आसनसोल : शायद आपको सहज रुप से यकीं न हो, लेकिन पिछले बीस वर्षो से आसनसोल शहर की आबादी में वृद्धि दर काफी कम रही है तथा वर्ष 2011 में हुई जनगणना में यह 1.52 फीसदी पर आ गयी है. पड़ोसी राज्य झारखंड की कोयलांचल राजधानी माने जानेवाले धनबाद की भी यही स्थिति है.
वहां तो वृद्धि दर आसनसोल से भी कम 1.15 फीसदी है. मजे की बात यह है कि राज्य के मुख्यालय कोलकाता में भी वृद्धि दर काफी कम और देश के अधिसंख्य शहरों में सबसे कम है. कोलकाता में यह वृद्धि 0.66 फीसदी पर आ गयी है. इसका मुख्य कारण इन क्षेत्रों में उद्योग–धंधों का बंद होना तथा बिहार की सामाजिक–आर्थिक संरचना में तेजी से आ रहा बदलाव मुख्य माना जा रहा है.
केंद्रीय सरकार के द्वारा हर दस वर्ष पर कराये जानेवाले जनगणना के आंक ड़ेइसी की पुष्टि करते नजर आ रहे हैं. वर्ष 1991 में आसनसोल शहर की जनसंख्या 2,62,188 थी. जबकि वर्ष 2001 में यह संख्या बढ़ कर 10,67,369 हो गयी. इस प्रकार इन दस वर्षो में यह वृद्धि 14.04 फीसदी दर्ज हुई. लेकिन वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार दस वर्षो में यह संख्या 12,43,008 तक पहुंची. यानी प्रति वर्ष मात्र 1.52 फीसदी की वृद्धि हुई.
देश में सभी शहरों में सबसे कम वृद्धि दर्ज करनेवाला शहर राज्य मुख्यालय कोलकाता है. सरकारी आंक ड़ों के अनुसार वर्ष 1991 में हुई जनगणना के अनुसार कुल आबादी 1,10,21,918 थी. वर्ष 2001 में यह संख्या बढ़ कर 1,32,05,697 हो गयी. यानी इन दस वर्षो में जनसंख्या में प्रति वर्ष मात्र 1.81 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई. वर्ष 2011 की जनगणना में स्थिति और भी नियंत्रित रही. इस वर्ष आबादी 1,41,12,536 रही. यानी प्रति वर्ष 0.66 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई.
पड़ोसी राज्य झारखंड के धनबाद शहर की भी यही स्थिति है. वर्ष 1991 में हुई जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 1,51,789 थी. लेकिन वर्ष 2001 की जनगणना में यह संख्या बढ़ कर 10,65,327 तक पहुंच गयी.
इन दस वर्षो में जन संख्या में वृद्धि प्रति वर्ष 19.49 फीसदी रहा. लेकिन अगले दस साल में आबादी में वृद्धि काफी नियंत्रित रही. वर्ष 2011 की जनगणना में शहर की आबादी बढ़ कर 11,95,298 हो गयी. इन दस वर्षो में आबादी में वृद्धि प्रति वर्ष मात्र 1.15 ही रही.
आंक ड़ों के अनुसार देश के मुख्य शहरों में आसनसोल का स्थान सातवां है, जहां आबादी में वृद्धि की दर कम है. इनमें कोलकाता में 0.66 फीसदी, कानपुर में 0.73 फीसदी, मुंबई में 1.14 फीसदी, धनबाद में 1.15 फीसदी, लुधियाना में 1.43 फीसदी तथा जबलपुर में 1.44 फीसदी है.
विशेषज्ञों की माने तो इसका मुख्य कारण पश्चिम बंगाल में औद्योगिक संस्थानों की बंदी तथा श्रमिकों का पलायन है. अकेले कोलकाता शहर में हजारों की संख्या में छोटे–छोटे संस्थान व जूट मिल बंद हुये हैं और वहां कार्यरत श्रमिक अपने प्रदेश लौटने को बाध्य हुये हैं.
यही स्थिति आसनसोल और धनबाद की भी रही है. केंद्र की विभिन्न योजनाओं के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार की संभावना बढ़ी है. इसके साथ ही बिहार की सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों में आया बदलाव भी इसका मुख्य कारण माना जा रहा है.