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UK की लेबर पार्टी का वादा : 2019 का चुनाव जीतने के बाद हर ब्रिटिश परिवार को मुफ्त में मिलेगा Internet

लंदन : ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने लोगों से वादा किया है कि यदि वह 2019 का चुनाव जीत जाती है, तो वर्ष 2030 तक हर ब्रिटिश परिवार को मुफ्त में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा उपलब्ध करायेगी. इसके साथ ही, पार्टी ने यह भी कहा कि ब्रिटेन के लोगों को मुफ्त में इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने […]

लंदन : ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने लोगों से वादा किया है कि यदि वह 2019 का चुनाव जीत जाती है, तो वर्ष 2030 तक हर ब्रिटिश परिवार को मुफ्त में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा उपलब्ध करायेगी. इसके साथ ही, पार्टी ने यह भी कहा कि ब्रिटेन के लोगों को मुफ्त में इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के लिए ब्रिटिश टेलीकॉम के ब्रॉडबैंड कारोबार तथा गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनियों का राष्ट्रीयकरण भी करेगी. पार्टी का मानना है कि इंटरनेट ने केवल हमारे दैनिक जीवन-यापन के लिए जरूरी बन गया है, बल्कि हमारे राजनीतिक अधिकारों के इस्तेमाल करने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है.

सही मायने में देखा जाये, तो अभी हाल ही में प्रकाशित एक शोध में यह बताया गया है कि आखिर इंटरनेट का इस्तेमाल मानव अधिकार और सार्वभौमिक अधिकार के लिए क्यों जरूरी है और यही वजह है कि यह केवल ब्रिटेन में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में उन सभी मुफ्त में दिया जाना चाहिए, जो इसका खर्च वहन करने में समर्थ नहीं हैं. आज की तारीख में न्यूनतम जरूरतों के साथ बेहतर जीवन जीने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल बेहद जरूरी हो गया है.

इसका मतलब जीवन बचाये रखना कतई नहीं है, बल्कि इसमें वह सारे राजनीतिक अधिकार भी शामिल हैं, जो हमें उन नियमों की जानकारी देते हैं, जो हमारे जीवन को आकार देने के साथ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हैं. इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकारों के लिए सार्वभौमिक घोषणा में केंद्रीय अधिकार, अभिव्यक्ति की आजादी, संघ बनाने की आजादी और नि:शुल्क सूचना जैसे अधिकारों को शामिल किया गया है. इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सभी को अपने राजनैतिक अधिकारों के इस्तेमाल कररने के लिए करीब-करीब समान अवसर मिलने की जरूरत होती है.

इसमें एक बात और सामने आती है कि इंटरनेट के आने के पहले किसी भी लोकतांत्रिक देश के ज्यादातर लोगों के पास अपने राजनैतिक अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए समान अवसर प्रदान किये जाते थे. वे मतदान कर सकते थे, अखबारों या अपने जनप्रतिनिधियों को पत्र लिख सकते थे, सार्वजनिक बैठकों में भाग ले सकते थे और संगठनों में शामिल भी हो सकते थे. लेकिन, इससे इतर जब कुछ लोगों ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया, तो उनके सामने राजनीतिक अधिकारों के इस्तेमाल के अवसर उनके मुकाबले कहीं अधिक हो गये, जो इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते थे. इसका असर यह हुआ कि वे संभावित रूप से रोजाना नियमित बैठकों में शामिल होने के लिए लाखों लोगों को देखने, अन्य लोगों के साथ सेना में शामिल होने और पहले से कठिन राजनैतिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने विचारों को ऑनलाइन प्रकाशित करने लगे.

आज स्थिति यह है कि अब ऑनलाइन ही ज्यादातर हमारी राजनैतिक बहस भी हो जाती है. इसलिए कुछ मायनों में हमारे राजनैतिक अधिकाररों को इस्तेमाल केवल इंटरनेट के जरिये ही किया जा सकता है. इसका मतलब यह भी लगाया जा सकता है कि लोगों को अपनी राजनीतिक आजादी का इस्तेमाल करने के लिए समान अवसर पाने की खातिर इंटरनेट बेहद जरूरी हो गया और हमें इसका उपयोग एक मानव अधिकार के रूप में क्यों किया जाना चाहिए?

मानव अधिकार के रूप में अगर हम देखें, तो इंटरनेट का उपयोग दो तरीकों से मुक्त होना चाहिए. सबसे पहला यह कि इसका इस्तेमाल बेरोक-टोक, बिना किसी रुकावट और बिना सेंसर के ही होना चाहिए, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने वर्ष 2016 में एक गैर-बाध्यकारी प्रस्तार में मांग की है. दूसरा यह कि सरकारों को एक बेहतरीन न्यूनतम बुनियादी ढांचे की गारंटी देनी चाहिए, जो सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध हो, चाहे उनके पास कितना भी पैसा क्यों न हो? इसका मतलब यह हुआ कि इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए वित्तीय सहायता न्यूनतम कल्याणकारी योजनाओं का हिस्सा होना चाहिए, जो उन लोगों को मुफ्त में प्रदान किया जाये, जो इसका खर्च वहन नहीं कर सकते और उन्हें यह सुविधा केवल कानूनी परामर्शदाता के रूप में मिलनी चाहिए.

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