सिलीगुड़ी: विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य में सिप्ला की सीएसआर इकाई ‘ब्रेथ फ्री’ की ओर से आज एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर इस बीमारी के बारे में जानकारी दी गयी.
कार्यक्रम में अस्थमा विशेषज्ञ डॉ अपु अधिकारी ने बताया कि सांस लेने में तकलीफ संबंधी इस बीमारी को लगातार इलाज के जरिये नियंत्रण में रखा जा सकता है. मरीज अगर बीच में अपना इलाज बंद कर दें, तो आगे चलकर उन्हें काफी तकलीफ होती है. कभी कभी साइड इफेक्टस, इन्हेलर के इस्तेमाल को लेकर विभिन्न गलत भ्रांतियों के चलते मरीज अपना इलाज बीच में ही छोड़ देते है.
उन्होंने कहा कि अस्थमा की दवाई व इनहेलर का कोई साइड एफेक्ट नहीं है.उन्होंने विभिन्न इन्हेलरों के इस्तेमाल की पद्धतियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह जरूरी है कि मरीज सही तरीके से इन्हेलर का प्रयोग कर व इसकी सफाई करें. आवश्यकता होने पर ही इन्हेलर का प्रयोग करें. अस्थमा मरीजों को दिन में दो बार इनहेलर लेना आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि अस्थमा के मरीजों को पॉल्यूशन, धूल, मिट्टी, पाउडर आदि से बचना चाहिए. हमेशा साफ -सफाई वाले माहौल में रहना चाहिए व मास्क का प्रयोग करना चाहिए. ज्यादा खांसी होना, छाती में दर्द महसूस होना, सांस लेने में असुविधा आदि अस्थमा के लक्षण है. अचानक पर्यावरण में बदलाव, वाइरल इन्फेक्शन, अतिरिक्त व्यायाम, ज्यादा दवाई लेना, स्मोकिंग आदि से अस्थमा के मरीजों को खतरा है. हमेशा इन्हें चिकित्सकों के दिशा निर्देश पर चलना चाहिए. ज्यादातर मोटे लोगों में यह बीमारी पायी जाती है. छह मई को विश्व अस्थमा दिवस पर मेडिका नॉर्थ बेंगल व नेवोटिया गेटवेल अस्पताल की ओर से जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा.