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गोदार, रिवोल्यूशन और सिनेमा

विश्व सिनेमा माइकेल हाजाविसियस की विवादास्पद फ्रेंच फिल्म ‘रिडाउटेबल’ दुनिया के महान फिल्मकार ज्यां लुक गोदार की बायोपिक है. यह फिल्म विवादास्पद इसलिए हुई, क्योंकि इसमें गोदार का पक्ष कहीं नहीं आया है. एक बेहतरीन फिल्मकार के रिवोल्यूशनरी होने की यह कहानी विलक्षण है. आज यदि आप पूछें कि दुनिया का सबसे महान फिल्मकार कौन […]

विश्व सिनेमा

माइकेल हाजाविसियस की विवादास्पद फ्रेंच फिल्म ‘रिडाउटेबल’ दुनिया के महान फिल्मकार ज्यां लुक गोदार की बायोपिक है. यह फिल्म विवादास्पद इसलिए हुई, क्योंकि इसमें गोदार का पक्ष कहीं नहीं आया है. एक बेहतरीन फिल्मकार के रिवोल्यूशनरी होने की यह कहानी विलक्षण है.

आज यदि आप पूछें कि दुनिया का सबसे महान फिल्मकार कौन है, तो जवाब होगा- ज्यां लुक गोदार. अपनी पहली फिल्म ‘ब्रेदलेस’ (1960) से लेकर अंतिम फिल्म ‘गुडबाय टू लैंग्वेज’ (2014) तक सत्तासी वर्षीय इस दिग्गज फिल्मकार ने दुनियाभर में तहलका मचाये रखा. गोदार का कहना है कि सिनेमा में भाषा या संवाद की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह तो दृश्य माध्यम है. अब खुद पर बनी एक फिल्म ‘रिडाउटेबल’ के कारण वे बहस का केंद्र बन गये हैं.
माइकेल हाजाविसियस की विवादास्पद फ्रेंच फिल्म ‘रिडाउटेबल’ महान फिल्मकार गोदार की बायोपिक है. 1967 में 37 वर्ष के गोदार ने अपने से बीस साल छोटी अपनी फिल्म की नायिका एनी वायजेम्सकी से प्रेम किया और विवाह किया. यह संबंध 1979 तक चला. गोदार की दूसरी पत्नी एनी वायजेम्सकी ने गोदार के साथ अपने प्रेम और दांपत्य पर एक किताब लिखी- ‘वन ईयर आफ्टर’ (2015). यह फिल्म उसी किताब का सिनेमाई संस्करण है. यह फिल्म विवादास्पद इसलिए हुई, क्योंकि इसमें गोदार का पक्ष कहीं नहीं आया है.
अपनी फिल्म ‘द आर्टिस्ट’ (2011) के लिए मुख्य वर्ग में कई ऑस्कर जीतनेवाले माइकेल हाजाविसियस नें 1967-68 के उथल-पुथल भरे पेरिस की पृष्ठभूमि में गोदार के बहाने राजनीतिक बहसों और घटनाओं की भीड़ लगा दी है. मई 1968 के छात्र आंदोलन (रिवोल्यूशन) में गोदार की सक्रिय भागीदारी और माओत्से तुंग के कम्युनिस्ट विचारों के प्रति उनके अड़ियल रवैये को लेकर बार-बार बहसें हैं. फ्रांस के पारिवारिक फिल्म उद्योग से उनका विद्रोह और साथ में सेक्स को लेकर साहसिक प्रयोग भी हैं.
एक बेहतरीन फिल्मकार के रिवोल्यूशनरी होने की यह कहानी विलक्षण है. मोटे फ्रेमवाले चश्मे का बार-बार टूटना और थियेटर के अंधेरे में काले चश्मे से फिल्म देखना, पेरिस की सड़कों पर सरकार विरोधी प्रदर्शन में भाग लेना और पुलिस की मार से बचते हुए भागना, कान फिल्म समारोह का बहिष्कार, और सिनेमा को लेकर बहसों में हमेशा अड़ियल बने रहना- यह सब जैसे जीवंत इतिहास से गुजरना है. जुलूस में एक औरत गोदार से पूछती है कि अब वे ‘ब्रेदलेस’ जैसी उम्दा फिल्में क्यों नही बनाते.
वुडी एलेन की तरह लोग गोदार की पुरानी फिल्मों को ही मिस करते है. गोदार हजारों नौजवानों की नाराजगी का खतरा मोल लेकर भी कहते हैं कि ‘यहूदी लोग जो फिलिस्तीन में कर रहे हैं, वह सब उन्हें नव नाजी साबित करता है.’ गोदार 87 साल की उम्र में भी सिनेमा में सक्रिय हैं.
फिल्म में युवा गोदार की भूमिका लुई गैरेल और एनी वायजेम्सकी का चरित्र स्टेसी मार्टिन ने निभाया है. गोदार बार-बार वायजेम्सकी में अपनी पहली पत्नी अन्ना करीना की छवियां देखते है, फिर भी वे दुखद अलगाव टाल नहीं पाते.
दोनों के दांपत्य का संग-साथ पेरिस की गलियों, सभाओं, पार्टियों, बैठकों, सड़कों, होटलों और बेडरूम से रसोई घर तक सुगंध की तरह फैला हुआ है. सिनेमा के इस महाबली को यह फिल्म थोड़े छलावे से ही सही, पर गहराई से दिखाती है. एक बहस में गोदार कहते है- ‘यदि लोग अब मेरी फिल्में नहीं पसंद करते, तो उनकी सोच में गड़बड़ है, फिल्मों में नहीं.’ इस फिल्म को देखते हुए एक सवाल परेशान करता है कि भारत में ऐसी उम्दा बायोपिक फिल्में क्यों नहीं बनती? काश कि हम कभी सत्यजीत राय पर ऐसी ही फिल्म बना पाते!
अजित राय
संपादक, रंग प्रसंग, एनएसडी

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