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अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल की NCLT में सुनवाई पूरी, कंपनी पर 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज

ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा था कि आईबीसी का मकसद संपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना है और सीओसी शर्तों पर बातचीत करने के लिए स्वतंत्र है. एनसीएलएटी विस्ट्रा आईटीसीएल (भारत) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

नई दिल्ली : कर्ज के भार तले दबे मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल के समाधान मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई है. कर्जदाताओं की याचिका पर एनसीएलटी ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. याचिका में कर्ज में डूबी फर्म के लिए दूसरे दौर की वित्तीय बोली का अनुरोध किया गया है. रिलायंस कैपिटल इस समय दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है.

टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपनी दलीलें पूरी कीं और कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत अधिकतम मूल्य हासिल करने का इरादा रहता है, लेकिन साथ ही संपत्ति के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि आईबीसी एक ऋण वसूली मंच नहीं है और ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) को उनकी व्यक्तिगत वसूली से परे देखना चाहिए. मुख्य ध्यान व्यवहार्यता पर होना चाहिए.

विस्ट्रा आईटीसीएल की याचिका पर सुनवाई

ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा था कि आईबीसी का मकसद संपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना है और सीओसी शर्तों पर बातचीत करने के लिए स्वतंत्र है. एनसीएलएटी विस्ट्रा आईटीसीएल (भारत) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है. अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं ने एनसीएलटी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें दिवालिया फर्म की आगे की नीलामी को रोक दिया गया है.

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रिलायंस कैपिटल पर 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज

एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) की मुंबई पीठ ने दो फरवरी को कहा था कि वित्तीय बोलियों के लिए चुनौती व्यवस्था 21 दिसंबर, 2022 को खत्म हो गई है, जिसमें 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की थी. रिलायंस कैपिटल पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.

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