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मेडिकल कॉलेज-पोस्टमार्टम विभाग के कर्मचारी बने दानव, 11 हजार रुपये खर्च कर मिला शहीद का शव
सिलीगुड़ी : इस बार उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के जुल्म का शिकार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के शहीद जवान के परिवार को होना पड़ा है. शहीद के शव का पोस्टमार्टम कराने में कुल 11 हजार रुपये खर्च करने पड़े हैं. पैसे की खातिर पोस्टमार्टम विभाग के कर्मचारी दानव बन गये. शहीद को भी नोचनें […]
सिलीगुड़ी : इस बार उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के जुल्म का शिकार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के शहीद जवान के परिवार को होना पड़ा है. शहीद के शव का पोस्टमार्टम कराने में कुल 11 हजार रुपये खर्च करने पड़े हैं. पैसे की खातिर पोस्टमार्टम विभाग के कर्मचारी दानव बन गये. शहीद को भी नोचनें से इनलागों ने नहीं छोड़ा.
शहीद के परिवार के लोगों को शव को संरक्षित रखने वाले केमिकल के लिए पांच हजार व शव की सिलाई आदि के लिए छह हजार रुपये कर्मचारियों को देने पड़े हैं. सरकारी मेडिकल कॉलेज में जो सुविधाएं व दवाइयां मुफ्त में उपलब्ध करायी जानी चाहिए,उसके लिए आम लोग तो दूर सीमा रक्षक शहीद के परिवार से रुपये लेना काफी वेदनादायक है. आइटीबीपी के 13 नंबर बटालियन के जवानों ने भी इसकी निंदा की है.
देश की सीमा में तैनात जवान की मौत ऑक्सीजन की कमी से हो गयी. उनके पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम कराने पहुंचे शहीद के परिवार से ग्यारह हजार रुपये लेना घृणित है. हालांकि पोस्टमार्टम के लिए आये शवों के परिजनों से रुपये लेना यहां कोई नयी बात नहीं है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में यह जुल्म रोजाना देखने को मिल जायेगा. सूत्रों की माने तो पोस्टमार्टम के लिए कर्मचारी पहले शव का चीड़-फाड़ करते हैं. पोस्टमार्टम के बाद उसकी सिलाई, प्लास्टिक व केमिकल के लिए अलग से रुपये मांगते हैं.
जबकि शव को संरक्षित रखने के लिए फार्मिलिन केमिकल, प्लास्टिक आदि सरकार की तरफ से मुफ्त में मुहैया करायी जाती है. परिजनों की आर्थिक स्थिति का जायजा लगाकर बोली लगायी जाती है. शव की सिलाई के लिए दो हजार के नीचे बात ही नहीं की है. रुपये देने से इनकार करने पर शव की सिलाई तो दूर प्लास्टिक भी नहीं दिया जाता है.
परिजनों की मानसिक या शारीरिक अवस्था क्या है इससे उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के मॉर्ग के कर्मचारियों को कई फर्क नहीं पड़ता है. यहां बता दे बीते शुक्रवार की रात 11 बजे सिलीगुड़ी के माटीगाड़ा स्थित एक निजी नर्सिंगहोम में इलाजरत भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के एसआई फकरूल इस्लाम (50) की मौत हो गयी. सिक्किम स्थित भारत-तिब्बत सीमा पर जमीन से 20 हजार फीट की उंचाई पर तैनात जवान फकरूल इस्लाम को बीते सात सिंतबर की रात ऑक्सीजन नहीं मिली.
ऑपरेशन के बाद 10 दिन वेंटीलेटर पर रहने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया. बीते शनिवार की सुबह शहीद के शव को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के मॉर्ग में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. आरोप है कि शहीद के शव की सिलाई व प्लास्टिक के लिए पोस्टमार्टम विभाग के कर्मचारियों ने 6 हजार रुपये लिये.पोस्टमार्टम के बाद शहीद का शव मुर्शिदाबाद के लालगोला जाना था.
इसलिए शव को संरक्षित रखने के लिए 5 हजार की फार्मेलिन केमिकल बाजार से खरीदनी पड़ी. आइटीबीपी के जवानों ने निंदा करते हुए कहा कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक शहीद के पोस्टमार्टम में इतना रुपये लिये गये. जबकि कर्मचारियों को वेतन मिलता है. साथ ही फार्मेलिन व अन्य दवाइयां राज्य सरकार मुहैया कराती है. फिर भी एक शहीद को बिना रुपये के कुछ भी नहीं मिला.
यह घृणित अपराध : रुद्रनाथ भट्टाचार्य
घटना जानकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन डा. रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने भी रोष प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि एक शहीद के परिवार से इस तरह रुपये लेना काफी घृणित है, वेदनादायक है. पोस्टमार्टम के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचागत व्यवस्था, उपकरण से लेकर शव को संरक्षित रखने के लिए फार्मेलिन, प्लास्टिक आदि सरकार की ओर से उपल्बध करायी जाती है. फिर भी एक शहीद के परिवार से रुपये लेने की घटना कतई क्षम्य नहीं है. इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए मॉर्ग व पोस्टमार्टम रूम व आस-पास सीसीटीवी कैमरा लगाने की बात कही.
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