अलीपुरद्वार. अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, पड़ोसी देशों से खतरा, देश के अंदर चल रहे विवादास्पद मसलों आदि से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में पूरी तरह परहेज किया. पूर्वोत्तर भारत के अलीपुरद्वार जिले की हासीमारा वायुसेना छावनी के 50 वर्ष होने पर हासीमारा में आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने बस आठ मिनट का संक्षिप्त भाषण दिया.
इसमें वह वायुसेना के कृतित्व पर ही केंद्रित रहे. इसके बाद दोपहर को विशेष वायुयान से वह दिल्ली के लिए रवाना हो गये. अपने भाषण में श्री मुखर्जी ने वायुसेना के 18 व 22 नंबर स्कॉवर्डन के अधिकारियों व पायलटों को प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड अवार्ड से सम्मानित करते हुए कहा कि 1960 के दशक में भारत-चीन युद्ध व 1971 के भारत-पाक युद्ध में वायुसेना की इन दोनों स्कॉवर्डनों ने विशेष भूमिका निभायी थी. देश के किसी भी युद्ध में इनसे जुड़े अधिकारियों ने अपने जान पर खेल कर देश के गौरव की रक्षा की. हासीमारा छावनी की इन स्कॉवर्डनों के अधिकारी व पायलट इस देश के लिय गौरव हैं.
उल्लेखनीय है कि नेपाल के भयावह भूकंप के समय में वायुसेना ने राहत कार्य में अतुलनीय योगदान दिया. राष्ट्रपति ने कहा कि वायुसेना देश के गौरव के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर रही है. जो वायु सेना के जवान युद्ध में शहीद हो गये हैं उन्हें राष्ट्रपति ने अमर शहीद कह कर संबोधित किया. राष्ट्रपति ने बताया कि वायु सेना की मिग सिरीज व सुयरेज सिरीज के लड़ाकू विमानों के साथ देश के सपूतों ने प्रशंसनीय सफलता हासिल की हैं. महामहिम ने अपने भाषण में अमर शहीदों के परिजनों को भी श्रद्धा ज्ञापन किया.
आज सुबह करीब दस बजे मदारीहाट के जलदापाड़ा टूरिस्ट लॉज से सड़क मार्ग से राष्ट्रपति वायुसेना छावनी के लिए निकले. जीप में राष्ट्रपति वायु सेना छावनी का मुआयना किया. वायुसेना के विभिन्न लड़ाकू विमानों व हेलीकॉप्टरों से महामहिम को सलामी दी गयी. हलीकॉप्टर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. इसके बाद राष्ट्रपति का भाषण हुआ.
महिला ब्रिगेड जल्द ही काम करने लगेगी : राहा
शनिवार को पत्रकार सम्मेलन में वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने बताया कि वायु सेना की महिला ब्रिगेड का प्रशिक्षण समाप्त हो चुका है, जल्द ही उन्हें भी कार्य में लगाया जायेगा. उत्तर भारत में कोई नया एयर बेस कैंप बनाने की योजना नहीं है. पुराने बेस कैंप को ही और भी विकसित कर उन्नत संसाधनों से परिपूर्ण किया जायेगा. इसके साथ ही घरेलू एयर बेस को भी व्यवहार में लाया जायेगा.