सिलीगुड़ी. लाल चंदन की तस्करी के मामले में कई नये रहस्योद्घाटन हुए हैं. सिलीगुड़ी अदालत से 14 दिनों के लिए प्रधाननगर थाना के हवाले किये गये दो अंतरराष्ट्रीय तस्करों ने पुलिस के सामने कई रहस्यों से पर्दा हटाया. जलपाईगुड़ी जिले के राजगंज के वाशिंदा मोहम्मद सिद्दिकी व चेन्नई के रहनेवाले सैयद इब्राहिम से पूछताछ में पता चला है कि करीब 10 करोड़ कीमत की चंदन की लकड़ी को भूटान या नेपाल के रास्ते नहीं, बल्कि नये रूट बांग्लादेश के रास्ते चीन में तस्करी करने की योजना थी.
इन बहुमू्ल्य लकड़ियों को सालबाड़ी के जंगल से निकालकर सिलीगुड़ी-राजगंज के रास्ते बांग्लादेश सीमा पार कराया जाना था. गिरफ्तार तस्करों की मानें तो इसी रास्ते से पहले भी चंदन ही नहीं, बल्कि लाखों-करोड़ों की कीमत के मादक पदार्थों की भी चीन में तस्करी की जा चुकी है.
अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह द्वारा तस्करी के रूट में परिवर्तन की वजह भूटान और नेपाल के रूट पर कड़ी नजरदारी है. पहले तस्कर सबसे अधिक इसी रूट का इस्तेमाल करते थे. इन रूटों पर सुरक्षा बढ़ा दिये जाने के बाद तस्करों ने बांग्लादेश को नया रूट बना लिया और सिलीगुड़ी को ट्रांजिट प्वाइंट. तस्करी के लिए सिलीगुड़ी शहर सबसे सुरक्षित ट्रांजिट प्वाइंट है. सिलीगुड़ी की भौगोलिक स्थिति से भी तस्कर अच्छी तरह वाकिफ हैं. इस शहर से मात्र कुछ किमी के दायरे में ही अंतरराष्ट्रीय व अंतरराज्यीय सीमाएं शुरू हो जाती है. नेपाल व बांग्लादेश की सीमाएं लगभग सटी हुई हैं. भूटान और चीन की सीमाएं भी ज्यादा दूर नहीं हैं. सिलीगुड़ी से असम, बिहार व सिक्किम की अंतरराज्यीय सीमाएं भी नजदीक हैं.
इसके अलावा भारत का ‘चिकेन नेक’ कहा जानेवाला क्षेत्र सिलीगुड़ी इलाका ही है. सिलीगुड़ी और इसके आस-पास का कुछ किमी का इलाका चिकेन नेक में पड़ता है. इसी चिकेन नेक फायदा अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह उठा रहे हैं और सिलीगुड़ी-बांग्लादेश के रास्ते बड़ी आसानी से चीन में तस्करी कर रहे हैं. पुलिस की इन बातों से अब भारत-नेपाल व भारत-भूटान सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अलावा केंद्रीय राजस्व निदेशालय (डीआरआइ) व खुफिया एजेंसिया भी एकमत हैं.