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फर्स्‍ट एड, आग नियंत्रक यंत्र नहीं

– जितेंद्रजीत – बसों में यात्री रहते भगवान भरोसे आसनसोल : सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी आसनसोल महकमा में चलने वाली ज्यादातर बसें सुरक्षा नियमों को ताक पर रख कर चल रही है. इन बसों में न तो आग बुझाने का साधन है और न ही प्राथमिक उपचार सामग्री. बिडम्बना यह है कि […]

– जितेंद्रजीत –

बसों में यात्री रहते भगवान भरोसे

आसनसोल : सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी आसनसोल महकमा में चलने वाली ज्यादातर बसें सुरक्षा नियमों को ताक पर रख कर चल रही है. इन बसों में तो आग बुझाने का साधन है और ही प्राथमिक उपचार सामग्री. बिडम्बना यह है कि इन बसों के खिलाड़ परिवहन कार्यालय की ओर से कोई अभियान नहीं चलाया जाता.

आसनसोल मिनी बस ऑनर्स एसोसिएशन के सचिव सुदीप राय का कहना है कि बस में आग नियंत्रण के लिए कोई उपकरण कहीं नहीं होता है, ऐसा कोई नियम भी नहीं होता है, फस्र्ट एड बॉक्स सभी बसों में है. इस संबंध में परिवहन विभाग की ओर से भी कोई निर्देश नहीं दिया जाता है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इन सुविधाओं की जांच के लिए एसोसिएशन के पास कोई मशीनरी नहीं है.

आसनसोल अगिAशामक विभाग के प्रभारी जावेद खान ने कहा कि बसों में इन सामग्रियों को अवश्य रखना चाहिए. यह समय पर काफी काम आता है और घटना को टालने में काफी मददगार साबित हो सकता है. यदि बसों में आग पर काबू पाने के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती है तो इस पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि छोटे वाहनों में आग बुझाने के यंत्र अनिवार्य रुप से होते हैं.

परिवहन विभाग के सूत्रों ने कहा कि यात्री बसों तथा स्कूल बसों के लिए कई नियमावली जारी है. इसकी जानकारी भी कर्मियों को दी जाती है. लेकिन बसकर्मी या मालिक इस पर ध्यान नहीं देते. उन्होंने स्वीकार किया कि विभागीय स्तर पर इसके लिए कभी अभियान नहीं चला. उन्होंने कहा कि यह यात्री सचेतनता का भी मामला है.

आइएनटीटीयूसी से संबद्ध आसनसोल सब डिवीजनल मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के सचिव राजू अहलुवालिया भी इस सच्चई को स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने कई बार बस चालक मालिक से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन 34 साल से बिगड़ी हुई आदत इतनी जल्दी ठीक होने वाली नहीं है.

जल्दी ही वह इस संबंध में बैठक करने वाले हैं, जिसमें बस कर्मचारी के साथ मालिकों को भी बुलाया जायेगा. और आवश्यक सामग्रियों के साथ ही सभी बसों में विकलांग वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित सीट की भी व्यवस्था करवायी जायेगी.

यात्रियों का कहना है कि ज्यादातर बसों में फास्ट एड बॉक्स होता ही नहीं है. यदि होता भी है तो वह केवल दिखावा के लिए. जांच किया जाये तो किसी में दवा नहीं मिलेगा, तो किसी में बंडेड ही गायब रहता है. बसकर्मियों को इसके प्रति कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता है.

मालूम हो कि आसनसोल में साढ़े सात सौ से अधिक मिनी बड़ी बसें चलती है. जिसमें सौ से अधिक बसें लंबी दूरी की है. जानकारी के अनुसार लंबी दूरी की कुछ बसों को छोड़ कर शेष बसों में आवश्यक आपातकालीन समय में काम आने वाले ज्यादातर उपकरणों का अभाव है. जैसे आग पर काबू पाने के लिए सीज फायर की व्यवस्था नहीं है.

वहीं कर्मचारियों का कहना है कि बस में यदि कोई कमी है तो इसमें उनलोगों की कोई गलती नहीं है. एक सीज फायर का बोतल रखने या फास्ट एड बॉक्स रखने से उनलोगों को कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन बस मालिक जब तक खरीद कर नहीं देंगे, वे लोग कहां से लायेंगे.

ट्रैफिक एसीपी अजय कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. यदि शिकायत मिलती है तो अवश्य कार्रवाई होगी.

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