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डिजिटल राशन कार्ड को लेकर माकपा ने खोला मोरचा

सिलीगुड़ी. डिजिटल राशन कार्ड के वितरण प्रणाली को लेकर दार्जिलिंग जिला माकपा ने राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया है. इस संबंध में आगामी 19 अगस्त को जिला माकपा की ओर से जिला खाद्य विभाग के जिला नियंत्रक को ज्ञापन भी सौंपा जायेगा. इसके साथ ही जिला माकपा सचिव जीवेश सरकार ने तृणमूल […]

सिलीगुड़ी. डिजिटल राशन कार्ड के वितरण प्रणाली को लेकर दार्जिलिंग जिला माकपा ने राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया है. इस संबंध में आगामी 19 अगस्त को जिला माकपा की ओर से जिला खाद्य विभाग के जिला नियंत्रक को ज्ञापन भी सौंपा जायेगा. इसके साथ ही जिला माकपा सचिव जीवेश सरकार ने तृणमूल सरकार व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गरीबों के मुह से निवाला छीनने की राजनीति करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री राज्य के गरीब नागरिकों की सहानुभूति के साथ खिलवाड़ कर रही हैं. संसद में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना को पारित कराने में माकपाइयों की भी अहम भूमिका रही थी.
सिलीगुड़ी हिल कार्ट रोड स्थित दार्जिलिंग जिला माकपा कार्यालय अनिल विश्वास भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए जीवेश सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत ग्रामीण इलाके के 75 प्रतिशत और शहरी इलाकों के 50 प्रतिशत नागरिकों को इस योजना के अंतर्गत शामिल करने की मांग की गयी है. जबकि सिलीगुड़ी में ऐसा नहीं हो रहा है. दो बार फॉर्म भरने के बाद आये डिजीटल राशन कार्ड में काफी त्रुटियां हैं.

किसी परिवार के पांच सदस्यों का नाम है तो किसी परिवार में से एक का. केंद्र की खाद्य सुरक्षा योजना के साथ राज्य सरकार अपनी योजना को जोड़कर कुल पांच प्रकार के फॉर्म जारी कर रही है. कौन किस फॉर्म को भरेगा इसी में उलझ कर रह गया. इस संबंध में खाद्य विभाग भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. भोजन पाना अब नागरिकों का मौलिक अधिकार है, लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री नागरिकों के मौलिक अधिकार के नाम पर प्रताड़ित कर रही है.


पत्रकार सम्मेलन में उपस्थित सिलीगुड़ी नगर निगम के लोक निर्माण विभाग के मेयर परिषद सदस्य नुरूल इस्लाम ने कहा कि वर्ष 2013 के 10 सितंबर को केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरूआत की. खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके के 50 प्रतिशत नागरिकों को इस योजना में शामिल किया जाना चाहिए. लेकिन सात लाख की आबादी वाले इस शहर के मात्र दो लाख लोगों को इसके अंतर्गत लाया गया है, जो सिलीगुड़ी की जनसंख्या का मात्र 29 प्रतिशत है. उसमें भी काफी त्रुटियां पायी जा रही है. किसी का राशन दुकान घर से काफी दूर है तो किसी परिवार में किसी ऐ का नाम है, बांकी का नहीं. श्री इस्लाम ने राज्य सरकार के साथ जिला प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया है.

उनका कहना है कि नियमानुसार नगर निगम इलाके में रहने वाले लोगों को निगम के कमिश्नर के माध्यम से आवेदन करना चाहिए. यहां इस नियम की अनदेखी की जा रही है. जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने सिलीगुड़ी नगर निगम और सिलीगुड़ी महकमा परिषद को नजर अंदाज किया है. इस मामले को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामला करने की भी धमकी दी. श्री इस्लाम ने बताया कि एएवाई कार्ड धारक प्रति परिवार को 35 किलो राशन मिलना है. इसमें गड़बड़ी दिख रही है. एक ही परिवार के कइ सदस्यों को एएवाइ कार्य मिल रहा है, तो दूसरी ओर कई परिवार के सदस्यों को इस योजना में शामिल ही नहीं किया गया है. इधर राज्य सरकार ने जो खाद्य सुरक्षा योजना आरकेएसवाई-1 और 2 शुरू की है उसमें भी काफी गलतियां हैं. इन योजनाओं में गरीब परिवारों को लाभ नहीं मिल रहा है बल्कि कुछ चाय बागान मालिकों और अमीर घरानों के सदस्यों को शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त जिसके पास आधार या मतदाता पहचान पत्र नहीं है,उसके संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है.

दूसरी ओर सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति तापस सरकार ने कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना के अनुसार सिलीगुड़ी महकमा इलाके के करीब 5 लाख 35 हजार 221 लोगों को शामिल किया जाना चाहिए. जबकि विभाग 4 लाख 80 हजार नागरिकों को शामिल करने की बात कर रही है. इसमें भी डिजीटल राशन कार्ड मात्र 2 लाख 77 हजार 621 लोगों को दिया जा रहा है. इस संबध में खाद्य विभाग के अधिकारियों को पूछने पर उनका जवाब मुझे कुछ मालूम नहीं है होता है.

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