आसनसोल : पुलिस कमीश्नरेट गठन के पहले और नयी राज्य सरकार के गठन के बाद से ही अपराधियों ने सबसे अधिक चुनौती पुलिस अधिकारियों को दी. बर्नपुर रोड के कोर्ट मोड़ में स्थित एटीएम सेंटर में राशि भरने के दौरान दिनदहाड़े 36 लाख रुपये की लूट अपराधियों ने कर ली.
इसके बाद दो जून को इसी कोर्ट मोड़ के पास रामलखन यादव सहित तिहरे हत्याकांड के अंजाम दिया गया. इसके पहले ही तीन बैंकों से दिनदहाड़े लूट हो चुकी थी. इन सभी के उद्भेदन की जिम्मेवारी नवगठित कमीश्नरेट को मिली थी. लेकिन किसी भी मामले का उद्भेदन नहीं हो सका.
तिहरे हत्याकांड में उत्तर प्रदेश के शूटरों को पकड़ कर यूपी के टास्क फोर्स ने कमीश्नरेट पुलिस को दिया, लेकिन सभी हत्यारों को पक ड़ा नहीं जा सका. कई आरोपी पुलिस की पक ड़से बाहर रहे. जो पकड़े गये, उनकी भी संलिप्तता पर सवाल उठते रहे. मुख्य साजिशकत्र्ता की गिरफ्तारी की मांग अभी भी होती रही है.
बर्नपुर में सात वर्षीया स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म व हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोरा, उसमें जिसकी गिरफ्तारी की गयी, उसने कभी भी अपनी संलिप्तता स्वीकार नहीं की. मृतका के परिजनों ने भी उसे दोषी नहीं माना, आखिरकार आरोपी ने कोर्ट हाजत में आत्मदाह कर मौत को गले लगा लिया.
मंत्री मलय घटक के घर के सामने स्थित विद्युत कार्यालय से सरेशाम लाखों की लूट हुई. विभागीय कर्मियों को गिरफ्तार कर फाइल लंबित कर दी गयी.
पूरे क्षेत्र में बाइक राइडर अपराधियों की सक्रियता रही है. झारखंड पुलिस के साथ संयुक्त बैठक में भी यह मामला पिछले माह उठा था. माकपा के तीन नेताओं व कर्मियों की हत्या बर्नपुर में हुई है.
निगरुन दूबे, अर्पण मुखर्जी व पूर्व विधायक दिलीप सरकार की. इनमें से सभी मामलों की समीक्षा नये पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल कर चुके हैं. पुलिस के सामने मुख्य चुनौती तिहरे हत्याकांड के आरोपियों को सजा दिलाना, तीन राजनीतिक हत्याओं में शामिल हत्यारों को जेल के सींकचों तक पहुंचाना है.
इसके साथ ही पूरे क्षेत्र में राजनीतिक संघर्षो को भी नियंत्रित करना मुख्य समस्या है. पंचायत चुनाव शुरू होने के बाद से ही इसमें तेजी आ गयी है. अधिसंख्य मामलों में सत्ताशीन पार्टी के कर्मी व समर्थक शामिल रहे हैं. पुलिस पर निष्पक्षता को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
हाल में कोयला अधिकारियों पर भी हमले हुये हैं. इसीएल प्रबंधन ने विवशता में एक कोलियरी को बंद करने की घोषणा कर दी है. अधिकारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने असुरक्षित माहौल में काम करने से इंकार कर दिया है. नये ग्राम प्रधानों के बनने के बाद संघर्ष में तेजी की आशंका जतायी जा रही है. संसदीय चुनाव को लेकर राजनीतिक हिंसा की आशंका है.