जमीन नहीं खाली करने पर शुक्रवार को दार्जिलिंग जिला प्रशासन ने इनके घरों पर बुलडोजर चलवा दिया. इसके बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा. ये लोग पास ही स्थित पानीटंकी में भारत-नेपाल सड़क पर जमा हो गये और कई घंटों के लिए सड़क जाम कर दी. भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंचा और सड़क को खाली करवाया. स्थानीय लोगों का कहना है कि उक्त परिवार उस जमीन पर बरसों से रह रहे हैं और प्रशासन ने अचानक जोर-जबरदस्ती से जमीन खाली करवा ली है. वो लोग माकपा के शासन में वहां बसे थे. स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि जमीन दलालों के फायदे के लिए जिला प्रशासन यह कदम उठा रहा है.
बाद में दलालों की मदद से इस जमीन की बिक्री की जायेगी. माकपा के नेताओं तथा प्रभावित लोगों ने इस मुद्दे को लेकर बृहत आंदोलन की चेतावनी दी है. गड़बड़ी की शुरुआत सुबह उस समय हुई जब भूमि राजस्व अधिकारी सुमित चाकी विशाल पुलिस बल के साथ बुलडोजर लेकर जमीन खाली कराने मौके पर पहुंचे. जमीन खाली कराने का क्रम जारी था कि उसी दौरान वहां बसे जीतू उरांव नामक व्यक्ति के घर पर भी बुलडोजर चलाने की कोशिश की गयी. उस व्यक्ति की इसी दिन मौत हुई थी और उसका शव घर में रखा था. घर खाली कराने के क्रम में स्थानीय लोगों ने प्रशासन से घर नहीं तोड़ने का अनुरोध किया. नहीं मानने पर सभी लोग आक्रोशित हो गये और जमकर बवाल मचाया. नक्सलबाड़ी ग्राम पंचायत के तृणमूल प्रधान राधा गोविंद घोष ने पंचायत को अंधेरे में रखकर प्रशासन द्वारा कार्रवाई किये जाने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि भूमि राजस्व विभाग द्वारा जमीन खाली कराने का निर्णय अचानक लिया गया है. ग्राम पंचायत को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गयी है. कुछ अधिकारी राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं. उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की. प्रशासन ने जमीन खाली करवाकर एक तरह से जमीन दलालों की मदद की है. इतने दिनों तक जमीन पर बसे लोग आखिर कहां जायेंगे. तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष पुश्विन राय ने भी इस मामले को लेकर जिला प्रशासन पर निशाना साधा है. उन्होंने उजाड़े गये लोगों को फिर से उसी स्थान पर बसाने की मांग की है.