तीन दिनी यात्रा पर पीएम जापान पहुंचे
।। तोक्यो से अनुज कुमार सिन्हा ।।
भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह सोमवार की रात जापान की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे. एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी का स्वागत किया गया. डॉ सिंह बुधवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ बातचीत करेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान मिल कर एशिया में शांति और खुशहाली ला सकते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत रक्षा, राजनीति, इनफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा के क्षेत्र में जापान के साथ बातचीत करने का इच्छुक है. इस दौरे से दोनों देशों के बीच के संबंध को और मजबूती मिलने की संभावना है. दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव और उससे निबटने के लिए भारत और जापान तेजी से करीब आ रहे हैं.
दोनों देशों की बीच आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में मजबूती आ सकती है. समझा जाता है कि जापान भारत को यूएस-2 विमान बेचने पर सहमत हो सकता है. इस विमान का उपयोग जापान की सेना करती है. जापान में विकसित यह विमान काफी आधुनिक माना जाता है. जापानी कंपनी शिनमायवा ने इसे विकसित किया है. जापान की नौसेना ने इसे 10 बिलियन येन में खरीदा है.
यह विमान 4700 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है. जरूरत पड़ने पर समुद्र में दो-तीन मीटर की लहरों के बीच भी उतर सकता है. अगर यह समझौता हो जाता है, तो जापान द्वारा हथियारों की तकनीक बेचने पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत इसे लेनेवाला पहला देश हो जायेगा.
जापान तेजी से रक्षा उद्योग का विस्तार करना चाहता है. उसने कई तकनीक बेची है. पर अभी तक यह अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट किसी को देश को नहीं बेचा है. वर्ष 2011 में जापान ने प्रतिबंध में नरमी बरती, जिससे जापान की कंपनियों को इसका लाभ मिला है. दोनो देशों के प्रधानमंत्री के बीच होनेवाली वार्ता के बाद जापान भारत को इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 71 बिलियन येन का लोन भी दे सकता है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत और जापान मिल कर आपसी व्यापार के मामले में काफी काम कर सकते हैं. उन्होंने जापान से आग्रह किया कि वह भारत में निवेश के लिए आगे आये.
भारत में बेहतर माहौल बना है. इसका लाभ उठाये. भारत चाहता है कि जापान के साथ जल्द से जल्द नागरिक परमाणु सहयोग समझौता हो. जापान एक संवेदनशील देश है. वर्ष 2011 में हुए परमाणु हादसे के बाद एक अलग तरह का माहौल बना है. इसके लिए भारतीय प्रधानमंत्री जापान के विभिन्न दलों के नेताओं से भी मिलेंगे.
सिंह ने जापान को ‘भारत के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक साङोदार’ बताया. भारतीय पक्ष में आधिकारिक सूत्रों ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि जापान के रिश्ते को लेकर भारत की गति मंद है, क्योंकि वह चीन को नाराज नहीं करना चाहता. सूत्रों ने कहा, ‘वर्ष 2011 की फुकुशिमा परमाणु त्रसदी के बाद जापानी पक्ष में संवेदनशीलताएं हैं. हम उनका सम्मान करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘जब जापान इस ओर देख रहा है कि परमाणु अप्रसार व्यवस्था को किस तरह मजबूत किया जाये, तो भारत का यह विचार है कि असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग से अप्रसार व्यवस्था को मजबूती मिलेगी.’ सूत्रों ने कहा, ‘भारत जापानी पक्ष की ओर से अपनायी गयी गति को लेकर बहुत खुश है.’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जापान दौरा पिछले साल नवंबर में प्रस्तावित था, लेकिन दिसंबर में वहां आम चुनाव होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था.
मनमोहन ने रवाना होने से पूर्व अपने बयान में कहा कि वह राजनीतिक, सुरक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में जापान के साथ भारत के संबंध मजबूत करने पर बात करेंगे. भारत-अमेरिका परमाणु करार का और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रतिबंधों से भारत को छूट दिये जाने का जापान ने स्वागत किया है.
वहीं, वहां की सरकारों को अप्रसार संबंधी खेमे के तीव्र विरोध के चलते राजनीतिक समर्थन जुटाने में मुश्किल हुई है. जापान द्वारा परमाणु उपकरण और प्रौद्योगिकी की भारत को बिक्री पर भारत के पूर्व परमाणु परीक्षणों, परमाणु अप्रसार संधि तथा व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर से नयी दिल्ली के लगातार इनकार के चलते इस आधार पर असर पड़ा है कि यह सब भेदभावपूर्ण है.
मनमोहन सिंह के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी, विदेश सचिव रंजन मथाई और कई दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी जापान पहुंचे हैं.