी शब्दकोष में सलाद हल्का भूख बढ़ानेवाला व्यंजन है. विदेशों में सलाद में हरी पत्तियों को खूब चाव से खाया जाता है. वहीं गर्मियों में सलाद का इस्तेमाल अल्पाहार के रूप में किया जा सकता है. सलाद नयनसुख पहुंचाने के साथ तन-मन को शीतल बनाने की क्षमता रखते हैं. लेकिन, सोचने की बात यह है […]

अंग्रेजी शब्दकोष में सलाद हल्का भूख बढ़ानेवाला व्यंजन है. विदेशों में सलाद में हरी पत्तियों को खूब चाव से खाया जाता है. वहीं गर्मियों में सलाद का इस्तेमाल अल्पाहार के रूप में किया जा सकता है. सलाद नयनसुख पहुंचाने के साथ तन-मन को शीतल बनाने की क्षमता रखते हैं. लेकिन, सोचने की बात यह है कि भारत की संपन्न खान-पान परंपरा में स्वदेशी सलाद क्यों नहीं मिलते? इस बार के जायके में हम इसी पर बात कर रहे हैं…

बचपन में हमारे गांव में एक साधु पधारे थे, जिनका नाम था- ‘कच्चाहारी बाबा’. वह जो कुछ भी ग्रहण करते थे, उसमें सिर्फ कच्ची खाद्य सामग्री ही होती थी- जैसे कंदमूल, फल इत्यादि. उनकी याद हमें इधर अचानक आने लगी है, जब से महानगरों में ‘सलाद बार’ लगातार खुलते जा रहे हैं. अपनी सेहत तथा सुंदरता का खास ध्यान रखनेवालों का मानना है कि बिना पके, या अधपके फलों-सब्जियों और अनाज में ही कुदरती पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं.
बहरहाल, पश्चिमी खान-पान के क्रम में सलाद का निश्चित स्थान है. अपने यहां सलाद के नाम पर जो खीरा, ककड़ी, चुकंदर, टमाटर, मूली, गाजर, प्याज आदि पेश किया जाता है, उसको सलाद का नाम देना जरा अटपटा लगता है. अंग्रेजी शब्दकोष में सलाद हल्का भूख बढ़ानेवाला व्यंजन है, जिसे सिर्फ सब्जियों से नहीं तैयार किया जाता. मुर्गी, समुद्री जीवजंतु, उबले या तले मांस के कतरे भी इसमें शामिल किये जाते हैं. भारत में अगर बहुत हुआ, तो सलाद की तश्तरी में मूली और गाजर को जगह मिल सकती है.
विदेश में सलाद में तरह-तरह की हरी पत्तियां बड़े चाव से खायी जाती हैं- लैटस, आइसबर्ग लैटस, रौकेट आदि, लेकिन वहीं हमारे हिंदुस्तान में कच्चे पत्तों से लोग परहेज करते हैं.
सलाद को सजाती है विविध प्रकार की ड्रेसिंग, जिन्हें तेल, सिरका, शहद, खुशबूदार जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाता है- जैसे विनिग्रैट, हौलेंडेस, थाउसंड आइलैंड आदि प्रमुख हैं. कुछ सलादों की पहचान जुड़ी है उन्हें ईजाद करनेवाले मशहूर शैफ के नाम के साथ जैसे सीजर्स सलाद तो कुछ को जाना जाता है उन होटलों के कारण, जहां वह पहले पहल परोसे गये, मसलन वौलडौर्फ सलाद. इसमें सेब, आलू तथा अखरोट की गिरी रहती है. हवाइयन सलाद में अनानास अनिवार्य है. रशन सलाद में आलू, चुकंदर, अंडा साथ देते हैं अन्य सब्जियों एवं सलामी सौसेज सरीखे मांसाहारियों के प्रिय पदार्थों का.
सलाद को और भी आकर्षक बनाते हैं अलंकरण, जिन्हें गार्निश कहते हैं. आम तौर पर सूखे फल मेवे और मनपसंद सख्त पनीर का इस्तेमाल होता है. उबले काबुली चने, राजमा तथा चावल या दाल के दाने भी कभी-कभार इन सलादों में नजर आ जाते हैं. सलाद नमकीन ही नहीं मीठे भी होते हैं, जिनमें आम तौर पर कस्टर्ड के साथ पेश किया जानेवाला फ्रूट सलाद सबसे लोकप्रिय है.
सलाद किसी भी दस्तरखान या दावत की मेज को इंद्रधनुष के रंगों से सजा देता है और तीखे मसालेदार कबाब या शोरबों को संतुलित करता है.
सोचने की बात यह है कि भारत की संपन्न खान-पान परंपरा में स्वदेशी सलाद क्यों नहीं मिलते? हमारी समझ में इसके दो प्रमुख कारण हैं. गरम और नम आबोहवा वाले देश में कच्चा खाना सदैव निरापद नहीं समझा जाता और जहां हर मौसम में नयी-नयी सब्जी या फल की बहार रहती हो, वहां यूरोप की तरह बेस्वाद मांस-मछली को आकर्षक बनाने की जरूरत ही महसूस नहीं होती.
इसके अलावा यह ध्यान दिलाने की जरूरत है कि हमारे यहां जो दर्जनों रायते, कचुंबर, पचड़ी, थेचे आदि हैं, वह स्वदेशी सलाद ही तो हैं! इसी सूची में आप चाट के कुछ प्रकार भी शामिल कर सकते हैं तथा बिहार या पूर्वांचल के भर्ते-चोखे को भी शामिल कर सकते हैं, जो ठंडे खाये जाते हैं.
गर्मियों के मौसम में सलाद का इस्तेमाल अल्पाहार के रूप में किया जा सकता है. सलाद नयनसुख पहुंचाने के साथ यह तन-मन को शीतलता प्रदान करने की क्षमता रखते हैं. अपनी कल्पना शक्ति के प्रयास से आप खाने के छह के छह रसों को एक सलाद में खा और खिला सकते हैं.
रोचक तथ्य
अंग्रेजी शब्दकोष में सलाद हल्का भूख बढ़ानेवाला व्यंजन है, जिसे सिर्फ सब्जियों से नहीं तैयार किया जाता. मुर्गी, समुद्री जीवजंतु, उबले या तले मांस के कतरे भी इसमें शामिल किये जाते हैं.
विदेश में सलाद में तरह-तरह की हरी पत्तियां चाव से खायी जाती हैं, पर हमारे देश में कच्चे पत्तों से लोग परहेज करते हैं.
सलाद नमकीन ही नहीं, बल्कि मीठे भी होते हैं, जिनमें आम तौर पर कस्टर्ड के साथ पेश किया जानेवाला फ्रूट सलाद सबसे लोकप्रिय है.
पुष्पेश पंत
सलाद किसी भी दस्तरखान या दावत की मेज को इंद्रधनुष के रंगों से सजा देता है और तीखे मसालेदार कबाब या शोरबों को संतुलित करता है.

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