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अगले सप्ताह होगी संयुक्त फोरम की बैठक

चाय बागान : चीफ जस्टिस के बयान से जगी श्रमिकों में आस महीने में एक बार लोक अदालत लगाने की मांग राज्य सरकार की भूमिका को लेकर जताया संदेह सिलीगुड़ी : कलकत्ता हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मंजुला चेल्लूर द्वारा चाय श्रमिकों की समस्या लोक अदालतों के माध्यम से सुलझाने की सलाह के बाद डुवार्स के […]

चाय बागान : चीफ जस्टिस के बयान से जगी श्रमिकों में आस
महीने में एक बार लोक अदालत लगाने की मांग
राज्य सरकार की भूमिका को लेकर जताया संदेह
सिलीगुड़ी : कलकत्ता हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मंजुला चेल्लूर द्वारा चाय श्रमिकों की समस्या लोक अदालतों के माध्यम से सुलझाने की सलाह के बाद डुवार्स के बदहाल चाय बागानों के श्रमिकों में एक नयी आस जगी है. सिर्फ डुवार्स ही नहीं, बल्कि तराई के भी चाय बागानों की हालत इन दिनों खस्ताहाल है.
हर दिन ही किसी न किसी चाय बागान में भूख एवं बीमारी की वजह से किसी न किसी चाय श्रमिक की मौत हो रही है. चाय बागानों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. ऐसी परिस्थिति में न्यायमूर्ति डॉ मंजुला चेल्लूर ने रविवार को चाय श्रमिकों को अपनी समस्याओं को लेकर लोक अदालतों में आने का सुझाव दिया था.
यह शायद पहली बार है जब चाय श्रमिकों की दर्दनाक स्थिति को लेकर न्यायपालिका ने हस्तक्षेप किया है.एक निजी संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ चेल्लूर ने चाय श्रमिकों की खस्ता हालत पर अपनी चिंता जाहिर की थी और यथाशीघ्र इस समस्या को दूर करने का सुझाव दिया था. चीफ जस्टिस की इस सलाह के बाद डुवार्स के चाय श्रमिकों में एक राहत की उम्मीद जगी है. न्यायमूर्ति चेल्लूर के इस कदम की चाय श्रमिक संगठनों से स्वागत किया है.
चाय श्रमिकों के 23 ट्रेड यूनियनों द्वारा गठित संयुक्त फोरम ने चीफ जस्टिस के इस कदम की सराहना की है. संयुक्त फोरम के घटक यूनियन में शुमार पश्चिम बंगाल चा बागान श्रमिक कर्मचारी यूनियन के तराई डुवार्स के सहायक सचिव अमूल्य दास ने हाईकोर्ट के इस पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे राज्य सरकार पर श्रमिकों की समस्याओं को दूर करने के लिए दबाव पड़ेगा.
श्री दास ने कहा कि चीफ जस्टिस डॉ मंजुला चेल्लूर के इस पहल के आलोक में अगले सप्ताह संयुक्त फोरम की एक बैठक होगी. इसी बैठक में डॉ चेल्लूर के सुझाव पर विचार किया जायेगा. इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार की भूमिका को लेकर भी संदेह प्रकट किया.
उनका कहना था कि कोर्ट का काम लोक अदालतों का गठन करना है. उसमें मामला आने के बाद ही आगे की सुनवाई होगी. चाय बागान मालिकों के खिलाफ राज्य सरकार को कार्रवाई करना है. राज्य सरकार यदि लोक अदालतों में मामला दर्ज कराती है, तो उसमें सुनवाई के बाद समस्या के समाधान की संभावना है.
उन्होंने राज्य सरकार की नीयत पर संदेह प्रकट करते हुए कहा कि सरकार लोक अदालतों तक मामला लेकर नहीं जायेगी. श्री दास ने आगे कहा कि चाय श्रमिकों के लिए लोक अदालतों के गठन से निश्चत रूप से श्रमिकों की भलाई होगी, लेकिन यह सब कुछ राज्य सरकार के रूख पर निर्भर करता है.
