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वो बच्ची जिसने शौचालय के लिए की भूख हड़ताल

<p>सुबह सवेरे बिस्तर से उठकर तैयार होकर स्कूल जाना बहुत कम बच्चों को अच्छा लगता है. और अगर घर में शौचालय न हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं. </p><p>पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले बच्चों के लिए और विशेषकर लड़कियों के लिए यह एक गंभीर समस्या है.</p><p>क्योंकि ऐसे में शौच के लिए उन्हें घर […]

<p>सुबह सवेरे बिस्तर से उठकर तैयार होकर स्कूल जाना बहुत कम बच्चों को अच्छा लगता है. और अगर घर में शौचालय न हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं. </p><p>पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले बच्चों के लिए और विशेषकर लड़कियों के लिए यह एक गंभीर समस्या है.</p><p>क्योंकि ऐसे में शौच के लिए उन्हें घर के पास वाले जंगल में जाना पड़ता है जहाँ जंगली जानवरों के साथ-साथ अनगिनत कीड़े मकोड़ों का डर रहता है. </p><p>लेकिन जम्मू संभाग में उधमपुर ज़िले की 10वीं कक्षा की एक छात्रा निशा रानी ने लगातार दो दिन तक अनशन पर बैठकर इस समस्या का भी समाधान खोज निकाला है.</p><p>निशा अपने माता पिता के साथ जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक मशहूर पड़ाव कुद की रहने वाली हैं और हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा हैं. </p><p>14 मार्च के दिन उधमपुर के ज़िला अधिकारी ने उनके स्कूल में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें सभी बच्चों को स्वच्छता अभियान की जानकारी दी गई. </p><p>उत्तर प्रदेश से आई एक टीम ने लघु नाटक के माध्यम से सभी बच्चों को साफ़ सफाई का महत्व बताते हुए सब जानकारियां साझा की थीं. </p><p>साथ ही उन्होंने घर में अलग से शौचालय बनाने और सभी बच्चों को उसका नियमित उपयोग करने का भी पाठ भी पढ़ाया.</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39628849">क्या शौचालय को लेकर महिला की हत्या हुई?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-38748036">शौचालय का सपना पूरा करतीं ये बेटियां</a></p><h1>जब घर में भूख हड़ताल पर उतरीं निशा</h1><p>जब स्कूल में मौजूद 350 बच्चों में से अकेली निशा रानी पर उस नाटक ने ऐसा विशेष असर डाला कि उसने स्कूल से सीधे घर आकर अपने माता पिता से इस बात की ज़िद करना शुरू कर दिया कि जब तक उनके घर में भी शौचालय नहीं बन जाता, वो भूखी रहेंगी.</p><p>पेशे से मज़दूरी करने वाले उनके पिता संजय कुमार के लिए यह बहुत बड़ी बात थी. मज़दूरी करके वो अपने परिवार के सात लोगों का पेट पाल रहे थे. इससे पहले उन्होंने कभी घर के आंगन में शौचालय बनाने के बारे में नहीं सोचा था. </p><p>लेकिन लगभग दो दिन तक जब निशा रानी अपनी ज़िद पर अड़ी रही तब उनके माता पिता ने स्कूल के अध्यापक से इस बात की जानकारी हासिल करनी चाही कि आख़िर स्कूल में उनकी बेटी ने ऐसा क्या देख लिया है जो वो बिना कुछ खाए पिए अनशन पर बैठ गई है और अपनी शर्त मनवाने के लिए शौचालय के निर्माण की बात पर क़ायम है.</p><p>इससे पहले कि उनके पिता कोई दूसरा उपाय करते इस बात की जानकारी उस इलाके में आग की तरह फैल गई. </p><p>इसकी ख़बर जब सरकारी अमले को हुई तो इलाके के ब्लाक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) ने मौके पर पहुँचकर निशा रानी का अनशन तुड़वाया और जिला अधिकारी के आदेशाअनुसार उनके घर पर शौचालय बनाने का काम शुरू करने के आदेश दिए. </p><p>बीबीसी हिंदी से विशेष बातचीत में निशा रानी ने बताया कि जब उनके स्कूल में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत कार्यक्रम में नाटक मंडली ने सफाई से जुड़े हर पहलू पर प्रकाश डाला और प्रत्यक्ष रूप से इस बात को प्रमाणित किया कि किस प्रकार से आसपास की गंदगी से बीमारी फैलती है और इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ़ एक उपाय घर में शोचालय ही काफ़ी है, तो निशा रानी के दिमाग में ये बात घर कर गई और उसने अपने घर में शौचालय बनवाने की ज़िद ठान ली. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-37442105">’भारत को शौचालय चाहिए युद्ध नहीं'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2014/06/140627_toilets_women_da">शौचालय का वो ख़तरनाक रास्ता…</a></p><h1>शौचालय हासिल करके फेमस हुई निशा रानी</h1><p>जब से निशा रानी की एक छोटी सी पहल कामयाब हुई है कुद इलाके में उसकी चर्चा हो रही और सब इस नन्ही बच्ची की तारीफ कर रहे.</p><p>सिर्फ इतना ही नहीं उसके प्रयास के चलते स्कूल में साथ पढ़ रहे लगभग 35-40 बच्चे ऐसे थे जिन्होंने अपने घर जाकर भी यही बात करना शुरू कर दिया. </p><p>हायर सेकेंडरी स्कूल कुद के प्रिंसिपल मुकेश कुमार ने बीबीसी हिंदी को बताया कि निशा रानी की पहल के बाद छोटे से समय में चेनेनी ब्लाक में (जहाँ 20 ग्राम पंचायत हैं) लगभग 500 घरों में सरकार की तरफ से शौचालय बनाने का काम शुरू करवाया जा चुका है. </p><p>ब्लाक डेवलपमेंट अधिकारी लियाक़त अली ख़ान ने बीबीसी हिंदी को बताया कि उनके इलाके में कुल मिलाकर 7980 घर हैं जहाँ शौचालय बनाने का काम किया जाना है और अभी तक 1687 शौचालय पूरी तरह से बन कर तैयार हो गए हैं. </p><p>उन्होंने बताया कि 2018 के अंत तक उधमपुर ज़िले को खुले में शौच मुक्त ज़िला घोषित कर दिया जायेगा.</p><p>बीबीसी हिंदी से निशा रानी ने बताया कि वो आगे चलकर स्वच्छ भारत मिशन की सिपाही बनकर काम करना चाहती है ताकि वो भी ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से आम जनता के बीच इस बात की जानकारी पहुंचाए कि अच्छी सेहत के लिए शौचालय कितना ज़रूरी है. </p><p>निशा रानी ने कहा है कि उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में आगे चल कर पढ़ाई करनी है और वो पूरी लगन से डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा करना चाहती हैं. </p><p>निशा रानी ने बताया कि हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत केंद्रीय मंत्री डॉ. जीतेन्द्र सिंह ने भी उन्हें सम्मानित किया और स्वच्छ भारत मिशन में उनके योगदान की सराहना भी की.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक </a><strong>करें. आप हमें </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>

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