इसी वजह से उन्होंने यह पार्टी बनायी है. उन्होंने दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के पूरे जिले,जलपाइगुड़ी और अलिपुरद्वार को मिलाकर गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग की. इसके साथ अपनी पार्टी का केन्द्रीय कार्यालय सिलीगुड़ी में होने की बात कही और कहा कि आने वाले दिनों में वह सिलीगुड़ी से ही अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन शुरू करेंगे. एक प्रश्न के जवाब में श्री छेत्री ने कहा कि बंगाली,बिहारी,मुस्लिम,आदिवासी आदि समुदाय के लोग भी अलग राज्य के आंदोलन का समर्थन करेंगे. नया राज्य बनने से काफी विकास होगा और इसका लाभ सिर्फ गोरखा जाति को ही नहीं,अन्य जातियों को भी मिलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि अलग राज्य बनने की स्थिति में उसकी राजधानी सिलीगुड़ी में हो तो काफी अच्छा होगा.वह इसको लेकर भी आंदोलन करेंगे.
सिलीगुड़ी के लोग भी इसी शहर को गोरखालैंड की राजधानी बनाने के पक्ष में हैं. यह अलग बात है कि अलग राज्य के नाम पर यहां के लोगों को धोखा दिया गया. इसी वजह से सिलीगुड़ी के लोग इनदिनों गोरखालैंड को लेकर थोड़ा सतर्क हो गये हैं. लेकिन आने वाले दिनों में जब इस आंदोलन की शुरूआत सिलीगुड़ी से ही होगी तो वहां के लोगों का भी समर्थन मिलेगा.उन्होंने बगैर नाम लिए गोजमुमो पर भी निशाना साधा.उन्होने कहा कि गोरखालैंड का नाम लेकर जिन लोगों ने सत्ता का स्वाद चखा,वह बताएं कि उन्होंने अलग राज्य बनाने के लिए आखिर क्या किया.
अखिल भारतीय गोर्खालीग में कार्यकारी अध्यक्ष का पद छोड़कर अपनी पार्टी बनाने के सबंध में श्री छेत्री ने किया कि वह 29 मई 2016 को गोर्खालीग में शामिल हुए थे. इस पार्टी ने गोरखालैंड की मांग को लेकर केन्द्र सरकार को दो तीन-बार ज्ञापन देने के अलावा कुछ नहीं किया. उसके बाद ही उन्होंने अपनी पार्टी बनायी. नयी पार्टी गोरखा जनकल्याण मंच का गठन सिलीगुड़ी के प्रकाशन नगर लिम्बु बस्ती में हुआ है. वह दीपावाली के पहले ही केन्द्रीय कमेटी की घोषणा भी कर देंगे. उसके बाद जिला कमेटियों का गठन किया जायेगा.