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इंटक ने मोदी के साथ ममता सरकार पर भी बोला हमला
अच्छे दिनों का सपना दिखाकर लोगों को ठगा हड़ताल में बाधा न दे तृणमूल सरकार सिलीगुड़ी. केन्द्र की सत्ता में आने से पहले भाजपा की सरकार ने लोगों को अच्छे दिन का सपना दिखाया था. सरकार के साढ़े चार वर्ष बीत जाने के बाद लोगों के अच्छे दिन आज तक नहीं आये. उन्होंने अच्छे दिन […]
अच्छे दिनों का सपना दिखाकर लोगों को ठगा
हड़ताल में बाधा न दे तृणमूल सरकार
सिलीगुड़ी. केन्द्र की सत्ता में आने से पहले भाजपा की सरकार ने लोगों को अच्छे दिन का सपना दिखाया था. सरकार के साढ़े चार वर्ष बीत जाने के बाद लोगों के अच्छे दिन आज तक नहीं आये. उन्होंने अच्छे दिन का सपना दिखाकर लोगों को ठग लिया. सिलीगुड़ी में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए इंटक के राज्य कमेटी के अध्यक्ष मोहमद कामारुज्जूमान कामार ने मोदी सरकार पर कुछ इसी अंदाज में हमला बोला. उन्होंने प्रधानमंत्री पर देश में फासीवादी शासन चलाने का आरोप भी लगाया. उन्होंने बताया कि आजादी के बाद उत्तर बंगाल आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक रुप से काफी पिछड़ गया है. इसके अलावे देश में किसानों तथा श्रमिकों का शोषण भी बढ़ गया है.
जिसे लेकर केन्द्र के सभी ट्रेड यूनियन ने संयुक्त रुप से 8 तथा 9 जनवरी देश में हड़ताल का आह्वाहन किया है. उन्होंने राज्य सरकार से हड़ताल में बाधा उत्पन्न नहीं करने की अपील की. उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा सत्ता में आने आने से पहले प्रत्येक वर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने के अलावे विदेश से काला धन वापस लाने के वादे किये गये थे. यह तो पूरा हुआ नहीं,उपर से नोटबंदी तथा जीएसटी के नाम पर लोगों की समस्याओं को और ज्यादा बढ़ा दिया. उन्होंने कहा बंगाल तथा पड़ोसी राज्य असम में चाय की कई कंपनियां हैं. जहां हजारों श्रमिक काम करते हैं. भाजपा के एक मंत्री ने सिलीगुड़ी आकर खस्ताहाल 7 चाय बगानों के अधिग्रहण की बात कही थी.
उसका अबतक कुछ नहीं हुआ. फिलहाल चाय श्रमिकों की अवस्था किसी को कोई चिंता नहीं है. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के ब्रिगेड सम्मेलन पर कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री विरोधियों को एकजुट कर फेडरल फ्रंट बनाने की बात कह रही है वहीं दूसरी ओर उनके द्वारा बुलाये गये हड़ताल को तृणमूल बंगाल में दबाने की बात कर रही है. श्री कामार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मोदी सरकार के साथ भीतर-भीतर हाथ मिलाने का भी आरोप लगाया है. श्री कमार के अनुसार उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था चाय तथा पर्यटन पर निर्भर है. जबकि दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटक अपने आप को यहां सुरक्षित महसूस नहीं करते. चाय बगानों में काम करने वाले श्रमिकों को सही से मजदूरी तक नहीं मिल रही है.
जिससे उत्तर बंगाल पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक रुप से काफी पिछड़ गया है. उन्होंने राज्य की नीतियों पर निशाना साधते हुए कहां कि उत्तर बंगाल में छोटे-छोटे बोर्ड को बनाकर यहां लोगों को बांटने का प्रयास किया जा रहा है. जिसे लेकर इंटक सिलीगुड़ी में जनरल काउंसिल गठित करेगी.
आज के पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए दार्जिलिंग जिला इंटक अध्यक्ष अलोक चक्रवर्ती ने बताया कि हाल ही में राज्य सरकार ने बगानों में श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 176 रुपये करने का एक सर्कुलर जारी किया है. उनका आरोप है कि छोटे चाय बगान में काम करने वाले 65 हजार से भी अधिक श्रमिक वंचित हैं. अभी भी उनकी दैनिक मजदूरी 150 रुपये है.
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