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सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में चिकित्सा सेवा चरमरायी

सिलीगुड़ी. ज्यों-ज्यों बंगाल विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, त्यों-त्यों सिलीगुड़ी जिला अस्पताल को नर्सिंग होम के तर्ज पर सुसज्जित करने का कार्य भी युद्धस्तर पर चल रहा है. ममता बनर्जी सरकार के नेता-मंत्री भी बार-बार यह दावा करते हैं कि अब सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में नर्सिंग होम के तर्ज पर चिकित्सा सेवा […]

सिलीगुड़ी. ज्यों-ज्यों बंगाल विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, त्यों-त्यों सिलीगुड़ी जिला अस्पताल को नर्सिंग होम के तर्ज पर सुसज्जित करने का कार्य भी युद्धस्तर पर चल रहा है. ममता बनर्जी सरकार के नेता-मंत्री भी बार-बार यह दावा करते हैं कि अब सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में नर्सिंग होम के तर्ज पर चिकित्सा सेवा की व्यवस्था की गयी है. दूसरी ओर कहानी अलग है़ वास्तविक परिस्थिति के आगे नेता-मंत्रियों के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.
ऑर्थोपेडिक, गायनो, इएनटी समेत कई विशेषज्ञ डॉक्टरों के न होने से जिला अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. विभागों पर ताला लटका है और मरीज दिनभर परेशान होते हैं. खासकर दूरदराज गांवों से आनेवाले मरीजों और उनके परिजनों को कइ समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. अभी बदलते मौसम में बीमारी अधिक फैलने से अस्पताल के आउड डोर में सुबह से ही मरीजों की लंबी कतार लगनी शुरू हो जाती है. विशेषज्ञ डॉक्टरों के न होने का आलम यह है कि अन्य डॉक्टरों के कंधों पर हर मर्ज का इलाज करने का बोझ है.
हड्डी संबंधी रोगों का इलाज कर रहे फिजिशियन : सिलीगुड़ी के 43 नंबर वार्ड की रहनेवाली एक महिला मरीज का आरोप है कि उसे हड्डी संबंधी रोग है. पिछले काफी दिनों से उसके कंधों की हड्डियों में काफी दर्द है, लेकिन यहां पहुंचने पर मालूम पड़ा कि हड्डी विशेषज्ञ (ऑर्थोपेडिक) नहीं हैं उसे फिलहाल फिजिशियन को दिखाना पड़ेगा. इसी तरह का आरोप बैकुंठपुर जंगल के बस्ती चमकडांगी की रहनेवाली एक युवती सपना मंडल का है. उसका कहना है कि उसे स्त्रीरोग विशेषज्ञ (गायनो) को दिखाना था लेकिन डॉक्टर के न होने से फिजिशियन को दिखाना उसकी मजबूरी है. वहीं, आसीघर की कानन दास व महानंदा पाड़ा की रोमा दास ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है. कानन को दोनों आंखों से धुंधला दिखता है वहीं, रोमा को मोतियाबिंद की शिकायत है. दोनों का आरोप है कि डॉक्टर उनसे रोग की विस्तृत जानकारी लिये बगैर दोनों आंखों में टॉर्च की रोशनी मारकर ही दवाई की परची थमा दे रहे हैं और दवाईयां भी अस्पताल में पर्याप्त नहीं है.
स्वास्थ्य अधीक्षक ने आरोपों से झाड़ा पल्ला: जिला अस्पताल के मुख्य स्वास्थ्य अधिक्षक डॉ अमिताभ मंडल ने आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए दावा किया कि न तो डॉक्टरों की कमी है, न ही विभागों में ताला जड़ा पड़ा है और न ही चिकित्सा सेवा में कोई कमी है. श्री मंडल ने कहा कि कभी-कभी आवश्यक कार्यों के लिए डॉक्टरों को छुट्टी देनी पड़ती है. ऐसे में उनका दायित्व अन्य डॉक्टर अच्छे तरीके से संभालते हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी मरीजों को किसी तरह की भी शिकायत हो तो वह मुझसे सीधा संपर्क कर लिखित शिकायत करें.
विधायक ने स्वीकारी डॉक्टरों की कमी
राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग पर गठित विधानसभा के स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन व सिलीगुड़ी के विधायक डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने स्वीकार किया है कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में फिलहाल विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है. इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति प्रक्रिया युद्धस्तर पर जारी है, जल्द ही जिला अस्पताल में विभिन्न विभागों के रिक्त पदों पर डॉक्टरों की नियुक्ति हो जायेगी.
क्या कहना है समाजसेवी सोमनाथ चटर्जी का : शहर के चर्चित समाजसेवी व सिलीगुड़ी वोलेंट्री बल्ड डोनर्स फोरम के प्रमुख सोमनाथ चटर्जी का कहना है कि चिकित्सा सेवा को लेकर राजनीति बर्दाश्त नहीं की जायेगी. एक तरफ सरकार आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिला अस्पताल का सौंदर्यीकरण करने पर तुली है,वहीं दूसरी ओर मरीज बिना इलाज के मारे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सौंदर्यीकरण जरूरी है लेकिन इससे पहले मरीजों को सही चिकित्सा सेवा दिया जाना और भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस जिला अस्पताल पर सिलीगुड़ी महकमा क्षेत्र के 12 लाख से भी अधिक गरीब निर्भर करते हैं. इसलिए नेता-मंत्रियों को स्वास्थ्य सेवा को लेकर राजनीति की नहीं बल्कि अपने दायित्वों पर ध्यान देना चाहिए. साथ ही उन्होंने अस्पताल के स्वास्थ्य अधीक्षक को भी आड़े हाथों लिया और उन्हें राजनेताओं की भाषा न बोलने एवं गरीब मरीजों को सही चिकित्सा सेवा देने की नसीहत दी.

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