अम्बुर इय्यप्पा- फ्लिपकार्ट कंपनी के पहले कर्मचारी है. आज करोड़पति है. अगर अम्बुर इय्यप्पा ने 2009 में पुरानी नौकरी छोड़कर फ्लिपकार्ट की नौकरी नहीं की होती, तो आज उसके पास इतने पैसे नहीं होते और फ्लिपकार्ट कंपनी की शायद किस्मत कुछ और होती .
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जानें, फ्लिपकार्ट के पहले कर्मचारी ’अम्बुर इय्यप्पा’ को
अम्बुर इय्यप्पा- फ्लिपकार्ट कंपनी के पहले कर्मचारी है. आज करोड़पति है. अगर अम्बुर इय्यप्पा ने 2009 में पुरानी नौकरी छोड़कर फ्लिपकार्ट की नौकरी नहीं की होती, तो आज उसके पास इतने पैसे नहीं होते और फ्लिपकार्ट कंपनी की शायद किस्मत कुछ और होती . अम्बुर इय्यप्पा और फ्लिपकार्ट की कहानी किसी पटरियों के बीच दौड़ने […]
अम्बुर इय्यप्पा और फ्लिपकार्ट की कहानी किसी पटरियों के बीच दौड़ने वाली ट्रेन जैसी है. सचिन बंसल और बिन्नी बंसल फ्लिपकार्ट के संस्थापक हैं, जिन्होंने 2007 में लीक से हटकर एक ऑनलाइन बुक स्टोर खोली. बेगलुरू में इसकी शुरुआत की गयी. बेंगलुरू स्थित महबूबनगर के वी वी के चन्द्रा इसके पहले ग्राहक बनें.
धीरे -धीरे उनका ऑनलाइन स्टोर चल निकला . जल्द ही ऐसा भी वक्त आया जब एक दिन में 100 आर्डर आने लगे. सचिन व बिन्नी बंसल को लगा कि अब उन्हें मदद के लिए हाथ चाहिए. फर्स्ट फ्लाइट में काम करने वाले एक कर्मचारी की नियुक्ति की गयी. वह शख्स कोई और नहीं बल्कि अम्बुर इयप्पा था. लेकिन अम्बुर इय्प्पा की नियुक्ति के पीछे भी एक कहानी है.
इयप्पा ने बताया कि वह चार सालों तक फर्स्ट फ्लाइट में काम किया. अपने करियर की ग्रोथ के लिए वह डिप्लोमा कोर्स की डिग्री हासिल करना चाहते थे. उधर इयप्पा के नियोक्ता ने कह दिया कि वह तीन महीनें तक पद को खाली नहीं रख सकते .कंपनी ने कहा कि अगर कोई सुयोग्य इंसान मिल जाता है तो इय्प्पा के जगह नियुक्त कर दिया जायेगा.
जब वो वापस डिप्लोमा कर के आये तो उन्हें पता चला कि उनकी नौकरी छीन गयी है. किसी परिचित के माध्यम से उन्हें पता चला कि सचिन व बिन्नी बंसल ने एक नयी कंपनी खोली है. सचिन बंसल बताते है कि उस समय उन्हें एक ऐसे इंसान की जरूरत थी ,जो हल्की -फुल्की अंग्रेजी बोल लेता हो और कंप्यूटर की थोड़ी-बहुत जानकारी हो. अंतत : फ्लिपकार्ट ने इयप्पा को 8,000 रुपये में रखा.
सचिन बंसल उन दिनों को याद कर बताते है कि कैसे उन्हें मात्र एक -दो दिन में इय्पपा की उपस्थिति महसूस होने लगी. उन्होंने बताया कि हमलोग 10-12 प्रकाशकों के साथ काम कर रहे थे. हमारी बिजनेस बढ़ती जा रही थी. अब हम हर दिन 100 आर्डर ले रहे थे. इयप्पा ने इस काम को एक चुनौती के रूप में लिया. उन्हीं दिनों बिन्नी फ्लिपकार्ट का ऑपरेशन संभाल रहे थे और सचिन बिजनेस से जुड़े टेक्नोलॉजी को देख रहे थे. सचिन बंसल बताते है कि इयप्पा को आर्डर संबंधी हर चीज याद रहती थी.
इय्प्पा ने जब अपनी नौकरी का पहला महीना पूरा कर लिया, तो कंपनी ने उसे 5,000 का बोनस भी दिया. उन दिनों सचिन व बिन्नी हाथ से लैबलिंग और पैकेजिंग करते थे. टेक्नोलॉजी बाद में आयी थी. बिन्नी का मानना है कि इयप्पा के बाद उन दोनों के 80 प्रतिशत काम कम हो गये. अब वो अपना ध्यान कंपनी को फैलाने में लगाने लगे. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लायी और आज फ्लिपकार्ड देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी है. जिसका बाजार में 60 प्रतिशत शेयर है. आज लोग सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की सफलता की कहानी एक दूसरे को सुनाते हैं, इस सफलता में कहीं ना कहीं इयप्पा का भी योगदान है, इसमें कोई दो राय नहीं है.
साभार : फ्लिपकार्ट स्टोरी से अनुदित
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