सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी में माइक्रो आर्ट म्यूजियम की स्थापना को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता से परेशान प्रख्यात माइक्रो आर्ट कलाकार रमेश साह ने अब पड़ोसी राज्य सिक्किम में पवन चामलिंग सरकार से मदद की गुहार लगायी है.श्री साह अब सिक्किम सरकार की मदद से इस परियोजना को पूरा करना चाहते हैं.इस बात को लेकर उन्होंने सिक्किम के एक विधायक गोपाल बरायली से मुलाकात भी की है. श्री बरायली ने उन्हें इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री पवन कुमार चामिलिंग से मुलाकात कराने का भरोसा दिलाया है.
एक बाद मुख्यमंत्री का समय मिलते ही श्री चामिलंग गंगतोक जायेंगे और वहां पवन चामलिंग को माइक्रो आर्ट म्यूजियम से संबंधित प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपेंगे. प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री साह सिक्किम के रंगपो में बिहारी कल्याण मंच के तृतीय स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के लिए गये थे. वहां उन्हें सामाजिक एवं कला क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया. इस मौके पर ही मुख्य अतिथि के रूप में विधायक गोपाल बराइली भी उपस्थित थे.
जब रमेश साह ने अपने काला के संबंध में जानकारी दी तो विधायक सहित समारोह में उपस्थित तमाम लोगों को आश्चर्य भी हुआ. यहां बता दें कि श्री साह अपनी कला को लेकर गिनीजी बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. इसी समारोह के दौरान श्री साह ने विधायक गोपाल बराइली से मुलाकात की और माइक्रो आर्ट म्यूजियम की स्थापना में उनसे मदद की अपील की. विधायक ने उन्हें इस मुद्दे को लेकर हर प्रकारी की मदद का भरोसा दिया है और कहा है कि वह इस बात की जानकारी सिक्किम के मुख्य मंत्री पवन कुमार चामलिंग को भी देंगे और मुख्यमंत्री के साथ उनकी एक मुलाकात करवायेंगे. इस संबंध में श्री साह ने कहा कि उत्तर बंगाल में माइक्रो आर्ट म्यूजियम की स्थापना उनका सपना है. वह पिछले एक दशक से इस म्यूजियम को यहां बनाने की कोशिश में लगे हैं,लेकिन कहीं से उन्हें कोइ मदद नहीं मिली है.
वह राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन दुखद यह है कि मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से उनके पत्र का जवाब भी नहीं दिया गया. श्री साह ने बताया कि सिलीगुड़ी में माइक्रो आर्ट म्यूजियम की स्थापना की पहल साल 2008 में हुयी. दार्जिलिंग के तत्कालीन सांसद दावा नर्बुला ने इस काम में उनकी मदद की. वह अपने सांसद कोष से इस म्यूजियम में लिए राशि भी आवंटित कर चुके थे.जमीन नहीं मिलने की वजह से काम नहीं हुआ.श्री साह ने बताया कि तब सांसद श्री नर्बुला ने जमीन उपलब्ध कराने की लिए जिले के डीएम तथा भूमि एवं भूराजस्व विभाग को कहा था. उन्हें दो-तीन स्थानों पर जमीन दिखायी भी गयी थी. जब जमीन के आवंटन की बात आयी तो विभागीय अधिकारियों ने कोइ ना कोइ अड़ंगा लगा दिया. श्री साह ने बताया कि तब से लेकर अबतक वह इस म्यूजियम की स्थापना को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं.
श्री साह ने आगे बताया कि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद तृणमूल सरकार के तत्कालीन उत्तर बंगाल विकास मंत्री ने उन्हें पूरी रिपोर्ट के साथ बातचीत के लिए बुलाया था. वह उनसे मिले भी थे और एक रिपोर्ट भी उन्हें सौंपी थी. वह भी लगता है अब ठंडे बस्ते में चला गया है. श्री साह आगे बताया कि अब उन्होंने इस माइक्रो आर्ट म्यूजियम को बनाने के लिए सिलीगुड़ी मिलन मोड़ इलाके में सात कट्ठा जमीन खरीद ली है.अब उसपर काम शुरू करने की जरूरत है. सरकार यदि भवन आदि बनाने के लिए आर्थिक सहायता दे तो वह अपनी खरीदी जमीन पर ही माइक्रो आर्ट म्यूजियम बनाने को तैयार हैं
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
श्री साह ने आगे बताया कि इस म्यूजियम की स्थापना से यहां के पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा. सिलीगुड़ी, डुवार्स,दार्जिलंग तथा सिक्किम में हर साल ही भारी संख्या में पर्यटक आते हैं. ऐसे में यदि माइक्रो आर्ट म्यूजियम की स्थापना यहां हो जाये तो पर्यटकों को घूमने का एक और नया ठिकाना मिल जायेगा. श्री साह ने बताया कि उनके घर में हर वर्ष काफी संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं.
स्थानीय कलाकारों को मौका
माइक्रो आर्ट म्यूजियम की स्थापना से स्थानीय कलाकारों को भी काफी लाभ होगा. श्री साह ने बताया कि उत्तर बंगाल में प्रतिभाओं की कोइ कमी नहीं है. काफी कलाकार यहां हैं,लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उनकी कला का कद्र करने वाला कोइ नहीं है. कलाकारों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो रही है. इस माइक्रो आर्ट म्यूजियम के दौरा वह ऐसे कलाकारों की मदद भी करना चाहते है. म्यूजियम के अंदर ही वह एक आर्ट गैलरी बनायेंगे. इस गैलरी में स्थानीय कलाकाकारों की पेंटिंग्स आदि की प्रदर्शनी लगायी जायेगी. जो लोग या पर्यटक यहां घूमने आयेंगे वह इनको खरीदेंगे. इससे कालाकारों को कमाइ ही होगी.
क्या-क्या बनाया है रमेश साह ने
माइक्रो आर्टिस्ट रमेश साह ने हजारो माइक्रो आर्ट बनाये हैं. यही वजह है कि उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज है. उनके द्वारा बनाये गए आर्ट में सबसे महत्वपूर्ण एक चावल के दाने पर 115 बार भारत का नक्शा बनाना है. उन्होंन सरसों के दाने पर विश्व का मानचित्र भी बनाया है.एक चावल के दाने पर उन्होंने राष्ट्रगान वंदे मातरम लिख दिया है. उन्होंने और भी कइ दुर्लभ कलाकृतियां बनायी है. उनकी कला का राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सहित कइ अन्य गणमान्य लोग सराह चुके हैं. श्री साह ने बताया कि वह बच्चों की इस कला का प्रशिक्षण भी देना चाहते है.