- सिंडिकेटराज : प्रति गाड़ी 50 रुपये वसूलने की बात मानी
- सामाजिक कार्यों में पैसे खर्च करने की दी दुहाई
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सिलीगुड़ी : टी-पार्क से खत्म होगा बदमाशों का कब्जा, पुलिस को कड़ी कार्रवाई का निर्देश
सिलीगुड़ी : सिंडिकेट राज किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यदि किसी कारोबारी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिलीगुड़ी सहित पूरे राज्य में कल कारखानों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. निवेश के लिए कारोबारियों […]
सिलीगुड़ी : सिंडिकेट राज किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यदि किसी कारोबारी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिलीगुड़ी सहित पूरे राज्य में कल कारखानों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. निवेश के लिए कारोबारियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
अगर कोई इस में रोड़ा अटकाने की कोशिश करेगा तो उसे सरकार नहीं छोड़ेगी. यह बातें अलीपुरद्वार के तृणमूल विधायक तथा सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) के चेयरमैन सौरव चक्रवर्ती ने कही. वह सोमवार को अपने कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी के निकट फूड पार्क तथा टी पार्क में सिंडिकेट राज चलने का आरोप सामने आया है.
कुछ लोग कारोबारियों ने ऊंची कीमत पर बालू पत्थर एवं अन्य निर्माण सामग्री खरीदने का दबाव डालने का आरोप लगाया है. नॉर्थ बंगाल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से पिछले दिनों कुछ इसी तरह के आरोप लगाए गए थे . इसी पर सफाई देते हुए श्री चक्रवर्ती ने कहा कि सिंडीकेट राज चलाने वालों के खिलाफ प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.
मुख्यमंत्री किसी भी कीमत पर इस तरह के हथकंडे को बर्दाश्त नहीं करेंगी. उन्होंने आगे कहा कि टी पार्क एवं फूड पार्क को विकसित करने की राज्य सरकार पूरी कोशिश कर रही है. टी पार्क के काम को रेलवे तथा केंद्र सरकार ने रुकवाने की कोशिश की. उसके बाद भी राज्य सरकार की विशेष पहल से टी पार्क तैयार हो है. वहां कई परियोजनाएं लग रही है.
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि टी पार्क के लिए जिस समय जमीन का अधिग्रहण हुआ था, उस समय तृणमूल सरकार सत्ता में नहीं थी. तब वाम मोर्चा सत्ता में थी. अगर टी पार्क के लिए किसी ने अपनी जमीन दी है तो उसका उन्हें मुआवजा भी मिला है. उस समय एसडीए के चेयरमैन माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य थे. यदि कोई मुआवजा नहीं मिलने का आरोप लगाता है तो उसे अशोक भट्टाचार्य से बात करनी चाहिए ना कि व्यवसायियों को परेशान करना चाहिए.
श्री चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल सरकार जोर जबरदस्ती जमीन लेने पर विश्वास नहीं करती. कहीं भी जोर जबरदस्ती जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया है. अधिग्रहण के आद भी अनिच्छुक लोगों को मीन वापस कर दी गई. सिंगुर में ममता बनर्जी ने स्वयं किसानों की जमीन वापस कर दी. कावाखाली में भी लोगों की जमीन वापस कर दी गई है.
लॉटरी के माध्यम से जमीन वापस करने का काम हो रहा है. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि टी पार्क में कुछ व्यवसायियों को परेशान करने का मामला सामने आया है. उन्हें भी इसकी शिकायत मिली है. उन्होंने पुलिस को बदमाशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कहा है. थाने में शिकायत भी दर्ज कराई गई है. साथ ही दार्जिलिंग जिले के पुलिस अधीक्षक को भी इस बात की जानकारी दी गई है.
एसजेडीए के सीईओ भी दो-दो बार टी पार्क का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने आगे बताया कि इस मुद्दे को लेकर वह शीघ्र ही की पार्क में जमीन लेने वाले कारोबारियों के साथ एक बैठक करेंगे. जहां उनकी विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की जाएगी.
रॉयल्टी नहीं होने से ज्यादा दाम पर बेचते हैं बालू-पत्थर
सिलीगुड़ी : बागडोगरा संलग्न लयुसीपाकरी स्थित फूड पार्क में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. शुक्रवार को सिलीगुड़ी के उद्यमी कमल मुंदड़ा ने आरोप लगाया था कि इलाके के कुछ लोग दूध तथा जूस कारखाना बनाने में बाधा दे रहे हैं. सिंडिकेट राज की आड़ में ज्यादा कीमत पर बालू- पत्थर खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि हर आने वाली गाड़ियों से 50 रुपये की अवैध वसूली भी की जाती है. इसके बाद सोमवार को जर्नलिस्ट क्लब में मीडिया से बात करते हुए रहमूल नरदेव विलेज अनइम्पलायमेंट सेल्फ हेल्प वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने 50 रुपये लेने की बात मानी है.
इस दौरान संगठन के सचिव अतुल सिंह ने बताया कि वह भी राज्य में कल कारखाने चाहते है. जिसे लेकर इलाके के लोगों ने एसजेडीए को अपनी जमीन दी थी.इसके लिए उन्होंने सरकार से पैसा भी मिला. लेकिन उन्होंने कंस्ट्रकशन के नाम पर ज्यादा कीमत पर बालू, पत्थर, सीमेंट तथा अन्य समान बेचने के आरोपों को सिरे खारिज कर दिया.
उन्होंने बताया कि पास स्थित महानंदा नदी से बालू- पत्थर निकालने की रॉयल्टी उनके पास नहीं है. जिसके चलते अन्य घाटों से उन्हें बालू, पत्थर लाकर ज्यादा दाम पर बेचना पड़ता है. इसके अलावे उन्होंने 50 रुपये वसूलने की बात को स्वीकार किया है. उनका कहना कि गाड़ियों के ड्राईवर तथा ट्रांसपोर्ट मालिकों के साथ बैठक के बाद ही यह फैसला लिया गया था.
इसके लिए अलग से एक रसीद भी छापी गयी है. इसी रसीद से वहां आने वाली प्रत्येक गाड़ियों से 50 रुपये लेते हैं. अगर कोई इससे कम देता है तो वेस्वीकार नहीं करते. श्री सिंह के अनुसार 50 रुपये लेने का मतलब सिंडिकेट चलाना नहीं, बल्कि इन पैसे को समाजिक कार्यों में खर्च किया जाता है.
उनका आरोप है कि इस मामले को लेकर हाल ही में गलत खबर प्रकाशित की गयी है. जिससे उनपर दबाव बढ़ रहा है. इस मुद्दे को लेकर वे 5 तारीख को एक बैठक भी करेंगे. इसके अलावे उन्होंने आंदोलन की धमकी भी दी है. इस दौरान संस्था के अध्यक्ष रतन अधिकारी व अन्य उपस्थित थे.
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