अब उस पार्टी में कोई दम-खम नहीं बचा है. इस इलाके में जो कुछ विकास हुआ है वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की देन है. इस बार सरकार में आने पर ममता बनर्जी को बेकारी की समस्या के स्थायी समाधान की व्यवस्था करनी होगी. हमारे बड़े भाई गनीखान चौधरी ने इलाके से बेकारी दूर करने की शपथ ली थी. उन्हीं के काम को आगे बढ़ाना मेरी जिम्मेदारी है.
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कांग्रेस के गढ़ में तृणमूल की मजबूत दस्तक
मालदा. एक जमाने में सुजापुर को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था, लेकिन अब यहां भी माहौल कुछ बदला दिख रहा है. गनीखान के सुजापुर में ममता बनर्जी की जनसभा के बाद से यह बदलाव दिखना शुरू हुआ है. अब लोग सिर्फ गनीखान की विरासत के नाम पर वोट डालने को तैयार नहीं हैं, नयी […]
मालदा. एक जमाने में सुजापुर को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था, लेकिन अब यहां भी माहौल कुछ बदला दिख रहा है. गनीखान के सुजापुर में ममता बनर्जी की जनसभा के बाद से यह बदलाव दिखना शुरू हुआ है. अब लोग सिर्फ गनीखान की विरासत के नाम पर वोट डालने को तैयार नहीं हैं, नयी पीढ़ी के लोग काम चाहते हैं. एक समय था जब यहां चुनाव के समय कांग्रेस के अलावा और किसी के झंडे-बैनर दिखायी नहीं देते थे. लेकिन अब यहां हर मोड़ पर तृणमूल का भी झंडा दिख रहा है. तृणमूल के चुनाव कार्यालय गांवों के भीतर तक नजर आने लगे हैं.
बुधवार को प्रभात खबर प्रतिनिधि ने विधानसभा चुनाव की आबोहवा को महसूस करने के लिए कालियाचक एक नंबर ब्लॉक स्थित सुजापुर विधानसभा क्षेत्र में पड़नेवाली गयेशबाड़ी ग्राम पंचायत के विभिन्न इलाकों का दौरा किया. चासपाड़ा, मारुवापाड़ा आदि गांवों के लोगों ने बताया कि समस्या सड़क की है. पीने के पानी की है. लेकिन युवक-युवतियों का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. इन गांवों से अनेक युवक कामकाज की तलाश में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और दक्षिण भारत जाते हैं. इनमें से कुछ वोट देने के लिए घर वापस आये हैं. उनका कहना है कि इस विधानसभा क्षेत्र में हमारे बाप-दादा बराबर कांग्रेस को ही वोट देते आ रहे हैं. उसका क्या नतीजा हुआ? पिछले लोकसभा चुनाव में खुद को गनीखान का भाई कहकर अबु हासेम खान चौधरी (डालू) वोट मांग रहे थे. अभी वह दक्षिण मालदा से कांग्रेस के सांसद हैं. जब लोग उनके पास काम और नौकरी दिलाने की बात करते हैं, तो वह कहते हैं कि सांसद इसमें कुछ नहीं कर सकता. हालांकि वह पिछली यूपीए सरकार में स्वास्थ्य विभाग के राज्य मंत्री थे. फिर उन्होंने काम और नौकरी की कोई व्यवस्था नहीं की.
स्थानीय लोग कहते हैं कि दो दिन पहले इलाके में चुनाव प्रचार करने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आयी थीं. वह यह बोलकर गयी हैं कि तृणमूल सरकार फिर सत्ता में आ रही है. इससे लोग यह उम्मीद लगा बैठे हैं कि अगर यहां से तृणमूल उम्मीदवार अबु नासेर खान चौधरी (लेबू) जीतते हैं तो ममता उन्हें मंत्री जरूर बनायेंगी. एक तो लेबू बाबू का ताल्लुक गनीखान खानदान और अल्पंसख्यक समुदाय से है और दूसरे वह शैक्षिक रूप से भी योग्यता रखते हैं. वह पहले गनीखान चौधरी इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के चेयरमैन रह चुके हैं. लोगों को उम्मीद है कि लेबू बाबू इलाके में रोजगार पैदा करने के लिए काम करेंगे.सुजापुर विधानसभा क्षेत्र के कालियाचक चौरंगी मोड़ के निवासी कहते हैं, इस चुनाव में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है. वे गांव-गांव जाकर लोगों से बातचीत कर रहे हैं. कई ग्रामीणों ने खुशी-खुशी अपने घर का बरामदा तृणमूल कार्यालय खोलने के लिए दे दिया है. इलाके के युवक अपने प्रयास से गांव के हर मोड़ पर तृणमूल के झंडे लगा रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि इस बार सुजापुर में कांग्रेस के लिए लड़ाई आसान नहीं होगी. तृणमूल से उसे कड़ी टक्कर मिलेगी. इस बारे में बात करने पर तृणमूल प्रत्याशी लेबू बाबू कहते हैं कि इलाके के लोग ठीक ही कह रहे हैं. मैं पहले कांग्रेस का विधायक था.
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