गोलाबाड़ी से घुसुड़ी, पीलखाना, लिलुआ, कोना और सलकिया तक का वातावरण शीतला माता के जयकारों से गूंज उठा. आयोजन के प्रचार प्रसार में जुड़े पत्रकार सुरेश कुमार भुवालका नें बताया कि दोपहर बाद शुरू हुई स्नान शोभायात्र में बैंड-बाजों के साथ पालकियों पर सवार शीतला माताओं की झांकियों को गंगाघाट ले जाकर स्नान कराने और पुन: उन्हें उनके मंदिरों में ले जाकर स्थापित करने का क्र म जारी रहा. मुख्य सात शीतला माताओं में से छोटी मां को छोड़ कर छह माताओं सहित अन्य माताओं सहित लगभग 100 शीतला माताओं को गंगा घाट लाया गया.
स्नान से पूर्व बांधाघाट (सत्यनारायण टेंपल रोड) स्थित श्री पंचानन बाबा के मंदिर जिन्हें इन माताओं का भाई माना जाता है, से माताओं ने मुलाकात की और यहां से भेंट स्वरूप साड़ी प्राप्त की. इस विराट पर्व पर न केवल राज्य के विभिन्न हिस्सों से अपितु बिहार, ओड़िशा सहित आसपास के अन्य राज्यों के भी हजारों लोग शामिल हुए. शोभायात्र के दौरान भगवान गणोश की सुसज्जित झांकी के अलावा अन्य झांकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं. कार्य दिवस के बावजूद पूरे अंचल में इस महोत्सव के कारण अधिकांश स्कूलों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व अन्य संस्थानों में अवकाश रहा. पूरे महोत्सव के दौरान यातायात व्यवस्था सुबह से रात तक प्राय: बाधित रही.
विधि व्यवस्था को संभालने में हावड़ा सिटी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी व कई थानों प्रभारियों सहित सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात थे. हावड़ा वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से व्यापक स्तर पर पेय जल आपूर्ति की व्यवस्था की गयी थी. ट्रस्ट के सेवा कार्य प्रभारी सत्यनारायण खेतान ने बताया कि ट्रस्ट की मोबाइल पेयजल वाहिनियां प्रमुख स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए पेयजल के साथ उपलब्ध थीं. हमेशा की भांति स्नानयात्र के दूसरे दिन बड़ी मां के मंदिर में सौलह आना पूजा करके व्रती श्रद्धालु अपना व्रत पूर्ण करेंगे.