कुछ अपरिहार्य कारणों से बीते महीनों यहां काफी अशांति फैली. सरकारी परियोजना के लिए यहां खुदाई का काम किया गया. हमारे पूर्वज असंतुष्ठ न हों, उनकी आत्मा की शांति व भूमि शुद्धिकरण हेतु इस पूजा-पाठ का आयोजन कराया गया. विदित हो कि बीते साल राज्य सरकार इस श्मशान के खाली जगह पर विद्युत शवदाह चूल्हा का निर्माण कराना चाहती थी.
स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद जमीन की खुदाई करा दी गयी थी. इस सरकारी परियोजना के शिलान्यास वाले दिन से ही लोगों ने विरोध करना शुरु कर दिया था. शिलान्यास करने आये उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव को यहां के निवासियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा था. सरकार के इस परियोजना से इलाके में प्रदूषण फैलने का हवाला देकर लोगों ने आंदोलन करना शुरु कर दिया.
धीरे-धीरे यह आंदोलन हिंसक आंदोलन में तब्दील हो गया. बाद में रामघाट का मुद्दा होइकोर्ट तक चला गया. कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया. रामघाट में ही परियोजना बनाने के कोर्ट के फैसले के बावजूद सरकार ने स्थानीय लोगों की राय को अहमियत दी. इसी महीने सरकार ने इस परियोजना को रामघाट से हटाकर सिलीगुड़ी के निकट फूलबाड़ी स्थानांतरित करा दिया और सप्ताह भर पहले ही खुदाई की गयी जमीन को मिट्टी से भरवा कर सपाट करा दिया.