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आभूषण कारीगर रातोंरात हुआ अरबपति!

सिलीगुड़ी. नोटबंदी के बाद पेशे से एक गहना कारीगर सरजू राव राजाराम पटेल रातोंरात अरबपति हो गया. अचानक अरबपति होने के बाद उसका और उसके परिवार की जहां खुशी का कोई ठिकाना नहीं है वहीं इसे लेकर थोड़ी-बहुत घबराहट भी है. मूल रूप से महाराष्ट्र के सांगली जिले के पेड़ थाना क्षेत्र के वाशिंदा सरजू […]

सिलीगुड़ी. नोटबंदी के बाद पेशे से एक गहना कारीगर सरजू राव राजाराम पटेल रातोंरात अरबपति हो गया. अचानक अरबपति होने के बाद उसका और उसके परिवार की जहां खुशी का कोई ठिकाना नहीं है वहीं इसे लेकर थोड़ी-बहुत घबराहट भी है. मूल रूप से महाराष्ट्र के सांगली जिले के पेड़ थाना क्षेत्र के वाशिंदा सरजू राव बीते चार सालों से अपने परिवार के साथ सिलीगुड़ी में रह रहे हैं. इन दिनों वह हाकिमपाड़ा में किराये के मकान में रहते हैं और 11 नंबर वार्ड के खुदीराम पल्ली के सब्जी मंडी स्थित एक स्वर्णाभूषण कारखाने में नौकरी करते हैं. वह सोने-चांदी के गहनें बनाने में काफी दक्ष हैं.

सरजू राव के अनुसार उसका महाराष्ट्र के ही बैंक ऑफ इंडिया के पेड़ शाखा में खाता है. उसके खाते में इनदिनों कुल दो लाख तीन हजार 461 रुपये जमा था. कल रात को वह दो हजार रुपये निकालने के लिए यूनियन बैंक के एटीएम में गया. लेकिन एटीएम से रुपये नहीं निकले बल्कि रसीद बाहर हुई. रसीद देखकर सरजू अवाक हो गये और रातों की नींद उड़ गयी. वजह रसीद में उनके बैंक अकाउंट में 99 करोड़ रुपये से भी काफी अधिक राशि जमा होने का बैलेंस दिख रहा था. शनिवार को वह रसीद लेकर बैंक जाते लेकिन महीने का चौथा शनिवार होने की वजह बैंक बंद था. इस की जानकारी उन्होंने सिलीगुड़ी थाना की पुलिस को भी दी है. यह खबर फैलने के साथ ही सरजू के परिचतों और शुभचिंतकों का उनसे मिलने का तांता लग गया. खुदीराम पल्ली स्थित कारखाने में लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गयी और जान-पहचान वाले लोगों ने उसके साथ एक सेल्फी भी खूब ली.

तकनीकी गड़बड़ी की वजह से हुआः लक्ष्मी महतो

बैंक ऑफ इंडिया के सिलीगुड़ी शाखा के वरिष्ठ अधिकारी लक्ष्मी महतो का कहना है कि ऐसे मामलों में बैंक ग्राहकों को अत्यधिक उत्सुक या फिर घबराने की जरूरत नहीं है. इस तरह के अधिकांश मामले तकनीकी गड़बड़ी की वजहों से होते हैं. आज महीने का अंतिम शनिवार होने की वजह से बैंक बंद है. इसलिए इस गड़बड़ी को आज दुरुस्त नहीं किया जा सकता. श्री महतो ने इस गड़बड़ी को किसी बैंक कर्मचारी की लापरवाही को नहीं, बल्कि बैंक सेवा प्रदान करनेवाली आउटसोर्स एजेंसी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि बैंकों के एटीएम की तकनीक चेन्नई, बैंगलुरू या फिर बैंकों के मुख्यालय से संचालित होती है. इस तरह के मामलों की शिकायत करने पर कुछ देर बाद ही ग्राहकों के अकाउंट को वापस सही कर दिया जाता है.

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