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झारखंड: RJD विधायकों की सत्ता में बोलती थी तूती, कार्यालय तक सिमटी पार्टी, मंत्री को संगठन से लेना देना नहीं

गिरिनाथ सिंह, अन्नपूर्णा देवी, डॉ सबा अहमद, योगेंद्र बैठा, बलदेव हाजरा जैसे दिग्गज नेता इस पार्टी से जुड़े थे. झारखंड गठन के बाद पहले चुनाव 2005 में राजद के सात विधायक चुन कर आये.

झारखंड की राजनीति का कभी एक कोण राजद हुआ करता था. यूपीए फोल्डर की सरकार गठन से लेकर यहां की राजनीतिक उठापटक में राजद की भूमिका होती थी. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के दरबार में सरकार की पंचायत बैठती थी़ राज्य गठन के समय इस पार्टी के नौ विधायक थे. राजद विधायक की तूती सरकार व सत्ता में बोलती थी.

गिरिनाथ सिंह, अन्नपूर्णा देवी, डॉ सबा अहमद, योगेंद्र बैठा, बलदेव हाजरा जैसे दिग्गज नेता इस पार्टी से जुड़े थे. झारखंड गठन के बाद पहले चुनाव 2005 में राजद के सात विधायक चुन कर आये़ अन्नपूर्णा देवी, गिरिनाथ सिंह, रामचंद्र चंद्रवंशी, रामचंद्र सिंह, प्रकाश राम, चुन्ना सिंह और बलदेव हाजरा ने तब पार्टी की साख बचायी थी.

निर्दलीय मधु कोड़ा की सरकार बनाने में राजद की प्रमुख भूमिका रही़ 2009 के चुनाव में पांच विधायक चुन कर आये, लेकिन 2014 के चुनाव में राजद का सूपड़ा साफ हो गया. 2019 के चुनाव में भी पार्टी हांफती रही और किसी तरह सत्यानंद भोक्ता की जीत से पार्टी ने अपनी लाज बचायी.

पिछले 22 वर्षों में राजद की जमीन खिसकती ही रही़ं कभी पलामू, कोडरमा, गिरिडीह से लेकर संतालपरगना में अपनी पैठ रखने वाली पार्टी राजधानी के बाइपास रोड स्थित पार्टी कार्यालय तक सिमट कर रह गयी. सदन में अब राजद के विधायकों की आवाज नहीं गूंजती और सड़क पर भी पार्टी नहीं है.

केंद्र सरकार के खिलाफ कभी कभार टोकन आंदोलन कर लेते है़ं पार्टी कार्यालय रोज खुलता है़ चंद नेता और कार्यकर्ता पहुंचते है़ं पार्टी ऑफिस के बरामदे से कार्यकर्ता बाहर नहीं निकल रहे है. सरकार में शामिल मंत्री सत्यानंद भोक्ता को संगठन से लेना-देना नहीं है. वह सरकार और अपने विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में व्यस्त है.

नेता-कार्यकर्ता लगातार पार्टी से कट रहे है़ं अभय सिंह पार्टी के अध्यक्ष बने, तो पूरे राज्य में संगठन चरमरा गया़ इसके बाद संजय सिंह यादव भी बहुत प्रभावी साबित नहीं हो रहे है़ं झारखंड में पूरी पार्टी बैसाखी पर है और बैसाखी भी पटना में है़ हर छोटे-बड़े फैसले के लिए पटना के भरोसे रहना पड़ता है़ प्रभारी जयप्रकाश नारायण यादव अपनी भूमिका में नहीं है़ वह प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कभी कड़ी नहीं बन पाये़ दो-चार बैठक करने की औपचारिकता ही पूरी करते रहे है़.

पुरानी कमेटी से चला रहे हैं काम, नहीं बना सके कमेटी :

पूर्व अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने कमेटी बनायी थी़ संजय सिंह यादव अध्यक्ष बने, तो नयी कमेटी के गठन की बात हुई़ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी नयी कमेटी बनाने का निर्देश दिया था, आज तक नयी कमेटी नहीं बनी़

तेजस्वी का कार्यक्रम भी फेल :

राजद के आला नेताओं ने भरोसा दिलाया था कि वह झारखंड में पार्टी की पैठ बढ़ाने के लिए काम में जुटेंगे़ पार्टी नेता तेजस्वी लगातार झारखंड का दौरा करेंगे़ महीने में दो रविवार को तेजस्वी का कार्यक्रम आयोजित करने का खाका तैयार हुआ़ तेजस्वी एक बार रांची आये, दूसरी बार छत्तरपुर गये़ लेकिन इसके बाद तेजस्वी का कोई कार्यक्रम नहीं बना.

एक-एक कर पार्टी छोड़ते रहे हैं बड़े नेता

झारखंड की राजनीतिक समझ-बूझ रखनेवाले बड़े नेता राजद से जुड़े थे़ लेकिन एक-एक कर राजद के नेता पार्टी छोड़ते रहे़ गिरिनाथ सिंह और अन्नपूर्णा देवी 2019 के चुनाव से पहले राजद छोड़ भाजपा चली गयीं. रामचंद्र चंद्रवंशी ने पहले ही राजद छोड़ दिया था. विधायक रामचंद्र सिंह भी कभी राजद में ही हुआ करते थे़ पूर्व विधायक प्रकाश राम राजद छोड़ झाविमो गये, फिर भाजपा में शामिल हो गये. विधायक चुन्ना सिंह ने भी राजद को अलविदा ही कह दिया.

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