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भारतीय फुटबॉल: दो शीर्ष लीग और उनका विवाद

<p>चेन्नईयन के इंडियन सुपर लीग का ख़िताब जीतने के साथ ही भारत में टॉप फ़ुटबॉल लीग बीते शनिवार को खत्म हो गई. </p><p>साथ ही एक हफ्ते पहले ‘मिनरवा पंजाब’ ने तीन प्वॉइंट्स से आई-लीग में जीत हासिल की और भारत में शीर्ष फ़ुटबॉल लीग का समापन हो गया. </p><p>कंफ्यूज़ हो गए आप? दरअसल ऐसा इसलिए […]

<p>चेन्नईयन के इंडियन सुपर लीग का ख़िताब जीतने के साथ ही भारत में टॉप फ़ुटबॉल लीग बीते शनिवार को खत्म हो गई. </p><p>साथ ही एक हफ्ते पहले ‘मिनरवा पंजाब’ ने तीन प्वॉइंट्स से आई-लीग में जीत हासिल की और भारत में शीर्ष फ़ुटबॉल लीग का समापन हो गया. </p><p>कंफ्यूज़ हो गए आप? दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में दो प्रतिद्वंद्वी शीर्ष लीग काम कर रही हैं. </p><p>और ऐसा लगता है कि इन दोनों लीगों का ये मामला इतनी जल्दी सुलझने वाला नहीं है. </p><h1>रुको, क्या?</h1><p>भारत में इस समय दो शीर्ष लीग हैं – एक आई-लीग और दूसरी आईएसएल यानी इंडियन सुपर लीग – और दोनों ही दावा करती हैं कि वो ‘असली’ टॉप लीग हैं.</p><p>आई-लीग मार्च की शुरुआत में ही खत्म हो गई थी, जबकि शनिवार को आईएसएल का फैसला प्लेऑफ़ से हुआ, जिसमें चेन्नईयन ने बेंगलुरु को 3-2 से हरा दिया.</p><p>आई-लीग लंबे समय से खेली जा रही लीग है. साल 1996 में नेशनल फ़ुटबॉल लीग के तौर पर भारत में इसकी शुरुआत हुई. </p><p>इसे शुरू करने का मक़सद फ़ुटबॉल का व्यवसायीकरण करना था. साल 2007 में ये अपने मौजूदा स्वरूप में आया, तबसे इसपर गोवा की टीमों का वर्चस्व बना हुआ है. </p><p>दूसरी तरह इंडियन सुपर लीग 2013 से वजूद में आई और इसी सीज़न से इसे आधिकारिक मान्यता मिली. दोनों ही लीग में फिलहाल 10 टीमें हैं. </p><p>हालांकि आई-लीग में टीमों का प्रदर्शन के आधार पर फेरबदल किया जाता है, वहीं आईएसएल अमरीका की मेजर लीग सोसर की तर्ज पर बनाई गई है.</p><p>आई-लीग में जीतने वाली टीम को एशियन चैम्पियनशिप लीग के लिए क्वॉलिफ़ाइंग में हिस्सा लेना का हक होता है.</p><p>हालांकि अभी तक कोई टीम इसे क्वॉलिफ़ाई कर नहीं पाई है. वहीं दूसरी ओर आईएसएल जीतने वाले सिर्फ एएफसी कप के लिए ही खेल सकते हैं. </p><p>दोनों लीग में खेलने वाले खिलाड़ी भी अलग होते हैं. आई-लीग की टीमें मुख्य रूप से भारत से अपने खिलाड़ियों का चयन करती है, लेकिन वो विदेशी खिलाड़ियों का इस्तेमाल भी करते हैं जो कि पश्चिम अफ्रीका और ओशिनिया के ऐसे खिलाड़ी होते है जिन्हें अमूमन कोई जानता नहीं.</p><p>वहीं आईएसएल में कई ऐसे नाम होते हैं जिनसे 2000 के दशक में प्रीमियर लीग देखने वाले लोग परिचित होंगे. इस लीग में ऐसे खिलाड़ी भी होते हैं जो अपने करियर के अंतिम पड़ाव में हैं या वो कोच जिनमें किसी नई जगह काम करने की चाहत है.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/sport-43102168">पत्नी के पैसे चुराकर ख़रीदा फुटबॉल क्लब!</a></p><p><strong>ऐसा कैसे हुआ</strong><strong>? </strong></p><p>दो लीग होने के पीछे क्लबों और भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन के बीच का मतभेद है. ये मतभेद देश में फुटबॉल खेले जाने के तरीके और इसके प्रचार को लेकर था. </p><p>इसकी कई वजहें बताई जाती हैं, लेकिन असल वजह 15 साल की एक डील है जिसे भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन (एआईएफएफ) ने 2011 में साइन किया था. </p><p>इस डील के तहत अमरीका के एक समूह, आईएमजी-रिलायंस को प्रायोजन, विज्ञापन, प्रसारण, मर्चेंडाइजिंग, वीडियो, फ्रेंचाइज़िंग और इससे भी अहम एक नया फुटबॉल लीग बनाने का अधिकार दे दिया गया.