11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जहां बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं किन्नर

किन्नर नाम लेते ही अक्सर ताली पीटते हुए नाचने-गाने वाले लोगों की तस्वीरें आंखों के सामने उभरती है. लेकिन यही किन्नर बाढ़ प्रभावित इलाकों में इस बार एक अलग भूमिका में नजर आ रहे हैं. पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाकों में आई भयावह बाढ़ से काफी लोग प्रभावित हुए हैं. ऐसे लोगों की मदद के […]

किन्नर नाम लेते ही अक्सर ताली पीटते हुए नाचने-गाने वाले लोगों की तस्वीरें आंखों के सामने उभरती है. लेकिन यही किन्नर बाढ़ प्रभावित इलाकों में इस बार एक अलग भूमिका में नजर आ रहे हैं.

पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाकों में आई भयावह बाढ़ से काफी लोग प्रभावित हुए हैं. ऐसे लोगों की मदद के लिए क़रीब 50 किन्नरों का एक गुट मदद के लिए आगे आया है. दिलचस्प बात यह है कि यह लोग तीन अलग-अलग संगठनों से जुड़े हैं.

पश्चिम बंगाल इस साल दो दौर में आई भारी बाढ़ से जूझ रहा है. पहले दौर में दक्षिणी बंगाल के जिले डूबे और दूसरे दौर में उत्तरी बंगाल के छह जिले.

‘किन्नर बने देवदूत’

बाढ़ से राज्य में 152 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा हजारों हेक्टेयर में खड़ी फसलें भी तबाह हुई हैं.

आम तौर पर किन्नरों को देखकर असहज होने वाले लोग भी इनसे सहायता पाकर बेहद खुश हैं.

दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालूरघाट में एक सरकारी राहत शिविर में रहने वाले मृणाल विश्वास कहते हैं, ‘सरकार की ओर से मिलने वाली राहत सामग्री नाकाफी है. कुछ इलाकों में तो वह भी नहीं पहुंची है. ऐसे में अक्सर उपेक्षा और नफरत की निगाह से देखे जाने वाले यह किन्नर बेहद अहम काम कर रहे हैं.’

मालदा के कालियाचक इलाके में एक स्कूल में शरण लेने वाले खगेंद्र मंडल कहते हैं, ‘यह लोग हमारे लिए तो देवदूत ही साबित हुए हैं.’

कई किन्नर संगठन मिलकर कर रहे हैं ये काम

राज्य में किन्नर पहली बार बाढ़ राहत के काम में उतरे हैं.

राजधानी कोलकाता के अलावा मालदा व उत्तर दिनाजपुर जिलों के कोई चार दर्जन किन्नरों ने अपने बूते विभिन्न इलाकों से कपड़े, खाने-पाने का सामान और कीटनाशक जुटाकर उसे बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित मालदा और दक्षिण दिनाजपुर के बाढ़ पीड़ितों में जाकर बांट रहे हैं.

उत्तर दिनाजपुर में किन्नरों के संगठन नूतन आलो (नया प्रकाश), कोलकाता के किन्नर अधिकार समूह समभावना और मालदा के एक संगठन ने मिलकर इसकी योजना बनाई और इसे बखूबी अंजाम भी दिया.

मालदा की किन्नर देवी आचार्य बताती हैं, ‘बाढ़ के प्रकोप को देखते हुए हमने राहत पहुंचाने की योजना बनाई थी. इसके लिए उन इलाकों में घर-घर जाकर कपड़े और खाने-पीने के सामान जुटाए गए जो बाढ़ की चपेट में नहीं थे.’

देवी के मुताबिक, जब लगा कि अकेले मालदा जिले में जुटाने से ज्यादा राहत सामग्री नहीं जुटेगी तो बाद में कोलकाता और दिनाजपुर में कुछ संगठनों से सहायता ली गई.

कोलकाता से भी भारी मात्रा में राहत सामग्री मालदा और उत्तर दिनाजपुर में दोनों संगठनों को भेजी गई.

‘राहत बांटते वक्त नहीं होता भेदभाव’

देवी कहती हैं, ‘किन्नरों से जीवन के हर कदम पर भेदभाव होता है. लेकिन हमने राहत बांटने में कोई भेदभाव नहीं दिखाया. ऐसा नहीं कि हमने सिर्फ अपने समुदाय के लोगों को ही राहत दी हो. यह राहत सबसे लिए समान थी.’

उत्तर दिनाजपुर जिले में किन्नरों के संगठन नतून आलो की जयिता माही मंडल कहती हैं, ‘हमें रोजाना भेदभाव और कटु टिप्पणियां सहनी पड़ती हैं. समाज को हमारी कोई चिंता नहीं है. लेकिन संकट की इस घड़ी में हम मानवता की अनदेखी नहीं कर सकते.’

कोलकाता से इस राहत अभियान की रूप-रेखा तय करने वाले अभिनव दत्ता फिलहाल यहां इस तबके के अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं.

इनमें एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन-गे-बाइसेक्सुअल-ट्रांसजेंडर-क्वीयर) परेड का आयोजन और फिल्म समारोह आयोजित करना भी शामिल है.

दत्त बताते हैं, ‘संकट की घड़ी में बाढ़ में फंसे लोगों की सहायता करना हम सबकी ड्यूटी है. हमने नाम कमाने के लिए नहीं, बल्कि मानवता की पुकार पर ऐसा किया है.’

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें