किसी परिवार के पांच सदस्यों का नाम है तो किसी परिवार में से एक का. केंद्र की खाद्य सुरक्षा योजना के साथ राज्य सरकार अपनी योजना को जोड़कर कुल पांच प्रकार के फॉर्म जारी कर रही है. कौन किस फॉर्म को भरेगा इसी में उलझ कर रह गया. इस संबंध में खाद्य विभाग भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. भोजन पाना अब नागरिकों का मौलिक अधिकार है, लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री नागरिकों के मौलिक अधिकार के नाम पर प्रताड़ित कर रही है.
पत्रकार सम्मेलन में उपस्थित सिलीगुड़ी नगर निगम के लोक निर्माण विभाग के मेयर परिषद सदस्य नुरूल इस्लाम ने कहा कि वर्ष 2013 के 10 सितंबर को केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरूआत की. खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके के 50 प्रतिशत नागरिकों को इस योजना में शामिल किया जाना चाहिए. लेकिन सात लाख की आबादी वाले इस शहर के मात्र दो लाख लोगों को इसके अंतर्गत लाया गया है, जो सिलीगुड़ी की जनसंख्या का मात्र 29 प्रतिशत है. उसमें भी काफी त्रुटियां पायी जा रही है. किसी का राशन दुकान घर से काफी दूर है तो किसी परिवार में किसी ऐ का नाम है, बांकी का नहीं. श्री इस्लाम ने राज्य सरकार के साथ जिला प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया है.
उनका कहना है कि नियमानुसार नगर निगम इलाके में रहने वाले लोगों को निगम के कमिश्नर के माध्यम से आवेदन करना चाहिए. यहां इस नियम की अनदेखी की जा रही है. जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने सिलीगुड़ी नगर निगम और सिलीगुड़ी महकमा परिषद को नजर अंदाज किया है. इस मामले को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामला करने की भी धमकी दी. श्री इस्लाम ने बताया कि एएवाई कार्ड धारक प्रति परिवार को 35 किलो राशन मिलना है. इसमें गड़बड़ी दिख रही है. एक ही परिवार के कइ सदस्यों को एएवाइ कार्य मिल रहा है, तो दूसरी ओर कई परिवार के सदस्यों को इस योजना में शामिल ही नहीं किया गया है. इधर राज्य सरकार ने जो खाद्य सुरक्षा योजना आरकेएसवाई-1 और 2 शुरू की है उसमें भी काफी गलतियां हैं. इन योजनाओं में गरीब परिवारों को लाभ नहीं मिल रहा है बल्कि कुछ चाय बागान मालिकों और अमीर घरानों के सदस्यों को शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त जिसके पास आधार या मतदाता पहचान पत्र नहीं है,उसके संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है.