देश की आधी आबादी की सुध लेने की फुर्सत किसी राजनीतिक दल के पास नहीं है. हालांकि महिलाएं कई राज्यों की मुख्यमंत्री हैं, कई राजनीतिक पार्टियां की सर्वेसर्वा हैं फिर भी टिकट देने से लेकर उनकी जरूरतों-समस्याओं पर बोलने से सभी बचते हैं.
संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात वर्षो से अटकी पड़ी है. महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आíथक निर्भरता, दूसरे शहरों में काम करने जाने वाली महिलाओं के मामले मेनिफेस्टो में पार्टियां शामिल भी कर लें तो उस पर उनका तवज्जो नहीं रहता.
यह है हकीकत
विश्व में कामकाजी महिलाओं के मामले में भारत संभवत: सबसे पिछड़ा देश है. यहां 15 वर्ष से अधिक उम्र की 29 फीसदी लड़किया ही काम करती हैं. स्नातक स्तर पर महिलाओं की बेरोजगारी के मामले में भारत विश्व में नंबर एक है. यहां 60 फीसदी महिलाएं बेरोजगार हैं.
महिलाओं के लिए सरकार महिला बैंक तो खोलती हैं लेकिन रहने की अच्छी व्यवस्था, शौचालय की साफ-सुथरी व्यवस्था की तरफ ध्यान नहीं देती है. इस वजह से अकेले रहने वाली महिलाएं दूसरे शहरों में जाने से हिचकती हैं और बीच में ही काम छोड़ देती हैं.