अब और शोषण बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. प्रदर्शनकारियों ने तीखे तेवर में यह एलान किया कि जब-तक हमारा सम्मानजनक वेतन वृद्धि नहीं किया जायेगा और सामाजिक सुरक्षा के तहत सभी सात मुद्दों पर बात नहीं बनती है तब-तक हम इस लड़ाई में एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे. कंपनी के खिलाफ हमारी यह लड़ाई अब अंतिम लड़ाई होगी. हम अपना हक शांतिपूर्ण व गणतांत्रिक रुप से लड़ कर ही दम लेंगे. यूनियन के अध्यक्ष टेक बहादुर गुरुंग ने कहा कि वेतन को लेकर मालिक पक्ष का रवैया सही नहीं है.
सिनीयर चालकों का वेतन छह – साढ़े छह हजार रुपये है तो नये चालकों का वेतन मात्र दो से तीन हजार रुपये. सिनीयर चालक हो या फिर नये चालक वाहन चलाने में मेहनत सभी का एक समान ही लगता है. इस महंगाई के दौर में न तो छह हजार में किसी का गुजारा चलता है और न ही दो-अढ़ाई हजार रुपये में. सबसे बुरा हाल नेशनल परमिट वाले चालकों की है. उन्हें दिन में 12 से 15 घंटे इतना भारी वाहन अकेले ही दौड़ाना पड़ता है. उनके साथ एक अन्य चालक तो दूर की बात खलासी भी नहीं है. इसके बावजूद उनका वेतन मात्र तीन हजार रुपये के आस-पास है. खुराकी भी बहुत कम कं पनी देती है. उन्हें पूजा बोनस भी नहीं दिया जाता. ऐसा बुरा हाल कंपनी के करीब तीस नेशनल परमिट वाले ट्रंक लॉरी चालकों की है. साथ ही पूरे उत्तर बंगाल, दार्जिलंग पहाड़ व सिक्किम की ओर परिचालन करने वाले कंपनी के सभी ट्रकों व छोटे ट्रंक लॉरी के कर्मचारियों का भी सामाजिक शोषण हो रहा है.
यूनियन के सचिव पदम राई ने कहा कि हमारी मांग है कि चालकों का वेतन 15 हजार रुपये प्रत्येक महीना हो, पीएफ, इएसआइ, पेंशन, बीमा, महंगाई भत्ता, बोनस जैसे सामाजिक सुरक्षा की सुविधाएं सभी कर्मचारियों को देना पड़ेगा. साथ ही नेशनल परमिट के वाहनों में खलासी बहाल करना होगा. खुराकी भी प्रत्येक दिन न्यूनतम तीन सौ रुपये करना होगा. श्री राई ने कहा कि इस हड़ताल का असर केवल सिलीगुड़ी या उत्तर बंगाल ही नहीं बल्कि समतल से पहाड़ यानी सिक्किम तक पड़ेगा. एलपीजी गैस सिलिंडरों की लोडिंग-अनलोडिंग आज से पूरी तरह बंद कर दी गयी है. साथ ही समतल से पहाड़ तक सभी ट्रकों व ट्रंक लॉरी के चक्के जाम कर दिये गये है. इतना ही नहीं देश के विभिन्न प्रांतों में भी कंपनी के वाहन आज जहां हैं वहीं खड़ी कर दी गयी है.इन मुद्दों को लेकर प्रभात खबर ने कई बार कंपनी के निदेशक विजय गोयल से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका.