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जवाहर नवोदय विद्यालय के नामांकन में फर्जीवाड़ा की जांच विशेष शाखा ने शुरू की

चतरा सांसद सुनील सिंह ने लातेहार उपायुक्त को जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा व नामांकन में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा की जांच कराने को लेकर पत्र लिखा है.

जवाहर नवोदय विद्यालय के कक्षा छठी में फर्जी नामांकन की जांच विशेष शाखा ने स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू कर दी है. बुधवार को विशेष शाखा के पदाधिकारी नीरज कुमार व नागेंद्र राम ने जवाहर नवोदय विद्यालय जाकर प्रभारी प्राचार्य पीके सिंह से इस संबंध में जानकारी ली. प्रभारी प्राचार्य ने बताया गया कि विद्यार्थियों के नामांकन के लिए विद्यालय के बाद बीइइओ व डीइओ द्वारा काउंटर हस्ताक्षर कर भेजा जाता है,

उसके बाद ही नामांकन लिया जाता है. मालूम हो कि चतरा सांसद सुनील सिंह ने लातेहार उपायुक्त को जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा व नामांकन में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा की जांच कराने को लेकर पत्र लिखा है. सांसद ने एक सितंबर को उपायुक्त को पत्र लिखा था, लेकिन छह दिन बीत जाने के बाद भी अब तक उपायुक्त द्वारा जांच टीम नहीं बनायी गयी है.

क्या है मामला

लातेहार में संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय की कक्षा छह के नामांकन प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया गया है. इसमें विद्यालय से लेकर शिक्षा विभाग के पदाधिकारी भी शामिल है. जवाहर नवोदय विद्यालय में हर वर्ष 80 विद्यार्थियों का नामांकन प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद लिया जाता है. विद्यालय द्वारा इस वर्ष अब तक 74 विद्यार्थियों का नामांकन ले लिया गया है.

जिले के मनिका प्रखंड से सबसे अधिक 29 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए है. जिसमें दो विद्यार्थियों के आधार कार्ड से छेड़छाड़ की गयी है. वहीं पांच छात्रों का न्यू एडमिशन है. कई बच्चे वर्ष 2019-20 में स्कूल छोड़ चुके है, उनको भी ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में नामांकन करने के बाद परीक्षा में शामिल कराया गया है. इसके अलावा कई बच्चों का नामांकन प्राइवेट स्कूल में भी दर्ज हैं, जबकि आठ बच्चों का आधार संख्या दर्ज नहीं है.

क्या है प्रावधान

जवाहर नवोदय विद्यालय में नामांकन सरकारी विद्यालय में वर्ग पांच में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं ही प्रवेश परीक्षा दे सकते हैं. वही वैसे ही विद्यार्थी जो वर्ग तीन से पांच तक की पढ़ाई लगातार करते रहे है. विद्यालय में नामांकन के लिए विद्यार्थियों का सिर्फ एक विद्यालय में ही नामांकन होना अनिवार्य है. इसके अलावा एक बार प्रवेश परीक्षा देने के बाद सफल नहीं होने पर वैसे विद्यार्थी दोबारा प्रवेश परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते है, लेकिन इस वर्ष कई ऐसे विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं, जो पिछले साल फेल हो गये थे.

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