इसके साथ ही उन्होंने चाय बागानों में महीने में कम से कम एक बार लोक अदालत लगाने की मांग की. श्री दास ने कहा कि यदि हरेक सप्ताह लोक अदालत लगे, तो इसका लाभ ज्यादा होगा. फिर भी यदि सप्ताह में लोक अदालत लगाना संभव नहीं हो तो कम से कम महीने में एक बार लोक अदालत अवयश्य लगनी चाहिए.
क्या है मामला
डुवार्स में चाय बागानों खासकर डंकन्स ग्रुप के चाय बागानों की हालत काफी खराब है. करीब दस चाय बागान बंद पड़े हुए हैं. चाय श्रमिकों के वेतन तथा भत्ते का भुगतान नहीं हो पा रहा है.
भूख तथा बीमारी की वजह से आये दिन चाय श्रमिकों की मौत हो रही है. चाय श्रमिक नेता तथा पूर्व सांसद समन पाठक के दावे पर यदि भरोसा करें तो अब तक करीब 250 चाय श्रमिकों की मौत भूख एवं बीमारी की वजह से हो चुकी है. राज्य सरकार हालांकि भूख से श्रमिकों के मरने की बात नहीं मान रही है. राज्य सरकार का दावा है कि बंद पड़े चाय बागानों में चाय श्रमिकों के लिए अन्न तथा चिकित्सा की व्यवस्था राज्य सरकार की ओर से की जा रही है.
क्या कहा था चीफ जस्टिस ने
न्यायमूर्ति डॉ मंजुला चेल्लूर ने कहा था कि चाय श्रमिकों के सामने भूखमरी एक गंभीर संकट है. सबको मिलकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए. उन्होंने दार्जिलिंग जिले के विभिन्न खस्ता हाल चाय बागानों में लोक अदालत लगाने की भी सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि लोक अदालतों में चाय श्रमिक खुलकर अपनी समस्याओं को रख सकेंगे. लोक अदालतों के माध्यम से पीएफ, राशन, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, बिजली, पानी, ग्रेच्युटी, चिकित्सा आदि जैसी समस्याओं का समाधान संभव है. उन्होंने इसके लिए अवकाश प्राप्त जिला जज को काम पर लगाने की बात भी कही थी.
तृणमूल के खिलाफ आंदोलन का ऐलान
बगैर अनुमति के ही सरकारी दफ्तरों पर हल्लाबोल करेंगे युवा कॉमरेड
एनबीडीडी, एसजेडीए, उत्तरकन्या समेत अन्य दफ्तरों पर धरना प्रदर्शन आज से
सिलीगुड़ी. वाम मोरचा भी तणमूल के राह पर चलने को पूरी तरह तैयार है. इसके लिए वाम मोरचा के सभी घटक दलों के युवा विंग ने कमर कस लिया है. तणमूल के आंदोलन का जवाब उसी तरीके से युवा मोरचा भी देगी.
तणमूल पर यह करारा पलटवार किया है माकपा के युवा विंग डेमोक्रेटिक युथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाइएफआइ) के केंद्रीय कमेटी के सदस्य व सिलीगुड़ी निगम में शिक्षा-संस्कृति-खेल मामलों के मेयर परिषद सदस्य (एमएमआइसी) शंकर घोष ने. वह सोमवार को स्थानीय हिलकार्ट रोड स्थित जिला पार्टी मुख्यालय अनिल विश्वास भवन में आयोजित प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने ममता सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जिस तरह तणमूल के नेता, कार्यकर्ता वाम मोरचा एवं निगम में वाम बोर्ड के विरूद्ध बगैर अनुमति एवं बगैर अग्रिम सूचना के ही लाउड स्पीकरों के साथ धरना, घेराव, सभा के माध्यम से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं,उसने वाम को भी उसी तरीके से आंदोलन करने को मजबूर कर दिया है.
