सिलीगुड़ी/दार्जिलिंग: दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के चार नगरपालिका चुनाव में भले ही मिरिक नगरपालिका में बिमल गुरूंग के नेतृत्ववाली मोरचा की हार हुई है, बाकी तीन अन्य नगरपालिकाओं में मोरचा ही मोरचा है. इस बार दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, कर्सियांग तथा मिरिक नगरपालिका चुनाव को लेकर पहाड़ पर काफी गहमागहमी थी.
राज्य में सत्ता में आने के बाद से जिस तरह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार पहाड़ आ रही थी और एक पर एक विभिन्न जनजातियों के लिए विकास बोर्ड का गठन हो रहा था, उससे लग रहा था कि करीब तीन दशक बाद पहाड़ से क्षेत्रीय पार्टियों का सफाया हो जायेगा. बुधवार को जब कड़ी सुरक्षा के बीच चारों स्थानों पर इवीएम खोली गयी, तो मिरिक को छोड़कर बाकी तीनों नगरपालिका में मोरचा ने जबरदस्त जीत हासिल की है.
दार्जिलिंग नगरपालिका के 32 सीटों में से 31 सीटों पर मोरचा की जीत हुई है. जबकि तृणमूल कांग्रेस को सिर्फ एक सीट से ही संतोष करना पड़ा. कर्सियांग नगरपालिका की 32 सीटों में से मोरचा को 17 और तृणमूल को तीन सीटें मिली हैं. सबसे आश्चर्यजनक चुनाव परिणाम कालिम्पोंग नगरपालिका का रहा. गोजमुमो से विद्रोह कर जाप नाम से अपनी पार्टी बनानेवाले हर्क बहादुर छेत्री चुनाव से पहले गोजमुमो को चुनौती देते दिख रहे थे. ऐसा लग रहा था कि कालिम्पोंग नगरपालिका में गोजमुमो
यानी मोरचा की हार होगी और हर्क बहादुर तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर बोर्ड बना सकते हैं. सुबह इवीएम खुलने के बाद एक पर एक जब परिणाम आने लगे, तो जाप का कहीं पता नहीं चला. कालिम्पोंग के साथ ही चारों नगरपालिका में जाप पूरी तरह से हवा हो गयी है. कालिम्पोंग के 23 सीटों में से 19 सीटों पर मोरचा ने कब्जा किया है. जबकि जाप को सिर्फ दो सीटें मिली हैं. दो सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने विजयी हासिल की है. जाप ने इस बार सभी चारों नगरपालिका चुनाव में हिस्सा लिया था. जाप की ओर से दार्जिलिंग नगरपालिका में पांच, कर्सियांग में छह, मिरिक में छह तथा कालिम्पोंग में सभी 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था.
इनमें से जीत मात्र दो की ही हुई है. इसके साथ ही दो दशक से भी अधिक समय तक दागोपाप के जरिये पहाड़ पर राज करनेवाले स्वर्गीय सुवास घीसिंग की पार्टी गोरामुमो भी पूरी तरह से धराशायी हो गयी है. गोरामुमो ने इस बार तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. एक भी सीट पर गोरामुमो उम्मीदवार की जीत नहीं हुई है. पहाड़ पर एक तरह से गोरामुमो का अस्तित्व खत्म हो गया है. इधर, पहाड़ के तीन नगरपालिकाओं पर कब्जा करने के बाद एक बार फिर से यहां वी वांट गोरखालैंड के नारे गूंजने लगे हैं. कालिम्पोंग में चुनाव परिणामों की घोषणा होते ही गोजमुमो समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया. यह लोग वी वांट गोरखालैंड के नारे लगा रहे थे. मोरचा के महासचिव विनय तामांग ने चुनाव परिणाम को संतोषप्रद बताया है. उन्होंने कहा है कि इस बार नगरपालिका चुनाव बंगाल तथा गोरखालैंड के बीच था और पहाड़ के लोगों ने गोरखालैंड का समर्थन किया है. मोरचा समर्थकों का कहना है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कालिम्पोंग को अलग जिला बनाकर यहां के लोगों को बरगलाने की कोशिश की थी. उन्हें यह मानना चाहिए कि पहाड़ के लोग अलग जिला नहीं, बल्कि अपनी जातीय पहचान मांग रहे हैं और यह पहचान अलग गोरखालैंड राज्य बनने के बाद ही संभव है.
