जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बन रहा आश्रय-स्थल
प्राथमिक देखभाल के बाद यहां से विभिन्न होम में भेजी जायेंगी
जलपाईगुड़ी :उत्पीड़न की शिकार किशोरियों और महिलाओं के तात्कालिक आश्रयस्थल के रुप में राज्य सरकार वन स्टॉप सेंटर बनवा रही है. यह केंद्र जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बन रहा है. शुक्रवार को जिलाधिकारी के सभागार में जिला स्तरीय वन स्टॉप सेंटर को लेकर गठित टास्क फोर्स की प्रथम बैठक के बाद यह जानकारी जिला समाज कल्याण अधिकारी दीनबंधु साहा ने दी है.
उल्लेखनीय है कि विभिन्न तरह से प्रताड़ित और उत्पीड़ित महिलायें और नाबालिग लड़कियों को विभिन्न होम और आश्रय स्थलों को भेजा जाता है. लेकिन होम को भेजने के पहले उनकी विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है. इसी के लिये यह वन स्टॉप सेंटर तैयार किया जा रहा है.
टास्क फोर्स के दो सदस्य और जलपाईगुड़ी वुमेंस इंटरलिंक की शिखा मजुमदार और जलपाईगुड़ी वेलफेयर आर्गनाइजेशन के सचिव संजय चक्रवर्ती ने बताया कि विभिन्न क्षेत्र में उत्पीड़न की शिकार महिला, किशोरी और युवती को हिफाजत में लिया जाता है. लेकिन उन्हें तत्काल किसी होम में भेजना व्यावहारिक नहीं होता है. होम में भेजने से पहले उनकी प्राथमिक देखभाल, उपचार और अन्य तरह से हिफाजत जरूरी होती है. इसी उद्देश्य से यह वन स्टॉप सेंटर बनाया जा रहा है. टास्क फोर्स के एक अन्य सदस्य और जलपाईगुड़ी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलकृष्ण बनर्जी ने बताया कि शुरु में ऐसी महिलाओं और किशोरियों को कानूनी सहायता की जरूरत होती है.
हम लोग यह सहायता देने के लिये तैयार हैं. जिले केसीएमओ डॉ. जगन्नाथ सरकार ने बताया कि हमने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 1400 वर्ग फीट का हॉल दिया है. इसे ही वन स्टॉप सेंटर के रुप में विकसित किया जा रहा है. जिला समाज कल्याण अधिकारी दीनबंधु साहा ने बताया कि इस तरह की महिलाओं और किशोरियों को लेकर प्रशासन और पुलिस को जटिलताओं का सामना करना पड़ता है. ऐसी मानसिक और शारीरिक रुप से टूट गयी महिलाओं को एक ऐसी जगह चाहिये जहां कुछ दिनों तक रखकर उन पर विशेष नजर रखी जा सके. इससे उन्हें होम वगैरह में देखभाल में सहूलियत होगी. इसी के लिये यह सेंटर बेहतर जगह है.
जिलाधिकारी अभिषेक कुमार तिवारी ने बताया कि यह वन स्टॉप सेंटर जल्द चालू होगा. वहीं, सूत्र ने बताया कि सेंटर के संचालन में हरसाल 43 लाख रुपये खर्च होंगे. यहां स्थायी रुप से चिकित्सक, काउंसिलर, दवा, स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षा गार्ड से लेकर आईटी विभाग रहेगा. इस सेंटर में कुछ दिन रखने के बाद पीड़िताओं को पुलिस, प्रशासन और अदालत के निर्देश के मुताबिक निर्धारित जगहों पर भेजा जायेगा. सेंटर में शुरुआती दौर में 10 बेड होंगे.