नागराकाटा (जलपाईगुड़ी). चाय उद्योग गंभीर संकट से गुजर रहा है. चाय का अंतरराष्ट्रीय बाजार भी मंदा चल रहा है. चाय का उचित दाम नहीं मिलने से चाय बागान के मालिक और श्रमिक दोनों समस्या में पड़े हुए हैं. इन हालात से कैसे पार पाया जाये, इसे लेकर शुक्रवार को नागराकाटा में टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की 46वीं वार्षिक आम सभा में चरचा हुई.
आर्थिक तंगी के चलते श्रमिकों और मालिकों के बीच रिश्ता खराब हो रहा है. इसका नतीजा यह हुआ है कि कई चाय बागान बंद भी हो जा रहे हैं. सम्मेलन के दौरान यह बात भी सामने आयी अंतरराष्ट्रीय बाजार में चाय का दाम ज्यादा पाने के लिए जैविक (आर्गेनिक) तरीके से चाय का उत्पादन बढ़ाना होगा. लेकिन आर्गेनिक तरीके से खेती करने पर उत्पादन खर्च भी बढ़ेगा.
आज ज्यादातर बागान जिस आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, ऐसे में आर्गेनिक उत्पादन की राह पर चल पाना उनके लिए संभव नहीं है. टी एसोसिएशन की आम सभा के दौरान आयोजित सेमिनार में कांग्रेस के पूर्व सांसद देवप्रसाद राय उपस्थित थे. इसके अलावा संगठन के चेयरमैन एस सिंघानिया, सचिव राम अवतार शर्मा, तराई सचिव सुमित घोष आदि मौजूद थे. सेमिनार में संगठन के 42 चाय बागानों के मैनेजरों ने भी हिस्सा लिया.सचिव राम अवतार शर्मा ने कहा कि मौजूदा हालात में चाय उद्योग में संकट चल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में उचित मूल्य नहीं मिलने से बागान खस्ताहाल हैं. आर्गेनिक खेती से जरूर विश्व बाजार में अच्छी कीमत मिल सकती है, लेकिन इसके लिए बागानों के पास पूंजी का अभाव है. पहले से आर्थिक संकट से गुजर रहे बागान निवेश के लिए पूंजी कहां से लायेंगे.
इधर, टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सूत्रों ने बताया कि दुनिया के कई देश चाय बाजार में भारत को पछाड़ते हुए बाजार दखल कर रहे हैं. क्योंकि उन देशों में आर्गेनिक तरीके से चाय की खेती बढ़ी है. आर्गेनिक खेती से चाय की गुणवत्ता बढ़ जाती है और उसका दाम भी ज्यादा मिलता है. इसके अलावा भारत में चाय उत्पादन में कीटनाशकों का काफी ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. इससे उत्पादन भले बढ़ जाता हो, पर चाय की गुणवत्ता गिर जाती है और उसका उचित दाम नहीं मिलता.