श्री घोष ने कहा कि युवा मोरचा के सदस्य बगैर अनुमति सरकारी दफ्तरों पर कल से हल्लाबोल करेंगे. राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय (एनबीडीडी), सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए), उत्तरकन्या जैसे महत्त्वपूर्ण सरकारी दफ्तरों पर लगातार आंदोलन किया जायेगा. इसी आंदोलन के मार्फत तणमूल को करारा जवाब दिया जायेगा. चिटफंड घोटाला, एनबीडीडी घोटाला, एसजेडीए घोटाला, युवाओं के रोजगार के नाम पर लाखों-करोड़ों की ठगी का पायी-पायी का हिसाब ममता सरकार को देना पड़ेगा. प्रेस-वार्ता के दौरान एसएफआइ के जिला अध्यक्ष सौरभ दास व अन्य संगठनों के भी वाम युवा एवं छात्र नेता मौजूद थे.
बंगाल को कर्ज में डूबोकर ‘ममता’ मना रही उत्सव
बंगाल को कर्ज में डूबोकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्सव मनाने एवं अकल्पणीय तरीके से योजनाओं का शुभारंभ कर रही हैं,जबकि वह बार-बार अपने बयानों में उल्टे वाम मोरचा पर बंगाल को कर्ज में डूबोने का आरोप लगा रही है. यह कहना है डीवाइएफआई नेता शंकर घोष का.
उन्होंने प्रेस-वार्ता के दौरान ममता की खींचाई करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष (2015-16) में बंगाल सरकार पर 2,99,274 करोड़ रूपये का कर्ज है, जबकि वाम शासन में 2010-11 के वित्त वर्ष के दौरान इतना कर्ज नहीं था. श्री घोष का कहना है कि यह आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि ममता की सरकार पूरी तरह कर्ज में डूबी है. इसके बावजूद यह सरकार एक के बाद एक कर्ज लेकर उत्सवों के नाम पर करोड़ों रूपये पानी के तरह बहा रही है.
टैक्स पर दी सफाइ
सिलीगुड़ी नगर निगम में टैक्स बढ़ाने का विरोध कर रही तणमूल कांग्रेस को करारा जवाब देते हुए शंकर घोष ने कहा कि म्यूटेशन फी सौ फीसदी बढ़ाने का फैसला पीछली बोर्ड (कांग्रेस-तणमूल कांग्रेस गठबंधन) ने ही लिया था, जिसे एक अप्रैल 2013 से लागू किया जाना था.
लेकिन इसे लागू वर्तमान वाम बोर्ड ने किया. श्री घोष ने कहा कि इसे लागू करने का मकसद निगम का आय बढ़ाना है. निगम की आय बढ़ेगी, तभी निगम की जनता को भी इसका फायदा मिल सकेगा. श्री घोष ने कहा कि किसी भी संस्थान को सही तरीके से चलाने के आय की जरूरत है. बगैर फंड के संस्थानों को चलाना काफी मुश्किल है.
आश्रमपाड़ा के छात्र की मौत डेंगू से नहीं, हार्ट अटैक से हुई
निगम में शिक्षा-संस्कति-खेल मामलों के एमएमआइसी शंकर घोष का दावा है कि शहर के 14 नंबर वार्ड अंतर्गत आश्रमपाड़ा के हरिजन बस्ती का रहनेवाला 13 वर्षीय छात्र अभय बासफोर की मौत डेंगू से नहीं हुई. बल्कि उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है. इसकी पुष्टि चिकित्सकों ने की है. इसकी सत्यता का प्रमाण-पत्र चिकित्सकों द्वारा जारी डेथ सर्टिफिकेट भी मृतक छात्र के परिजनों के पास मौजूद है.
उन्होंने छात्र की मौत पर तणमूल द्वारा की गयी ओछी राजनीति की तीखी आलोचना की. उन्होंने कहा कि बगैर प्रमाण के लोगों में आतंक फैलाना भी एक तरह का अपराध है. छात्र की मौत के बाद तणमूल नेताओं ने डेंगू फैलने का हो-हल्ला मचाया और मेयर से इस्तीफा देने की गंदी राजनीति की गयी. बगैर सोचे-समझे लोगों को आतंकित करना उचित नहीं है.

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