</p><p>आई-लीग क्लब्स ने अपने खुद की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए ज़रूरी कागज़ात पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. दरअसल उन्हें लग रहा था कि उनका जितना प्रचार होना चाहिए, आईएमजी उतना नहीं कर रहा है.</p><p>एआईएफएफ के विरोध में उसने अपनी खुद की संस्था बना ली. </p><p>दो साल बाद आईएमजी और एआईएफएफ ने ब्रॉडकॉस्टर स्टार स्पोर्ट्स के साथ मिलकर आईएसएल बनाने की घोषणा की. </p><p>आईएसएल को क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीक की सफलता को देखते हुए उसी तर्ज पर शहर-आधारित फ्रेंचाइजी पर बनाया गया था. </p><p>इसे 2014 में लांच किया गया, जिसमें लुइस गार्सिया, एलानो, एलेसेंड्रो डेल पिएरो, रॉबर्ट पाइर्स, डेविड जेम्स, फ्रेड्रिक लजुंगबर्ग, जोन कैपेडिविला और डेविड ट्रेजेगाकेट जैसे खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. </p><p>हालांकि 2017 में ही फीफा और एशियन फुटबॉल कंफेडरेशन से इसे मान्यता मिल गई.</p><p>लेकिन आईएसएल लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रही है, इसकी वजह ना सिर्फ इसके बॉलीवुड और क्रिकेट स्टार मालिक हैं, बल्कि एक वजह बड़े इगो भी हैं जो वहां खत्म हुए हैं. </p><p>सुपरस्टार क्लब एटीके के संघर्ष में भरपूर ड्रामा था. उदाहरण के लिए इंग्लैंड के स्ट्राइकर टेडी शेरिंघम को सीज़न के बीच में हटा दिया गया और उनकी जगह अंग्रेजी खिलाड़ी एशले वेस्टवुड ने ले ली. एशले ने भी जब नौ गेमों में सिर्फ एक प्वाइंट बनाया तो उन्हें निकाल बाहर किया गया. </p><p>अंतिम मैच में रोबी कीन को कैप्टन बना दिया गया और एटीके ने एक बार फिर जीत दर्ज की.</p><p>इसके अलावा केरला ब्लास्टर्स के इंग्लिश कोच को लेकर भी विवाद देखने को मिला. स्टार प्लेयर दिमितर बरबातोव ने इंस्टाग्राम पर नाम लिए बगैर उनके लिए पोस्ट लिखा और &quot;#worstwannbecoachever&quot; से उन्हें संबोधित किया. पोस्ट में बरबातोव ने उनकी कोचिंक के तरिकों पर भी सवाल उठाए. </p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/sport-43140187">18 साल से जीतने वालों को तमिलनाडु की लड़कियों ने हरा दिया</a></p><h1>क्या समाधान निकलेगा? </h1><p>ऐसा लगता है कि मौजूदा स्थिति कम से कम एक और साल तक बनी रह सकती है.</p><p>ऐसी संभावना थी कि अगर दोनों लीग एक साथ होती हैं, और दोनों का सीज़न एक ही महीने में खत्म होता है, तो दोनों में से एक लीग अपने पैर पीछे खींच लेगी. लेकिन किसी ने भी ऐसा नहीं किया.</p><p>साल 2016 में आईएसएल ने आई-लीग को सलाह दी कि आईएसएल टॉप टायर बन जाए और आई-लीग इसकी फीडर प्रतियोगिता. लेकिन आई-लीग ने इससे इनकार कर दिया. </p><p>भारत के कोच स्टिफन कॉन्स्टेंटिन विवाद के राष्ट्रीय टीम पर पड़ रहे असर को लेकर चिंतित है.</p><p>इस सीज़न में दोनों प्रतियोगिताओं में बड़ी तादाद में रेफरिंग गलतियां देखने को मिली.</p><p>पहले भी ऐसी ही स्थितियां देखने को मिली हैं – जैसे अमरीका मोटर रेसिंग में जब इंडियापोलिस 500 ने चैम्प कार प्रतिद्वंद्वी रेसिंग प्रतियोगिता शुरू की. एक और प्रतियोगिता खड़ी करने के पीछे खेल को लेकर अलग-अलग नज़रिया था. </p><p>इसका नुकसान दोनों ही संस्थाओं को उठाना पड़ा, लेकिन आखिर में आईआरएल जीत गया और चैम्प कार आईआरएम में मिल गया.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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