इस बीच, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग तथा कर्सियांग चुनाव में भले ही मोरचा की तूती बोली हो, लेकिन मिरिक में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मैजिक चला है. इसके साथ ही तीन दशक बाद पहली बार समतल की कोई पार्टी पहाड़ पर सत्तारूढ़ हो रही है. मिरिक में इससे पहले गोरामुमो का कब्जा था और बाद में गोरामुमो के खात्मे के बाद गोजमुमो का कब्जा हो गया. यहां की कुल नौ सीटों में से छह सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई है. पहली बार मिरिक में तृणमूल कांग्रेस नगरपालिका बोर्ड का गठन करेगी. पहाड़ पर पहली बार परचम लहराने से तृणमूल के सभी नेता खुश हैं. मिरिक में तृणमूल के लिए अलीपुरद्वार के पार्टी विधायक तथा एसजेडीए चेयरमैन सौरभ चक्रवर्ती डेरा जमाये हुए थे. आखिरकार उनकी मेहनत रंग लायी और इस नगरपालिका पर तृणमूल कांग्रेस ने भारी जीत हासिल की है.
श्री चक्रवर्ती ने इस जीत का श्रेय राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिया है. उन्होंने कहा है कि सिर्फ मिरिक में ही नहीं, बल्कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के सभी नगरपालिका में तृणमूल कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है. यह लोकतंत्र की जीत है. मुख्यमंत्री पहाड़ के विकास के लिए बार-बार यहां आ रही थी. मिरिक में तृणमूल की जीत से साबित हो गया है कि यहां के लोग विकास चाहते हैं. जीत की खबर फैलते ही मोरचा समर्थकों ने गाजे-बाजे के साथ खुशियां मनाते हुए एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाया.
मिरिक में फिर से मतगणना की मांग
मोरचा प्रमुख बिमल गुरूंग ने मिरिक नगरपालिका में मतगणना पर संदेह जताया है. उन्होंने यहां फिर से मतगणना की मांग को लेकर चुनाव आयोग एवं दार्जिलिंग के जिला अधिकारी पत्र लिखा है. दूसरी ओर दार्जिलिंग हिल तृणमूल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वार्ड नम्बर 20 के उम्मीदवार एनवी खवास ने मतगणना के निर्णय को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को मिले मत से इस बार के चुनाव में काफी अधिक मत प्राप्त हुआ है. एक प्रश्न के जवाब में श्री खवास ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के हेवीवेट उम्मीदवारों के पराजय से पार्टी एवं संगठन में किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि जल्द ही पार्टी में हार-जीत के बारे में बैठक कर चरचा की जायेगी.
माकपा और गोरामुमो ने कमजोरी मानी
गोरामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता नीरज जिम्बा ने चारों नगरपालिका चुनाव में खाता नहीं खोल पाने के लिए संगठन की कमजोरी को जिम्मेदार बताया है. पहाड़ के माकपा नेता केवी वातर ने भी कहा है कि उनकी पार्टी इस बार कमजोर थी. हांलाकि उन्होंने तृणमूल को भी अधिक जीत हासिल नहीं होने की बात कही. चुनाव के दौरान मंत्री इन्द्रणील सेन ने जिस तरह का बयान दिया उसके कारण चुनाव में असर पड़ा और तृणमूल अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी.
मिरिक नगरपालिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मिरिक में मोरचा पार्टी के अंदर मतभेद से हारी.
नगरपालिका चुनाव के नतीजे
दार्जिलिंग
कुल सीटें-32
तृणमूल-1
मोरचा-31
कालिम्पोंग
कुल सीटें-23
तृणमूल-2
मोरचा-19
जाप-2
कर्सियांग
कुल सीटें-20
तृणमूल-1
मोरचा-17
मिरिक
कुल सीटें-9
तृणमूल-6
मोरचा-3