14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अकादमिक परिदृश्य में साहित्य की स्वायत्तता खतरे में

सिलीगुड़ी : उत्तरबंग हिंदी ग्रंथाधार की ओर से केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सौजन्य में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी-2018 के पांचवें दिन ‘साहित्य का अकादमिक परिदृश्य’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. ग्रंथागार के सचिव डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि अकादमिक जगत साहित्य के द्वारा ‘ज्ञानार्जन से जीविकोपार्जन’ की यात्रा से संत्रस्त है. इसके […]

सिलीगुड़ी : उत्तरबंग हिंदी ग्रंथाधार की ओर से केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सौजन्य में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी-2018 के पांचवें दिन ‘साहित्य का अकादमिक परिदृश्य’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. ग्रंथागार के सचिव डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि अकादमिक जगत साहित्य के द्वारा ‘ज्ञानार्जन से जीविकोपार्जन’ की यात्रा से संत्रस्त है.
इसके पीछे शिक्षा नीति और शिक्षण संस्थानों की निजी सीमाएं जिम्मेदार है. दुखद है कि केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सह-निदेशक श्री शैलेश विडालिया जी को उत्तर बंगाल में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए आने से रोक दिया गया, वह भी राजनीतिक कारणों से.साहित्य की प्रगतिशील विचारधारा से शिक्षक और विद्यार्थी समाज को जोड़ने की जरूरत है.
संस्था के उपाध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार साव ने अकादमी परिदृश्य में साहित्य की स्वायत्तता को खतरे में बताया.उन्होंने आगे कहा कि जो साहित्य सवालों को खड़ा करने के लिए रचा गया, उन्हें किन्ही पारंपरिक सवालों के बीच खड़ा कर देना, उसकी सृजनात्मक संभावनाओं को समाप्त कर देने जैसा है.डॉक्टर ओम प्रकाश पांडेय ने शिक्षक समाज के नैतिक दायित्व को केंद्र में लेते हुए कहा आज साहित्य प्रेमी साहित्य के शिक्षक नहीं हो रहे. इस कारण उस साहित्य की सृजनात्मक संवेदना प्रगतिशीलता को प्राप्त नहीं हो पा रही है.
रंगकर्मी एवं साहित्यकार करण सिंह जैन ने शिक्षकों के द्वारा साहित्य संबंधी प्रश्नों के समाधान की मनोवृति को सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बताया. वहीं शिक्षिका आरती कुजूर ने साहित्य अध्ययन को अर्थोपार्जन का जरिया बताया, जिससे अकादमिक परिदृश्य प्रदूषित है. ग्रंथागार की अध्यक्ष अर्चना नेपाल ने पाठ्यक्रम में चयनित रचनाओं को स्तर की दृष्टि से सार्थक बनाने की मांग रखी. कवयित्री और गजलकार बबीता अग्रवाल ने विद्यार्थी समाज से आग्रह करते हुए कहा कि विद्यार्थी जिस साहित्यिक रचना को कक्षा में अपने शिक्षकों से पढ़ते हैं, उसके वर्तमान औचित्य से जुड़े
सवाल करें.
इन सवालों में ही अकादमिक परिदृश्य सृजनात्मक बन पाएगा. सिलीगुड़ी कॉलेज के अतिथि अध्यापक ब्रजेश कुमार चौधरी ने साहित्य के अकादमिक परिदृश्य को आने वाले समय में रोजगार से विमुख बताया.
विद्यार्थियों की ओर से रितु कुमारी, रश्मि भट्ट, ज्योति भट्ट , सुजित कुमार , कुमुद कुमारी, रिंकू प्रसाद और ज्योति यादव, देवाशीष राय आदि ने अपने विचार रखे. परिचर्चा का कुशल संचालन शिक्षक दीपू शर्मा ने किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें