25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या बिहार के राजनीतिक रुख को पहचान गए हैं रामविलास पासवान, जो बदल रहे हैं मूड?

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए तारीखों की घोषणा होने के साथ ही सूबे में सियासी सरगर्मी भी तेज हो गयी है. हालांकि, यह बात दीगर है कि चुनाव की तिथियों का ऐलान होने के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठनबंधन (NDA) के घटक दलों और महागठबंधन की पार्टियों के बीच सीटों को लेकर अभी तक तालमेल नहीं बन पाया है. एनडीए में सीटों को लेकर लोजपा और अन्य घटक दलों के साथ रस्साकशी जारी है, वहीं महागठबंधन में वामदलों को लेकर राजद और कांग्रेस में खींचतान बरकार है. एनडीए के प्रमुख घटक दलों में शुमार लोजपा ने सीट बंटवारे को लेकर कुछ शर्तें रख दी हैं, जिसके चलते गतिरोध बना हुआ है.

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए तारीखों की घोषणा होने के साथ ही सूबे में सियासी सरगर्मी भी तेज हो गयी है. हालांकि, यह बात दीगर है कि चुनाव की तिथियों का ऐलान होने के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठनबंधन (NDA) के घटक दलों और महागठबंधन की पार्टियों के बीच सीटों को लेकर अभी तक तालमेल नहीं बन पाया है. एनडीए में सीटों को लेकर लोजपा और अन्य घटक दलों के साथ रस्साकशी जारी है, वहीं महागठबंधन में वामदलों को लेकर राजद और कांग्रेस में खींचतान बरकार है. एनडीए के प्रमुख घटक दलों में शुमार लोजपा ने सीट बंटवारे को लेकर कुछ शर्तें रख दी हैं, जिसके चलते गतिरोध बना हुआ है.

सत्तासीन एनडीए में सीटों को लेकर जारी रस्साकशी के बीच कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि बिहार में राजनीति के ‘मौसम वैज्ञानिक’ रामविलास पासवान ने कहीं हवा के रुख को पहचान तो नहीं लिए हैं? ऐसा कयास इसलिए भी लगाया जा रहा है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव कई मौकों पर पासवान की राजनीतिक परख को लेकर इस प्रकार की टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि रामविलास पासवान से अच्छा मौमस वैज्ञानिक भारत की राजनीति में नहीं हुआ.

मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार, रामविलास पासवान चुनाव से पहले भांप लेते हैं कि जनता का मूड क्या है. यही वजह है कि रामविलास पासवान 1990 से हमेशा सत्ता के साथ रहे हैं. केवल 2009 का लोकसभा चुनाव अपवाद है जब रामविलास पासवान राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक रूप में फेल रहे थे. इसके अलावा, कोई ऐसा मौका नहीं है, जब रामविलास पासवान जनता का मूड भांपने में चूक गए होंगे.

चिराग पासवान के नेतृत्व में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेगी लोजपा

राजनीति में जनता के मूड भांपने में माहिर रामविलास पासवान ने फिलहाल पार्टी की कमान बेटे चिराग पासवान को सौंप रखी है और बिहार में पहला विधानसभा चुनाव होगा, जब चिराग के नेतृत्व में लोजपा लड़ेगी. मीडिया में इस बात की चर्चा है कि सीटों को लेकर चिराग एनडीए के सामने अधिक सीटों की शर्त रख रहे हैं और गठबंधन के अहम चेहरे और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार की खामियां गिनाने में जुटे हुए है. ऐसे में सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि क्या बिहार की राजनीति के मौसम वैज्ञानिक का मूड बदल रहा है?

एनडीए से लोजपा ने मांगे 42 सीट

मीडिया की खबरों के अनुसार, एनडीए के घटक दल लोजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 42 सीटों की मांग की है. अगर उसे इतनी सीटें नहीं मिलती हैं, तो वह अकेले ही चुनावी मैदान में ताल ठोंक सकती है. सूत्रों के हवाले से मीडिया में इस बात की चर्चा की जा रही है कि लोजपा 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव की ही तरह इस बार भी 42 सीटों पर चुनाव लड़ने की जिद पर अड़ी है. पार्टी का यह तर्क है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने बिहार की 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था, तो उसे प्रत्येक संसदीय सीट के अनुपात से 6 विधानसभा सीट पर जीत मिली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह 6 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे एक राज्यसभा सीट मिली थी. ऐसे में, उसे विधानसभा की 42 सीट मिलनी चाहिए.

सीटों पर तालमेल नहीं बनने पर अकेले भी चुनाव लड़ सकती है लोजपा

अब ऐसे में यह कयास भी लगाया जा रहा है कि सीटों के बंटवारे को लेकर अगर एनडीए के अन्य घटक दलों के साथ लोजपा की सहमति नहीं बनती है, तो वह अकेले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर सकती है. सूत्रों के हवाले से मीडिया में यह खबर भी चल रही है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान सीटों के बंटवारे को लेकर बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव से जल्द ही मुलाकात भी कर सकते हैं.

Also Read: Bihar Vidhan Sabha Election Date 2020 : लोजपा में अभी सीटों पर नहीं बनी हैं बात, पार्टी के अंदर भी खींचतान

Posted By : Vishwat Sen

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें