उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की आम आदमी भी निगरानी कर सकता है. सच तो यह है कि जब तक आम आदमी इसे लेकर सामने नहीं आयेगा और पैसे के दुरूपयोग को लेकर शिकायत करने का साहस नहीं करेगा, तब तक लेखा परीक्षा की व्यवस्था बहुत कारगर साबित नहीं होगी. चुनावी खर्च की सीमा आयोग ने तय कर दी है. यह सीमा लोकसभा चुनाव में अधिकतम 70 लाख है. किसी उम्मीदवार को इससे अधिक राशि खर्च नहीं करनी है.
इस की निगरानी के लिए चुनाव आयोग ने अपने तौर पर मुकम्मल व्यवस्था की है. आयकर विभाग भी उसके साथ है, लेकिन चुनाव प्रचार और इसके खर्च का दायरा इतना व्यापक है कि इसकी पूरी-पूरी और सही-सही निगरानी चुनाव आयोग के लिए संभव नहीं है. इसमें आम नागरिकों का सहयोग हर हाल में चाहिए. इसलिए आप भी इस बात की निगरानी कर सकते हैं कि कोई उम्मीदवार किस-किस तरह से और कितनी-कितनी राशि खर्च कर रहा है.
कौन कर सकता है शिकायत
उम्मीदवारों द्वारा धन के दुरूपयोग की शिकायत करने का अधिकार सभी नागरिक को प्राप्त है. अगर किसी व्यक्ति को ऐसी कोई शिकायत मिलती है, तो वह चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त व्यय प्रेक्षक को इसकी जानकारी दे सकता है. वह चाहे, तो उसका नाम-पता गुप्त रखा जायेगा.
इस तरीके से लग सकता है अंकुश
उम्मीवार के चुनावी खर्च के ब्योरे पर पैनी नजर रखें. उम्मीदवार खुद भी खर्च पर अंकुश रखें. चुनावी खर्च सीमा तय है. इससे अधिक राशि खर्च करने से उम्मीदवार बचें. आम आदमी भी यह देखे कि किस तरह के बैनर-पोस्टर का इस्तेमाल चुनाव में हो रहा है.
खर्च के मामले में उम्मीदवारों के पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखें. उसी हिसाब से इस बार के चुनाव में उनके खर्च से जुड़ी सूचनाओं को संग्रहित करें.
इसके लिए स्वीप संबंधी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसके तहत नुक्कड़ नाटक, नाटक मंचन, दीवार लेखन एवं अन्य जागरूकता संबंधी कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है.
उम्मीदवारों को आय-व्यय का पूरा विवरण रखना है तथा उसे चुनाव पर्यवेक्षक को सौंपना है. पर्यवेक्षक को उसे आम जनता तक पहुंचाना है.
काले धन पर नजर रखने के लिए आयकर पदाधिकारियों को एक तंत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे भी हर तरह की कार्रवाई की सूचना जनता को देनी है.
राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारों के प्रत्येक लेन-देन की वीडियो रिकॉर्डिग या फोटोग्राफी भी की जानी है. आप देखें कि ऐसा हो रहा है या नहीं.
उम्मीदवारों द्वारा बैंको से किये जाने वाले लेन-देन की राशि की सीमा तय है. इस पर आयकर विभाग की नजर भी है. अगर नगद लेन-देन होता है, तो आप उस पर नजर रख सकते हैं और किसी भी गड़बड़ी की सूचना आयोग के स्थानीय अधिकारी को दे सकते हैं.
डमी प्रत्याशियों पर विशेष नजर रखी जा रही है. आप भी उन पर नजर रों. आयकर भी प्रत्याशियों पर नजर रख रहा है.
चुनाव आयोग की पहल का असर भी
चुनाव आयोग द्वारा पूर्व में भी धन के दुरूपयोग पर रोक लगाने के लिए कई प्रयास किये गये है तथा काफी हद तक रोक लगी भी है़ उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार में लगे कार्यकर्ताओं पर, पार्टी की गतिविधियों, बैनर, पोस्टर, प्रचार वाहन, जनसभाओं, चुनाव अभियानों में लगने वाले सामग्री तथा मीडिया आदि पर होने वाले व्यय को उम्मीदवार के खर्च में जोड़ा जाता है़ इसके साथ ही चुनाव आयोग ने चुनाव खर्च की सीमा 70 लाख रुपये तय कर दी है़ काले धन के उपयोग एवं उम्मीदवारों के खर्च पर नजर रखने के लिए आयकर पदाधिकारियों की भी नियुक्ति किया गया है़
शिकायत व सूचना के लिए टॉल फ्री नंबर
प्रत्याशियों पर कड़ी नजर रखने के लिए बिहार एवं झारखंड में इनके राजधानी में एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है तथा इसके लिए एक टॉल फ्री नंबर जारी किया गया है़ पटना का नंबर 180035639 तथा रांची का नंबर 1800356547 है़
नाम रहेगा गुप्त मिलेगा इनाम
चुनाव आयोग ने धन के दुरूपयोग को रोकने के लिए आम आदमी से मदद की उम्मीद की है. इसके तहत टॉल फ्री नंबर पर कोई भी व्यक्ति चुनाव अवधि में नगदी लेन-देन एवं धन के दुरूपयोग की सूचना दे सकता है़ सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जायेगा तथा उन्हें इनाम दिया जायेगा़
इस तरह की लेन-देन पर कड़ी नजर
सड़कों पर वाहन जांच के दौरान 50 हजार से अधिक नगदी पाये जाने पर इसकी सूचना आयकर विभाग को देने का आदेश दिया गया है़
बैंक से दस लाख से ज्यादा के लेन-देन होने पर उसकी सूचना आयकर विभाग को देनी होगी़
लोक सभा चुनाव क्षेत्र के सभी होटलों में ठहरने वालों लागों की जांच की जानी है.
राजनैतिक गतिविधियों के केंद्रों पर खुफिया एजेंसियों के लोगों को भी तैनात किया गया है ताकि मतदाताओं के बीच धन खर्च करने वालों पर कार्रवाई हो सक़े
एयरपोर्ट पर भी एयर इंटिलिजेंस यूनिट को तैनात किया गया है़
यदि कोई उम्मीदवार अपने लिए डमी उम्मीदवार खड़ा करता है और जांच के दौरान सही पाया जाता है, तो डमी उम्मीदवार के सभी खर्च को उस उम्मीदवार के खर्च में जोड़ा जायेगा.
चुनाव अवधि के बीच पड़ने वाले पर्व-त्योहार के नाम पर प्रत्याशियों द्वारा किये जाने वाले खर्च पर भी नजर रखी जा रही है. इसके लिए राजनीतिक गतिविधियों की वीडियो रिकॉर्डिग करायी जानी है.
इस तरह चुनाव के लेखा परीक्षण के जरिये राजनैतिक दलों एवं प्रत्याशियों के व्यय पर अंकुश लगाने, काले धन के उपयोग को रोकने तथा निष्पक्ष एवं स्वतंत्र मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ी पहल की है. इसमें कई चुनौतियां भी हैं. इन चुनौतियों को आम आदमी की मदद से ही पूरा किया जा सकता है.