गौरतलब है कि 28 जनवरी को निगम की बोर्ड मीटिंग में कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर काफी हंगामा हुआ था. निगम की माकपा बोर्ड ने कर्मचारियों के वेतन में 10 और 15 रूपये प्रतिमाह बढ़ाने का निर्णय लिया था. इस निर्णय की जानकारी कर्मचारियों को मिल गयी. इतना कम बढ़ोत्तरी की बात सुनकर कर्मचारियों का गुस्सा भड़क गया और इनलोगों ने बोर्ड मीटिंग के दौरान सभागार के बाहर जमकर हल्ला बोल किया. श्रमिकों के साथ ही सभागार के भीतर विरोधी दल तृणमूल के वार्ड पार्षदों ने भी जमकर हंगामा किया था. उस दिन मेयर ने श्रमिकों के हितों से जुड़े सभी विंदुओ पर चर्चा का प्रस्ताव दिया था. जबकि तृणमूल सिर्फ वेतन वृद्धि पर चर्चा चाहती थी. मंगलवार को अपने कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री भट्टाचार्य ने बताया कि सिलीगुड़ी नगर निगम में कुल 2 हजार 618 कर्मचारी हैं, जिनमें से 495 स्थायी और 153 कर्मचारी सरकारी परियोजना के तहत नियुक्त हैं.
इन 648 कर्मचारियों का वेतन राज्य सरकार तय करती है. जबकि 750 मैनडेज कर्मचारी, 199 नियमित कर्मचारी और 130 अस्थायी कर्मचारियों को निगम द्वारा वेतन दिया जाता है. इसके अतिरिक्त सिलीगुड़ी नगर निगम में कुल 291 पद खाली हैं. जिनमें 112 पद सिर्फ स्वीपरों के खाली हैं. बार-बार आवेदन करने के बाद भी राज्य सरकार रिक्त पदों पर नियुक्ति की अनुमति नहीं दे रही है. इपीएफ के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों अंशदान 12 लाख 23 हजार रूपया और निगम का अंशदान 13 लाख 62 हजार रूपया है. नवंबर और दिसंबर महीने में सर्वर खराब होने की बजह से ईपीएफ जमा नहीं कराया जा सका था. लेकिन जनवरी माह में पूरा बकाया जमा करा दिया गया है. पिछली बोर्ड का करीब 80 लाख रूपये बकाया का बोझ यह बोर्ड उठा रही है. प्रत्येक महीने करीब 4 लाख 5 हजार रूपया अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है. कर्मचारियों के वेतन संबंधी जानकारी देते हुए मेयर ने कहा कि दस वर्ष से अधिक समय से कार्य कर रहे कर्मचारियों को स्थायी करने का प्रावधान है.
वर्तमान राज्य सरकार ने पिछले छह वर्षों में एक भी कर्मचारी को स्थायी नहीं किया है. पूरे राज्य में केवल सिलीगुड़ी नगर निगम ने ऐसे कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी का दर्जा दिया है. जिसकी वजह से इन कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी की तरह 52 छुट्टी, राष्ट्रीय छुट्टी, 15 अतिरिकित छुट्टी व साप्ताहिक छुट्टी भी मिलता है. रविवार के दिन काम करने वाले नियमित कर्मचारी को 280 रूपया अतिरिक्त मिलता है.
इस तरह से देखा जाए तो इन कर्मचारियों को वेतन के अलावे करीब 18 सौ रूपया प्रतिमाह अधिक दिया जा रहा है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि बोर्ड मीटिंग में तृणमूल पार्षदों ने काफी हंगामा किया, लेकिन आज तक कर्मचारियों के स्थायीकरण, रिक्त पदो पर नियुक्ति आदि को लेकर आवाज नहीं उठाया. अपने निर्णय को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि मेयर व मेयर परिषद द्वारा लिये गये निर्णय को वापस लेने का संवैधानिक अधिकार है. 15 रूपये बढ़ाने का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन फिर से चारों श्रमिक संगठनों से विचार-विमर्श कर वेतन वृद्धि करने की बात को ध्यान में रखकर ही प्रस्ताव वापस लिया गया था.