उसके बाद आज बुधवार को फिर सिलीगुड़ी टी ऑक्शन सेंटर में आयोजित चाय की नीलामी में ये शामिल नहीं हुए. इन लोगों ने नीलामी का बहिष्कार किया. इन दो नीलामी में चाय कारोबारियों के शामिल नहीं होने से सरकार को अबतक 100 करोड़ रूपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है. एसटीटीए के सचिव तथा प्रमुख चाय कारोबारी अंकिज लोचन ने कहा कि यह सबकुछ बड़ी कार्पोरेट कंपनियों के इशारे पर हो रहा है. छोटे चाय कारोबारियों को बाजार से हटाने की साजिश टी बोर्ड की ओर से की जा रही है.
आज भी नीलामी नहीं हाने की वजह से लाखों किलो चाय अनबिकी रह गयी. उन्होंने कहा कि यदि यही स्थिति आगे भी बनी रही तो इस काम से जुड़े करीब 25 हजार लोगों की रोजी रोटी पर संकट पैदा हो जायेगा. श्री लोचन ने एक बार फिर से टी बोर्ड पर करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि टी बोर्ड द्वारा हाल ही में लागू पैन इंडिया नियम से चाय उद्योग की कमर टूट जायेगी. चाय कारोबारी अपना कारोबार नहीं बचा सकेंगे. टी बोर्ड के पैन इंडिया नियम के तहत टी ब्रोकरों द्वारा छोटे चाय उत्पादकों तथा रूग्ण चाय बागानों को फाइनेंस करने पर रोक लगा दी गई है.
पैसे नहीं मिलने की वजह से छोटे चाय उत्पादकों तथा चाय बागानों को इसका काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. इसके अलवा अभी चाय खरीदने की न्यूनतम मात्रा निर्धारित कर दी गई है. पहले ऐसा नियम नहीं था. कोई भी चाय कारोबारी कितना भी चाय खरीद सकते थे.
न्यूनतम और अधिकतम की कोई सीमा नहीं थी. श्री लोचन ने आगे बताया कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि चाय की खरीददारी के बाद 13 दिन के अंदर भुगतान करना अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसा नहीं होने पर 14वें दिन स्वत: ही सदस्यों का लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि टी बोर्ड का यह नियम तुगलकी फरमान जैसा है. 25-25 साल से लोगों ने ऑक्शन सेंटर की सदस्यता ले रखी है. एक ही दिन में सदस्यता खारिज करने की धमकी टी बोर्ड द्वारा दी गई है. श्री लोचन ने आगे कहा कि इन समस्याओं पर बातचीत करने तथा नियमों मे संशोधन की मांग को लेकर वह सभी कोलकाता गए थे और टी बोर्ड के अधिकारियों से मुलाकात की थी. इसको कोइ लाभ नहीं हुआ. टी बोर्ड के अधिकारियों ने उनकी एक ना सुनी. बाध्य होकर कल बृहस्पतिवार को दिल्ली जा रहे हैं. वहलोग इस मामले में टी बोर्ड के चेयरमैन से बात कर समस्या के सामाधान की मांग करेंगे.