जलपाईगुड़ी: शिव चतुर्दशी के मौके पर आज से उत्तर बंगाल के सबसे बड़ा तीर्थ जल्पेश में मेला शुरू हो गया. जल्पेश मेला उत्तर बंगाल का सबसे बड़ा मेला भी है. लाखों की तादाद में भक्त शिव रात्रि में यहां भगवान शिव को जल चढ़ाने आते हैं. सरकारी निर्देश के तहत मेला 26 फरवरी तक चलेगा.
मंदिर कमेटी की ओर से यह भी बताया गया है कि सरकारी जल्पेश मेला 26 तारीख को शेष हो जायेगा लेकिन दोल पुर्णिमा तक मेला चलेगा. आज शाम को मेले का उद्घाटन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने किया. मेला प्रांगण में स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम हर शाम को पेश किया जायेगा. ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि कूचबिहार के महाराजा प्राण नारायण जल्पेश मंदिर के निर्माण कार्य शुरू करने के कुछ दिनों बाद परलोक सिधार गये थे. इसके बाद उनके बेटे मोद नारायण उर्फ रामनाथ ने मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किया.
केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व अधिकारी एमएस भट्ट ने बताया कि जल्पेश मंदिर का त्रिनेत्र व वासुदेव मूर्ति 12वीं शताब्दी के पहले का बना है.
राजा जोगिंद्र देव रायकत के ग्रंथ के अनुसार 1987 में शिवरात्रि के पहले हुए भूकंप में जल्पेश मंदिर भीषण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद 1939 तक क्षतिग्रस्त जल्पेश मंदिर के मरम्मती के लिए डेढ़ लाख रुपये कई किश्तों में दिये गये. कालिका पुराण में जल्पेश मंदिर के अनादि शिव लिंग के बारे में विस्तृत वर्णन है. जल्पेश लिंग गौरी पाट के दो फीट नीचे है. हाल ही में गौरीपाट को स्टील के फ्रेम के बैरीकेड से घेर दिया गया है. गर्भ गृह की जगह मंदिर के बाहर के दरवाजे से 10 फीट नीचे है. यह शिवलिंग आठ फुट नीचे है और यह और तीन गुणा बड़ा हो गया है. यह दावा है जल्पेश ट्रस्टी बोर्ड का. मंदिर कमेटी के सचिव गीरेंद्र नाथ देव ने बताया कि शिव चतुर्दशी के मौके पर यहां लाखों भक्तों का समागम होता है. श्रद्धालुओं के सुविधा के जिला जिला पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये है. मंदिर के चारो ओर सुरक्षा के लिए मंदिर कमेटी की ओरसे सीसी कैमरें लगाये गये है.