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बालू-पत्थर निकालने पर लगी रोक हटाने की मांग

सिलीगुड़ी. उत्तर बंगाल के सभी नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर लगी रोक हटाने की मांग एआइटीयू अनुमोदित दार्जिलिंग जिला निर्माण कर्मी यूनियन ने की है. इस मांग को लेकर संगठन की ओर से एक विरोध प्रदर्शन का भी आयोजन किया गया. इस अवसर पर सीटू नेता समन पाठक, अजीत सरकार के अलावा इंटक नेता आलोक […]

सिलीगुड़ी. उत्तर बंगाल के सभी नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर लगी रोक हटाने की मांग एआइटीयू अनुमोदित दार्जिलिंग जिला निर्माण कर्मी यूनियन ने की है. इस मांग को लेकर संगठन की ओर से एक विरोध प्रदर्शन का भी आयोजन किया गया. इस अवसर पर सीटू नेता समन पाठक, अजीत सरकार के अलावा इंटक नेता आलोक चक्रवर्ती भी उपस्थित थे.

बाद में यह सभी लोग एक रैली निकालते हुए एसडीओ कार्यालय गये और एक ज्ञापन सौंपा. संगठन के दार्जिलिंग जिला महासचिव बिमल पाल ने कहा है कि नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर लगी रोक की वजह से हजारों श्रमिक बेकार हो गये हैं. इन श्रमिकों तथा इनके परिवार वालों के सामने भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

करीब तीन महीने से बालू-पत्थर निकालने का काम बंद है. उन्होंने इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर भी निशाना साधा. श्री पाल ने कहा कि एनजीटी के निर्देशों का हवाला देकर राज्य सरकार अपनी मनमानी कर रही है. ग्रिन ट्रिब्यूनल ने उत्तर बंगाल में किसी भी नदियों में खनन पर रोक नहीं लगायी है. अदालत का निर्णय गंगा में खनन के खिलाफ है. ग्रिन ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा है कि गंगा में जो अवैध खनन हो रहे हैं उस पर रोक लगानी होगी. लेकिन राज्य सरकार इस फैसले के आड़ में उत्तर बंगाल के सभी नदियों में खनन पर रोक लगा रही है. खनन के लिए क्वारी परमिट देने का काम राज्य सरकार के सिंचाई विभाग का है.

मजदूरों तथा खनन के कार्य में लगे अन्य लोगों को अदालती निर्देश का कोई पता नहीं है. सभी लोग यह मान रहे हैं कि सिंचाई विभाग द्वारा परमिट नहीं दिये जाने की वजह से ही खनन का काम रूका हुआ है. उन्होंने तत्काल क्वारी परमिट दिये जाने की मांग की. श्री पाल ने आगे कहा कि नदियों से बालू-पत्थर निकालने पर रोक की वजह से सिर्फ खनन कार्य में लगे मजदूर ही प्रभावित नहीं हैं, बल्कि निर्माण कर्मियों पर भी इसका असर पड़ा है. बालू-पत्थर की कमी की वजह से भवनों आदि की निर्माण का काम भी बंद है.

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